कलठु पोखर की खुदाई के दौरान गुप्तकालीन ईंट निर्मित संरचना मिली

बिदुपुर : कोटि ग्राम के रूप में इतिहास में मशहुर चेचर ग्राम समूह के अंतर्गत चांदपुरा सैदावाद में ग्रामीणों द्वारा करायी गयी खुदाई से इतिहास का परदा अब धीरे-धीरे हटने लगा है. चांदपुरा सैदावाद ग्राम में कलठु पोखर की खुदाई के दौरान गुप्तकालीन ईंट निर्मित संरचना मिली है. हालांकि यह संरचना भवन का है या […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2016 3:58 AM

बिदुपुर : कोटि ग्राम के रूप में इतिहास में मशहुर चेचर ग्राम समूह के अंतर्गत चांदपुरा सैदावाद में ग्रामीणों द्वारा करायी गयी खुदाई से इतिहास का परदा अब धीरे-धीरे हटने लगा है. चांदपुरा सैदावाद ग्राम में कलठु पोखर की खुदाई के दौरान गुप्तकालीन ईंट निर्मित संरचना मिली है. हालांकि यह संरचना भवन का है या मंदिर परिसर का यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. पुरातत्व विद् जांच के बाद इस बात का खुलासा करेंगे.

क्या है मामला : चेचर ग्राम समुह के अंतर्गत चांदपुरा सैदावाद गांव स्थित कनठु पोखर लगभग चार एकड़ में फैला है. इस पोखर की खुदाई ग्रामीणों द्वारा कई वर्षों से की जा रही है. अब भी स्थानीय एक मंदिर के प्रांगण में मिट्टी भराई को लेकर ग्रामीणों द्वारा उक्त पोखर की खुदाई की जा रही थी. खुदाई से लगभग 40 फुट गहरा नीचे गुप्तकालीन ईंट निर्मित संरचना मिले हैं.
देखने को उमड़ी भीड़ : सोमवार को स्थानीय ग्रामीणों ने जब मिट्टी काटना शुरू किया़ जैसे ही गुप्तकालीन ईंट निर्मित संरचना मिली, खुदाई छोड़ कर कई लोग ईंट लेकर अपने- अपने घरों में ले जाने लगे, तो कई लोगों ने खुदाई शुरू की. जब इस बात की जानकारी स्थानीय मुखिया पूनम देवी को लगी, तो खुदाई करने पर पाबंदी लगा दी और सैकड़ों लोग ईंट निर्मित संरचना को देखने को भीड़ इकट्ठी हो गयी.
क्या कहते हैं मुखिया : मुखिया पूनम देवी एवं 104 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक लालदेव सिंह कहते हैं कि पूरे गांव का जन्म दाता कनठु सिंह थे़ पांच पीढ़ी पूर्व उन्होंने ही पोखर खुदवाया था़ उनको चार संतानें हुए और धीरे-धीरे पूरा गांव बस गया. अभी इस पोखर की खुदाई के दौरान गुप्तकालीन ईंट निर्मित संरचना एवं हड्डियों के अवशेष मिले.
क्या कहते हैं पदाधिकारी : सीओ संजय कुमार राय कहते है कि ऑरकेलोजिकल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पदाधिकारियों ने दावा किया है कि चेचर ग्राम समूह के अंतर्गत मुगल कला से लेकर नव पाषाण काल तक के संस्कृति का साख मिलेगा. पुरातत्वविदों का कहना है कि चेचर ग्राम समूह की संस्कृति सिंधु घाटी संस्कृति के समकक्ष है. यहां ग्रामीणों द्वारा की जा रही खुदाई पर फिलहाल पाबंदी लगा दी गयी है. इस संबंध में विभाग को लिखा जायेगा़
जांचोपरांत आगे की कार्रवाई की जायेगी.

Next Article

Exit mobile version