profilePicture

विकास से कोसों दूर है महुआ की ताजपुर बुजुर्ग पंचायत

महुआ नगर : महुआ प्रखंड की ताजपुर बुजुर्ग पंचायत विकास की रोशनी से काफी दूर है. पंचायत की अधिकमर सड़कें जहां जर्जर हैं, वहीं शुद्ध पेयजल के लिए लोग तरसते हैं. निजी चापाकलों से पीने की पानी की व्यवस्था तथा सिंचाई के लिए निजी बोरिंग पर निर्भर हैं किसान.प्रभात खबर डिजिटल प्रीमियम स्टोरीSpies In Mauryan […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2016 4:49 AM

महुआ नगर : महुआ प्रखंड की ताजपुर बुजुर्ग पंचायत विकास की रोशनी से काफी दूर है. पंचायत की अधिकमर सड़कें जहां जर्जर हैं, वहीं शुद्ध पेयजल के लिए लोग तरसते हैं. निजी चापाकलों से पीने की पानी की व्यवस्था तथा सिंचाई के लिए निजी बोरिंग पर निर्भर हैं किसान.

पंचायत की हजारों की आबादी जहां चिमनी भट्ठे में काम कर अपना जीवन-यापन करती है, वहीं किसानों की अधिकतर जमीन जलजमाव के कारण प्रभावित होती है, जिस पर खेती करना संभव नहीं हो पाता है.

बदहाल सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल : इस पंचायत की अधिकतर सड़कें जर्जर हालत में हैं और उस पर पैदल चलना भी मुश्किल है. वर्षों पहले बने सड़कों की मरम्मति नहीं कराये जाने के कारण वे खतरनाक हो चुकी हैं.
केवल 20 प्रतिशत घरों में है शौचालय : केंद्र और राज्य सरकार के स्वच्छता अभियान को यह पंचायत मुंह चिढ़ाती प्रतीत होती है. इस पंचायत के केवल 20 प्रतिशत घरों में ही शौचालय की सुविधा है, जबकि महिलाओं के उत्थान के लिए पंचायत में कुछ नहीं किया गया. बाकी 80 प्रतिशत आबादी आज भी खुले में शौच को विवश है.
चार गांव हैं पंचायत में: इस पंचायत में चार राजस्व ग्राम क्रमश: करिहो, माधोपुर, चकभामत एवं ताजपुर बुजुर्ग हैं. पंचायत में बिजली तो पहुंची, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण अधूरा ही छोड़ दिया गया. कुल मिला कर कहा जाये तो प्रखंड की ताजपुर बुजुर्ग पंचायत में सरकारी विकास योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिला, वहीं पंचायत विकास से कोसों दूर है.
आबादी के अनुरूप नहीं हैं मतदाता : प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक इस पंचायत में आबादी का लगभग 50 प्रतिशत ही मतदाताअरें का होना, स्वस्थ लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है. संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को चाहिए कि इस मामले की जांच करा कर शेष बचे लोगों का नाम मतदाता सूची में दर्ज करायें ताकि लोकतंत्र में वे अपनी भूमिका निभा सकें.
पंचायत की आबादी के मुताबिक यदि आधे ही मतदाता होंगे, तो लोकतंत्र के महापर्व में सहभागिता और कम जायेगी. इस मामले में जिला प्रशासन को आवश्यक पहल करनी चाहिए ताकि हर योग्य नागरिक लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी निभा सके.

Next Article

Exit mobile version