थियेटर में नृत्य व गीत पर झूम रहे लोग
संवाददाता, हरिहरक्षेत्र मेला थियेटर बालाओं के मनमोहक नृत्य एवं शोख अदा पर सभी फिदा हो रहे हैं. हरिहर क्षेत्र मेले में लगे थियेटर पंडाल दर्शकों की वाह-वाह से गूंज रहा है. गीत-संगीत और नृत्य का ऐसा जादू चलता है कि टिकट खिड़कियों पर टिक जाती है हर नजर और उन्हेन देखने के लिए मचल जाता […]
संवाददाता, हरिहरक्षेत्र मेला
थियेटर बालाओं के मनमोहक नृत्य एवं शोख अदा पर सभी फिदा हो रहे हैं. हरिहर क्षेत्र मेले में लगे थियेटर पंडाल दर्शकों की वाह-वाह से गूंज रहा है. गीत-संगीत और नृत्य का ऐसा जादू चलता है कि टिकट खिड़कियों पर टिक जाती है हर नजर और उन्हेन देखने के लिए मचल जाता है मेलार्थियों का दिल. मेले में लगे थियेटर की खिड़कियों पर दर्शकों की लंबी कतारें इसके आकर्षण को बयां कर रही है. प्रत्येक थियेटर में 50 से 60 युवतियों का दल दर्शकों का मनोरंजन कर रहा है. दर्शकों में अधिकतर युवा है. वहीं अधेड़ और बुजुर्ग भी इसका खूब लुत्फ उठा रहे हैं. प्रशासन ने ईलता पर रोक लगा रखी है. आधुनिक का नशा युवाओं पर सर चढ़ कर बोल रहा है. 75 वर्षीय चंद्रशेखर अखौरी कहते है थियेटर में अब पहले वाली बात नहीं रही. हमारे जमाने में एक से बढ़ कर एक गायन मंडलियां और वादक आते थे. नाटक भी होता था. संगीत के मधुर स्वर गूंजते थे. गुलाब बाई की नौटंकी और गायन की बात ही निराली होती थी. मेले में थियेटर या नौटंकी की परंपरा शुरू होने को लेकर जानकार बताते है कि मेले में दूर-दूर से लोग आते थे. यातायात के कम साधन होने से लोग रात यहीं बिताते थे. रात में नौटंकी को देखते फिर मेला देख वापस हो जाते थे. 1909-10 के पूर्व तक पारसी थियेटर दादा भाई ढूंडी की कंपनी आया करती थी. इसमें सोहराब ,आगा हकसार खां, दोहराब जी आदि प्रसिद्ध कलाकार आते थे. 1934-35 में तीन मोहन खां की नौटंकी कंपनी आयी थी, जिसमें गुलाब बाई और कृष्णा बाई आयी थी. इनका ऐसा जादू था कि देश भर से लोग इनको देखने और सुनने जुटते थे. मेला, ढुमरी और दादरा के बोल से गुलजार रहता था . इसमें गुलाब बाई की अवाज गूंजती तो लोग पागल हो जाते. भरतपुर लूट गयो, राम गुलरी के फुलवा बलम परदेशिया, तख्त बदले ताज जो बदले जैसे गीत पर लोग झूम उठते. नदी नाले न जाओ श्याम पईया पडूं से गुलाब बाई को काफी प्रसिद्ध मिली. इसके बोल और प्रस्तुति के लोग दीवाने बन चुके थे. शास्त्रीय और लोक संगीत के मिश्रण के संगीत से सभी अविभूत हो जाते . मेले में धीरे-धीरे थियेटर और नौटंकी की सुसंस्कृत परंपरा समाप्त हो गयी और आधुनिकता ने इस पर ऐसा कब्जा जमाया कि ढुमरी और दादरा के बोल सुनायी ही नहीं देते. ईलता और शराब ने संस्कृ ति की परंपरा पर ऐसा हमला किया कि सुमधुर संगीत खो गया. बीच के वर्षों में ईलता इतनी बढ़ गयी थी कि लोगों ने इससे किनारा कर लेना ही बेहतर समझा. वर्तमान में प्रशासन ने बिहार सरकार के निर्देश पर ईलता पर पूर्णत: रोक लगा रखी है. बिहार सरकार मेले के गौरव और विरासत को बचाने के लिए कृत संकल्पित है. पर्यटन एवं जन संपर्क विभाग द्वारा मेला मुख्य पंडाल में आयोजित संस्कृति कार्यक्रम में प्रदेश के अलावा राष्ट्रीय स्तर के कलाकार अपनी प्रस्तुति से मेले में चार चांद लगा रहे हैं. फिर से ठुमरी, दादरा और कत्थक के बोल गूंजेंगे. विभाग ने हरिहर क्षेत्र महोत्सव के दौरान राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों आमंत्रित किया है.
रात में गुलजार हो रहा हरिहरक्षेत्र मेला : गौरवशाली इतिहास का प्रतीक एवं धार्मिक सांस्कृतिक विरासत को समेटे विश्व प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेले का उत्साह और उमंग बना हुआ है. विभिन्न सरकारी, गैर सरकारी तथा औद्योगिक संस्थाओं की प्रदर्शनी एवं स्टॉल से मेले में आये लोग जानकारी लेने में जुटे हैं. प्रतिदिन उमड़ रही भीड़ मेले के प्रति उनके प्रेम को दरसाता है. पर्यटन विभाग ,कृषि विभाग, रेलवे, पुलिस, जनसंपर्क, आपदा प्रबंधन सहित एक दर्जन से अधिक विभागों की प्रदर्शनी में जानकारी प्राप्त करते लोग दिख रहे हैं. थियेटर व डिजनीलैंड आदि से मेला देर रात तक गुलजार रहता है. ठंड के बावजूद मेला देखने और घूमने का उत्साह बना हुआ है. प्रदर्शनी में बांस, जुट व केले से निर्मित सामान से लोग आकर्षित और खरीदारी में जुटे हैं. एक तरफ मधुबनी पेंटिंग का जलवा है तो दूसरी और बांस की कलाकृतियों की.
मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम : प्रदेश भर से जुटे कलाकारों ने एक से बढ़ कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. हरिहरक्षेत्र के मुख्य पंडाल में पर्यटन विभाग एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में गीत, संगीत और नृत्य की प्रस्तुति पर लोग झूम उठे. आकाशवाणी एवं दूरदर्शन कलाकार रेणु कुमारी ने ऐसी तान छेड़ी की पूरा मेला क्षेत्र मानो संगीत की लय पर थिरक रहा हो. हमरो बलमुआ रामा भइले परदेशिया पूर्वी की प्रस्तुति ने मेले की सांस्कृतिक सार्थकता के सिद्ध करते लोगों का भरपूर मनोरंजन किया.
इसके अलावा लागल राजा धूल हो, काहे पिया भइले निरमोहिया, सोनपुर के गलिया सांकर गलिया हे ननदी, ले ले अइह हमरे राजा जी आदि गाकर कार्यक्रम को यादगार बना दिया. श्रीमति कुमारी ने अपने कार्यक्रम का शुभारंभ शिव भजन के लंबी केशवा से किया. इसके बाद राज जानकी कलाकेंद्र, जलालपुर के कलाकारों ने अपना जलवा बिखेरा. विनोद मिश्र का लोक गायन औश्र कुमारी पिंकी एवं पूजा के के गायन ने भी लोगों को काफी प्रभावित किया. शिक्षक राम कुमार सिंह द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम की सराहना सभी ने की. पूर्वी एवं झूमर नृत्य कार्यक्रम सराहनीय रही.