लालगंज/वैशाली: मूंछ मर्दों की शान तथा घोड़े की सवारी शान की सवारी है. ये कहना है वैशाली प्रखंड की चिंतामणिपुर पंचायत के हहारो ग्राम निवासी मूंछों के शौकीन बसावन भगत का. मूल रूप से किसान 55 वर्षीय बसावन भगत पटेढ़ी बेलसर प्रखंड के करनेजी कोठी की 50 बिगहा जमीन के मैनेजर हैं, जो उस जमीन के सैरात छोर 35 बिगहा जमीन पर रबी, तेलहन समेत आगात सब्जियों की खेती कर क्षेत्र के प्रमुख सब्जी उत्पाद कों के बीच अपनी शान रखते हैं.
वीर कुंवर सिंह हैं इनके आदर्श
एक तरफ-138 सेमी तथा दोनों तरफ 274 सेमी की शानदार लंबाईवाले मूंछों के स्वामी बसावन भगत बाबू बीर कुंवर सिंह को अपना आदर्श मानते हैं. उनका कहना है कि उन्हें वीर कुंवर सिंह के चित्र से मूंछ रखने की प्रेरणा मिली है तथा मैं उन्हीं की स्टाइल में अपनी मूंछ रखता हूं. उन्होंने आज के क्लीन शेव जमाने पर कहा कि समय के बदलते दौर में आज के युवा अपनी विरासत एवं संस्कृति को भूल रहे हैं. मुझे भी अपनी मूंछों के कारण उपहास का सामना करना पड़ा है. लेकिन, बुजुर्गों के बीच मुझे काफी सम्मान भी मिलता है. जब लोग गरमजोशी से मेरा नाम पुकारते हैं, तो मेरा सीना फूल जाता है.
मित्रों के दबाव में मूंछ कटने पर छोड़ दी नौकरी
श्री भगत कहते हैं कि उनके लिए सबसे बड़ी दुख की घड़ी वर्ष 1984 में तब आयी, जब वे अरुणाचल प्रदेश में बिरला सनराइज प्लाइ फैक्टरी में गार्ड की नौकरी कर रहे थे और तभी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गयी. उनकी पर्सनैलिटी पंजाबी की तरह होने के कारण उनके मित्रों ने जबरदस्ती उनकी मूंछे कटवा दीं. उसके बाद सदमे में वे नौकरी छोड़ घर आ गये. उसके बाद फिर मूंछे बढ़ाईं, जो आज आपके सामने हैं.
खेती के साथ घोड़े और गाय के भी शौकीन हैं बसावन भगत
उन्होंने कहा कि घोड़ा पालना और उसकी सवारी करना मेरा शौक है. वहीं, मैं गाय पालना एवं गौमाता की सेवा अपना धर्म समझता हूं. मेरे अस्तबल में 5-6 घोड़े तथा गोशाला में दर्जन भर गाय हमेशा रहती हैं. मूछों के रख-रखाव पर उन्होंने कहा कि इसकी देख-रेख में मुझे एक घंटा अतिरिक्त समय लगता है. नहाने के समय शैंपू से धोकर फिर पंद्रह मिनट धूप में सुखाने के बाद कंघा कर सरसों तेल लगाता हूं एवं कान में लपेट कर रखता हूं. खेती के समय सिर में गमछा और बाहर जाने के समय बड़ा पाग बांधता हूं, जो अब मेरी पहचान बन गयी है.