जिप के भवन पर दबंगों का कब्जा !

किराये के नाम पर एक पैसा देना भी कभी मुनासिब नहीं समझते हाजीपुर : शासन-प्रशासन से आम जन के त्रस्त होने की बात अक्सर कही सुनी जाती है. लेकिन, जहां शासन से शासन ही त्रस्त हो तो फिर कहना क्या. यह बानगी देखना हो, तो जिला पर्षद में आइए. जिला पर्षद यानी जिले की सरकार. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2016 4:01 AM

किराये के नाम पर एक पैसा देना भी कभी मुनासिब नहीं समझते

हाजीपुर : शासन-प्रशासन से आम जन के त्रस्त होने की बात अक्सर कही सुनी जाती है. लेकिन, जहां शासन से शासन ही त्रस्त हो तो फिर कहना क्या. यह बानगी देखना हो, तो जिला पर्षद में आइए. जिला पर्षद यानी जिले की सरकार. केंद्र और राज्य सरकार की दबंगई के आगे लाचार है यह जिला सरकार. जिला पर्षद का तिमंजिला भवन, जिस पर नीचे से ऊपर तक विभिन्न सरकारी विभागों ने अनधिकृत रूप से कब्जा जमा रखा है. जिला पर्षद को इससे करोड़ों रुपये का नुकसान है, लेकिन वह इस सरकारी मनमानी के आगे बेवश है.
अंतिम नोटिस भी दिया गया, उसका भी कोई असर नहीं : पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव ने 2013 में ही जिलाधिकारी तथा डीडीसी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जिला पर्षद को पत्र भेज कर इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया था. 16 जुलाई, 2013 को भेजे गये पत्र में कहा गया था कि सरकारी पदाधिकारियों एवं विभागों द्वारा जिला पर्षद की अनुमति के बगैर उनकी परिसंपत्ति पर कब्जा किये जाने से सरकार की छवि धूमिल होगी.
इसके साथ ही जिला पर्षद को भी निरंतर वित्तीय नुकसान होता रहेगा. जिला पर्षद की परिसंपत्तियों पर अनधिकृत कब्जे को लेकर स्थानीय लेखा अंकेक्षण रिपोर्ट में भी अंकेक्षक द्वारा चिंता प्रकट की गयी थी. विभाग के प्रधान सचिव ने यह आदेश दिया था कि बगैर उचित किराया भुगतान किये जिला पर्षद के जिस भवन या जमीन का उपयोग किया जा रहा है, उनके उपयोग की तिथि से अब तक के किराये की बाजार दर से मूल्यांकन कराया जाये. इस आदेश पर भी अमल नहीं हो सका. इधर जिला पर्षद की ओर से भी संबंधित विभागों को तीन बार नोटिस जारी किया गया. अंतिम नोटिस भी दिया गया, लेकिन कब्जा जमाये पदाधिकारियों और विभागों ने इसका कोई जवाब नहीं दिया.
कहते हैं अधिकारी
जिला पर्षद के भवन में बिना किराया दिये लगभग आधा दर्जन सरकारी कार्यालय चलाये जा रहे हैं. जिला पर्षद को राजस्व की भारी क्षति हो रही है. जिला पर्षद द्वारा बार-बार नोटिस दिये जाने के बाद भी उन पर इसका असर नहीं हो रहा. बोर्ड की बैठक में इस संबंध में ठोस निर्णय लिये जाने हैं, लेकिन बैठक भी नहीं बुलायी जा रही. इस मामले में डीएम को अपने स्तर से कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए.
जय प्रकाश चौधरी, अध्यक्ष, जिला पर्षद
जिला पर्षद के भवन को अनधिकृत कब्जे से मुक्त कराने एवं बाजार दर से किराये का भुगतान बकाया समेत कराने का विभागीय आदेश भी धूल फांक रहा है. जिला पर्षद के भवन में पर्षद की अनुमति या स्वीकृति के बगैर ही लगभग आधा दर्जन सरकारी विभागों के दफ्तर खोल दिय गये. कॉरिडोर के पैसेज को भी खाली नहीं छोड़ा गया.
कई विभागों के अफसर तो 8 से 10 सालों से जमे हैं लेकिन ये विभाग जिला पर्षद को किराये के नाम पर एक पैसा देना भी मुनासिब नहीं समझते. इससे जिला पर्षद को अब तक करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है. भवन के प्रथम तल पर पुलिस विभाग का मालखाना है, जो अपने गांव पसारते जा रहा है.
जिला आपूर्ति पदाधिकारी कार्यालय, जिला कल्याण पदाधिकारी कार्यालय और शहरी विकास अभिकरण कार्यालय के अलावा केंद्र सरकार के प्रतिष्ठान बीएसएनएल ने भी भवन पर अपना कब्जा जमा रखा है. पंचायती राज विभाग ने ऊपरी तल्ले को पूरे कब्जे में ले रखा है. कल्याण विभाग और आपूर्ति विभाग के पदाधिकारी का कार्यालय इसमें 8 से 10 वर्षों से चल रहा है.
पूरे भवन में डूडा कार्यालय ही है अधिकृत
जिला पर्षद भवन के ग्राउंड फ्लोर पर शहरी विकास अभिकरण का कार्यालय स्थित है. जिला पर्षद ने अधिकृत रूप से एक कमरा कार्यालय को दे रखा है, जिसका किराया प्रतिमाह पांच हजार रुपये निर्धारित है. डूडा इसका भुगतान भी करता है, लेकिन इसके अलावा एक कमरा इसने भी अनधिकृत रूप से अपने कब्जे में ले रखा है. इसका किराया नहीं देता.
बीएसएनएल ने भवन के ग्राउंड फ्लोर पर जेनेरेटर, छत पर टावर और बीच के कमरे में कंट्रोल रूम बना रखा है, लेकिन कभी किराया नहीं दिया.
सालों से जमे हैं, किराया फूटी कौड़ी भी नहीं
जिला पर्षद के भवन को अनधिकृत कब्जे से मुक्त कराने एवं बाजार दर से किराये का भुगतान बकाया समेत कराने का विभागीय आदेश भी धूल फांक रहा है. जिला पर्षद के भवन में पर्षद की अनुमति या स्वीकृति के बगैर ही लगभग आधा दर्जन सरकारी विभागों के दफ्तर खोल दिय गये. कॉरिडोर के पैसेज को भी खाली नहीं छोड़ा गया.
कई विभागों के अफसर तो 8 से 10 सालों से जमे हैं लेकिन ये विभाग जिला पर्षद को किराये के नाम पर एक पैसा देना भी मुनासिब नहीं समझते. इससे जिला पर्षद को अब तक करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है. भवन के प्रथम तल पर पुलिस विभाग का माल खाना है, जो अपने गांव पसारते जा रहा है.
जिला आपूर्ति पदाधिकारी कार्यालय, जिला कल्याण पदाधिकारी कार्यालय और शहरी विकास अभिकरण कार्यालय के अलावा केंद्र सरकार के प्रतिष्ठान बीएसएनएल ने भी भवन पर अपना कब्जा जमा रखा है. पंचायती राज विभाग ने ऊपरी तल्ले को पूरे कब्जे में ले रखा है. कल्याण विभाग और आपूर्ति विभाग के पदाधिकारी का कार्यालय इसमें 8 से 10 वर्षों से चल रहा है.

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