उदासीनता. प्रशासनिक उपेक्षा से बंद पड़े हैं जिले के अधिकतर सरकारी नलकूप
मंडराने लगा अकाल का खतरा ! निजी नलकूप पर आश्रित हैं जिले के किसान गत दो वर्षों से काफी कम हो रही है बारिश, गिर रहा है जल स्तर यदि समय रहते जल संकट का समाधान नहीं निकाला गया, तो आनेवाले दिनों में अन्न का भी संकट पैदा होगा. गत दो वर्षों से औसत से […]
मंडराने लगा अकाल का खतरा !
निजी नलकूप पर आश्रित हैं जिले के किसान
गत दो वर्षों से काफी कम हो रही है बारिश, गिर रहा है जल स्तर
यदि समय रहते जल संकट का समाधान नहीं निकाला गया, तो आनेवाले दिनों में अन्न का भी संकट पैदा होगा. गत दो वर्षों से औसत से कम वर्षा होने के कारण धीरे-धीरे जल स्तर नीचे जा रहा है. सिंचाई के अन्य स्त्रोतों के जल सूख रहे हैं. सरकारी नलकूप बेकार पड़े हैं. सूखे के कारण खेती काफी महंगी हो गयी है.
हाजीपुर : पिछले दो सालों से सूखे का सामना कर रहे वैशाली जिले पर अकाल का खतरा मंडराने लगा है. जिले में भूमिगत जल स्तर के नीचे खिसकते जाने का नतीजा है कि आमजन के सामने पेयजल का संकट ही नहीं, बल्कि सिंचाई के अभाव में यहां की खेती-बाड़ी भी चौपट हो रही है. जानकारों का कहना है कि यदि समय रहते जल संकट का समाधान नहीं निकाला गया, तो आनेवाले दिनों में अन्न का भी संकट पैदा होगा.
किसानों की मेहनत पर फिर रहा पानी : जिले के किसान सिंचाई व्यवस्था के ठप पड़ने से हलकान हैं. किसान हाड़-तोड़ मेहनत करके फसल तो लगाते हैं, लेकिन महंगी खाद, बीज और कीटनाशकों का प्रयोग करने के बाद भी सिंचाई के अभाव में उनकी फसल पूरी तरह से आबाद नहीं हो रही. जिले में कहीं भी सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों की मेहनत पर पानी फिर रहा है. सिंचाई की सुविधा के बिना उन किसानों को अभी काफी परेशानी उठानी पड़ रही है, जिन्होंने हरी सब्जियों की खेती कर रखी है. समय पर खेतों को पानी नहीं मिलने से जिले के लालगंज, वैशाली, राजापाकर, महुआ, जंदाहा समेत अनेक प्रखंडों में हरी सब्जियों की खेती बुरी तरह प्रभावित हो रही है.
सूखे पड़े हैं सिंचाई के स्रोत : जिले में विभिन्न प्रखंडों से होकर गुजरने वाली छोटी-छोटी नहरों के अलावा गंडक प्रोजेक्ट की नहरें और राजकीय नलकूप ही सिंचाई के मुख्य स्रोत हैं. जिले में प्रमुख नहरों की संख्या 24 है. इन दो दर्जन नहरों से 124 छोटी-छोटी नहरें निकलती हैं. इन नहरों की स्थिति है कि इनमें कहीं भी पानी नहीं है. अधिकतर नहरों का तो वजूद भी समाप्त हो चला है. ये नहरें समतल होकर चरागाह में तब्दील हो गयी है. इसके अलावा गंडक प्रोजेक्ट की नहरें, जो लालगंज, वैशाली और हाजीपुर प्रखंड क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं, वे भी सूखी पड़ी हैं. जिले के आहर, पोखर, कुएं और तालाब भी सूख चुके हैं.
वर्षों से ठप हैं राजकीय नलकूप : जिले में स्थित राजकीय नलकूप वर्षों से ठप पड़े हुए हैं. सैकड़ों की तादाद में स्टेट ट्यूब वेल हैं, जिनमें अधिकांश बंद पड़े हैं. पिछले वर्ष में पड़ी सुखाड़ के बाद चालू कराने की घोषणा की थी. अभी तक इस दिशा में कोई प्रयास नहीं दिखा. नतीजतन इस साल भी किसानों को सुखाड़ की चिंता सता रही है. जिले में नलकूपों के बारे में विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक जिले में 136 पुराने और नाबार्ड फेज-3 में 30, नाबार्ड फेज-8 के 40, फेज-1 के 140 यानी कुल 345 नलकूप हैं. इनमें 219 नलकूप बेकार हो गये. इन बेकार नलकूपों में डीजल चालित 23 वैसे पंप भी हैं, जो कृषक समितियों को सुपुर्द किये गये थे.
निजी बोरिंग और महंगे पानी पर हैं किसान निर्भर : किसान अपने खेतों की फसल बचाने के लिए मात्र निजी पंपसेट पर निर्भर हैं. जिले में खेती से जुड़े किसानों में 10 से 15 प्रतिशत किसानों के पास ही अपना निजी डीजल पंपसेट है. बाकी किसानों को निजी बोरिंग वालों से सवा सौ से डेढ़ सौ रुपये प्रति घंटे की दर से पानी खरीद कर अपनी फसलों की रक्षा करनी पड़ती है. अधिकतर किसान पैसे के अभाव में फसलों को जरूरत भर पानी नहीं दे पाते.
जल स्तर में गिरावट चिंता का विषय : बिदुपुर. जल का संरक्षण करना सभी मानव का कर्तव्य है. निरंतर जल स्तर के घटने से जल संकट उत्पन्न होने की समस्या आ गयी है. जल का संरक्षण करना अत्यावश्यक है. भविष्य में जल को लेकर ही विश्वस्तर पर युद्ध होने की आशंका है. जल ही जीवन है. पूरे विश्व में जलस्तर घटना चिंता का विषय है. वहीं, लोग जल संकट के कारण प्रदूषित जल भी पीने को विवश हैं. जल का संरक्षण करना सभी मानव का परम कर्तव्य है. जब जल सुरक्षित रहेगा, तब ही मानव, पशु-पक्षियों की जिंदगी सुरक्षित रहेगी. जल का दुरुपयोग करने से लोगों को बचना चाहिए. एक-एक बूंद पानी जीवन के लिए आवश्यक है. जल का संचय और शुद्धीकरण करना समय की मांग है. यह कथन अपना बचपन प्ले स्कूल के प्रांगण में आयोजित सोमिनार जल का संरक्षण क्यों आवश्यक है, का उद्घाटन करते हुए शिक्षाविद् रणविजय सिंह ने कही. उन्होंने लोगों को जल का संरक्षण करने के उपाय भी बताये. इस अवसर पर ऋषि एक्वा के संचालक ऋषि कुमार सिंह ने आये अतिथियों का स्वागत किया. इस अवसर पर दिनेश्वर प्रसाद सिंह, अशोक कुमार सिंह, अरुण कुमार सिंह, गुड्ड् कुमार, प्रमोद कुमार सिंह आदि गण्यमान व्यक्ति उपस्थित थे.