ड्राइ डे रहा पहला दिन

छलकते जाम व मचलते जाम नाम से चलनेवाली दुकानें बंद जिले में चलनेवाली अंगरेजी शराब की दुकानों में शुक्रवार को ताले लटकते देख कई पीने वाले मायूस दिखे. शुक्रवार की शाम पीने वालों के लिए शाम रंगीन नहीं हो सकी. इस तरह जिले में शराबबंदी का पहला दिन देशी या विदेशी कोई भी शराब पीने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 2, 2016 2:45 AM
छलकते जाम व मचलते जाम नाम से चलनेवाली दुकानें बंद
जिले में चलनेवाली अंगरेजी शराब की दुकानों में शुक्रवार को ताले लटकते देख कई पीने वाले मायूस दिखे. शुक्रवार की शाम पीने वालों के लिए शाम रंगीन नहीं हो सकी. इस तरह जिले में शराबबंदी का पहला दिन देशी या विदेशी कोई भी शराब पीने वालों के लिए ड्राइ डे के रूप में ही बीता. विभाग का कहना है कि अगले एक-दो दिनों में ही अंगरेजी शराब मिल सकेगी.
हाजीपुर : शराबबंदी के पहले दिन जिले में शहर से लेकर गांव तक इसका व्यापक असर दिखा. देर रात तक गुलजार रहनेवाले जिले के तमाम मयखाने वीरान पड़े रहे. एक अप्रैल से देशी और मसालेदार शराब पर तो पूरी तरह पाबंदी लग गयी, लेकिन इस दिन विदेशी शराब की भी कोई दुकान नहीं खुलने के कारण इसका सेवन करने वाले मन-मसोस कर रह गये. छलकते जाम और मचलते जाम जैसे नाम से चलनेवाली अंगरेजी शराब की दुकानों में ताले लटकते देख कई पीने वाले मायूस दिखे. शुक्रवार की शाम पीने वालों के लिए रंगीन न हो सकी. इस तरह जिले में शराबबंदी का पहला दिन देशी या विदेशी कोई भी शराब पीनेवालों के लिए ड्राइ डे के रूप में बीता.
आज से मिलने लगेगी अंगरेजी शराब : जिले में अब बिहार स्टेट बिवरेज कॉरपोरेशन द्वारा संचालित दुकानों से ही विदेशी शराब की बिक्री होनी है. इसके लिए हाजीपुर शहरी क्षेत्र में 20 और वैशाली में पर्यटक स्थल होने के नाते एक दुकान की स्वीकृति दी गयी है.
कॉरपोरेशन की व्यवस्था में कुछ कमियां रह जाने के कारण शुक्रवार को नगर की 20 में से एक दुकान भी नहीं खोली जा सकी. इस संबंध में उत्पाद अधीक्षक अरविंद कुमार ने बताया कि नगर में विदेशी शराब की 14 दुकानों की बंदोबस्ती कर बीएसवीसीएल को इसका लाइसेंस दिया जा चुका है. शेष छह दुकानों के लिए जगह तलाशी जा रही है. वैशाली में भी दुकान खोलने के प्रक्रिया चल रही है. दो अप्रैल से नगर में कम-से-कम चार-पांच दुकानें चालू हो जायेंगी.
नशामुक्त समाज के लिए जागरूकता पर जोर : सरकार ने तो अपना वादा निभाया, लेकिन अब समाज की बारी है. सिर्फ प्रशासनिक प्रयासों से शराबबंदी को सफल नहीं बनाया जा सकता. इसके लिए सामाजिक स्तर पर पहल और प्रयास की ज्यादा जरूरत है.
प्रबुद्ध नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह राय जाहिर करते हुए नशामुक्त समाज के लिए लोगों को जागरूक करने का संकल्प लिया. शराबबंदी को लेकर शुक्रवार को भी जागरूकता कार्यक्रम का सिलसिला जारी रहा. ग्रामीण इलाकों की महिलाएं इस सवाल पर मुखर होने लगी है. समाज के विभिन्न वर्गों के लोग जिस प्रकार शराबबंदी और नशामुक्ति अभियान से जुड़ने लगे हैं, इससे अभियान की सफलता की राह आसान होती दिख रही है.

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