मेला क्षेत्र की हृदयस्थली में बने गेट को प्रशासन ने किया उपेक्षित
सोनपुर : विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेले को पर्यटन विभाग को सौंपे जाने के बाद एक ओर जहां इसके विकास की बातें की जा रही हैं. भव्यता बढ़ने की चर्चाएं हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ मेले के मूल तत्व के सिमटने, पारंपरिकता का रंग खोने व आधी-अधूरी तैयारियों की आवाजें भी उठ रही हैं. […]
सोनपुर : विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेले को पर्यटन विभाग को सौंपे जाने के बाद एक ओर जहां इसके विकास की बातें की जा रही हैं. भव्यता बढ़ने की चर्चाएं हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ मेले के मूल तत्व के सिमटने, पारंपरिकता का रंग खोने व आधी-अधूरी तैयारियों की आवाजें भी उठ रही हैं. पर्यटन विभाग स्वयं को मुख्य पंडाल तक केंद्रित कर उसके तड़क-भड़क की आड़ में पुरानी व पारंपरिक व्यवस्था की कमियों को ढांकने का स्पष्ट प्रयास करता दिख रहा है.
इसका जीता-जागता मिसाल नखास क्षेत्र में जिला प्रशासन द्वारा बनाया गया सीमेंटेड प्रवेश द्वार है. स्थानीय लोग इसे एलआइसी द्वार भी कहते हैं. विभाग ने न तो इसका रंगरोगन करने की आवश्यकता समझी और न ही उस पर पिछले मेलों में थर्मोकोल से लिखे हुए शीर्षक को हटाने या ताजा करने की आवश्यकता समझी. पर्यटन विभाग पुष्कर व सूरजकुंड मेले के तर्ज पर सोनपुर को विकसित करने की बात तो खूब करता है, परंतु हकीकत में सोनपुर के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.