ठंड में बच्चों का कितना ख्याल रखता है स्कूल, रखें ध्यान

हाजीपुर : ठंड के इस मौसम में कई वाहनों के शीशे फूटे हैं, तो कई की स्थिति काफी जर्जर है. सनसनाती हवा बच्चों को मुश्किल में डाल रही है. स्कूल से लौट रहे बच्चों को ठंड से सर्दी, बुखार व जुकाम जैसी बीमारियां परेशान कर रही है. अपने बच्चों के प्रति आपको खुद सावधानी बरतनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2015 5:47 AM

हाजीपुर : ठंड के इस मौसम में कई वाहनों के शीशे फूटे हैं, तो कई की स्थिति काफी जर्जर है. सनसनाती हवा बच्चों को मुश्किल में डाल रही है. स्कूल से लौट रहे बच्चों को ठंड से सर्दी, बुखार व जुकाम जैसी बीमारियां परेशान कर रही है. अपने बच्चों के प्रति आपको खुद सावधानी बरतनी होगी. आपको यह देखना होगा कि बच्चे जिस वाहन से स्कूल जाते हैं,

क्या वह निर्धारित मानक को पूरा करते हैं. स्कूल द्वारा की गयी थोड़ी-सी लापरवाही भी आपके बच्चे के लिए बड़ी मुसिबत बन सकती है. ठंड के इस मौसम में जिस वाहन से आपके बच्चे स्कूल जाते हैं या विद्यालय के जिस वर्गकक्ष में बच्चे बैठते हैं, क्या उसकी सारी खिड़कियां व शीशे दुरुस्त हैं. अगर नहीं, तो विद्यालय प्रबंधन से शिकायत कर उसे दुरुस्त करवायें. वरना, खिड़कियों से आ रही सर्द हवा आपके बच्चे को बीमार कर सकती है.

मौसम में आ रहे बदलाव के कारण सुबह में कुहरे की धूंध छायी रहती है. ऐसे में आपके बच्चे जिस वाहन से विद्यालय जा रहे हैं, उसमें फॉग लाइट लगी होनी चाहिए. क्योंकि, सुबह में कुहरे की चादर फैली रहती है, जिससे सड़क साफ दिखायी नहीं देती है और इस परिस्थिति में अनहोनी की आशंका बनी रहती है. कई विद्यालय तो ऐसे भी हैं,

जिन्हें अपनी गाड़ी तक नहीं है. लेकिन, प्रतिमाह अच्छी खासी रकम स्कूल प्रबंधतंत्र को बतौर कमीशन मिलती रहती है. वाहनचालक भी कमाने की होड़ में रहते हैं. ऐसे स्कूल के मालिक बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. यही नहीं, तमाम नियमों को दरकिनार कर कई विद्यालय की गाड़ियां रसोई गैस सिलेंडरों से भी चलायी जा रही है. मारुति वैन में तय सात सीट की अपेक्षा बच्चों की संख्या कम से कम 18 रहती है. जितने बच्चे बढ़ेंगे, उतनी इनकी आमदनी भी बढ़ेगी.

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