शराबबंदी. जिले में दिखने लगा फर्क, हुआ सकारात्मक असर, शांत हुआ माहौल

कमी दुर्घटनाएं, मारपीट हुई कम चोरी की वारदाताओं में आयी कमी जिले में शराबबंदी के सात दिन व पूर्ण शराबबंदी के तीन दिन गुजर गये. इसका सबसे सकारात्मक असर यह रहा कि जिले का माहौल काफी शांत हुआ है. दुर्घटनाओं में अप्रत्याशित कमी आयी है व मारपीट की संख्या भी काफी कम गयी है. महिलाओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 3:34 AM

कमी दुर्घटनाएं, मारपीट हुई कम

चोरी की वारदाताओं में आयी कमी
जिले में शराबबंदी के सात दिन व पूर्ण शराबबंदी के तीन दिन गुजर गये. इसका सबसे सकारात्मक असर यह रहा कि जिले का माहौल काफी शांत हुआ है. दुर्घटनाओं में अप्रत्याशित कमी आयी है व मारपीट की संख्या भी काफी कम गयी है. महिलाओं में विशेष हर्ष देखा जा रहा है. वहीं, शराब के आदती भी अब काम करने के बाद घरों में समय पर लौटने लगे हैं. घरों का माहौल बदल गया है. कई डरे-सहमे बच्चे अपने अभिभावकों के काफी करीब आ गये.
हाजीपुर : बिहार सरकार द्वारा लागू की गयी शराबबंदी के सातवें दिन तक जो परिदृश्य बने हैं, उससे यह प्रमाणित हो गया है कि इस निर्णय का बिहार के विकास पर बहुआयामी असर होगा. शराबबंदी के इन सात दिनों में चार दिनों तक आधी बंदी रही, जबकि केवल तीन दिनों से पूर्ण शराबबंदी लागू है.
इतने कम समय में ही विभिन्न क्षेत्रों में इसके सकारात्मक असर दिख रहे हैं.
कमी दुर्घटनाओं की संख्या : शराबबंदी लागू होने के बाद जिले में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में गुणात्मक गिरावट आयी है. शराब की बिक्री के दौर में अमूमन प्रत्येक दिन एक दर्जन से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती थीं और औसतन चार से पांच जानें जाती थीं एवं दर्जन भर से अधिक लोग घायल हो जाते थे. इन सात दिनों में इसमें गुणात्मक गिरावट आयी और अब जिले में एक-दो सड़क दुर्घटनाएं भी नहीं हो रही हैं.
मारपीट की घटनाओं में आयी कमी : शराबबंदी के पूर्व जहां प्रत्येक दिन दर्जनों की संख्या में मापीट की घटनाएं होती थीं, वहीं अब इसकी संख्या में काफी कमी आयी है. लोगों का कहना है कि शराब पीने के बाद लोग छोटी-छोटी बातों को तूल देकर मारपीट कर लेते थे. वहीं, अब छोटी बातों को लोग टाल देते हैं, जिससे मारपीट की घटनाओं में कमी आयी है.
शाम होते ही लौट जाते हैं घर : शराबबंदी लागू होने के बाद एक-दो दिनों तक तो पीनेवाले लोग बाजार में शराब ढूंढ़ते नजर आये, लेकिन अब लोग शाम होते ही घर लौट जाते हैं. शाम होते ही बाजार में सन्नाटा पसर जाने के कारण रात में कोई राहजनी की घटना नहीं हुई. वहीं, शाम ढलते ही घरों में पहुंचने और बगैर शराब पिये सोने के कारण शहर में चोरी की घटना में भी कमी आयी है.
पारिवारिक कलह में भी आयी कमी : शहर के विभिन्न मुहल्लों के ऐसे घर, जहां पूर्व में देर रात गाली-गलौज की घटनाएं होती थी, पिछले सात दिनों से ऐसे घरों में भी शांति का माहौल कायम है और लोग परिवार के सदस्यों के साथ समय बीताने लगे हैं. पहले अपने अभिभावक से डरे-सहमे रहनेवाले कई बच्चे उनके करीब आ गये हैं. पारिवारिक कलह में कमी आने से न केवल पुलिस प्रशासन को आसानी हुई, बल्कि उनके पड़ोसियों ने भी राहत की सांस ली है.
राह चलते दुर्व्यवहार की घटनाएं हुईं समाप्त : शराबबंदी के पूर्व जहां शाम ढलते ही सड़क पर चलना मुश्किल था और किसी भी जगह किसी भी समय लोगों के साथ दुर्व्यवहार की घटना हो जाती थी और लोग या तो दुर्व्यवहार करनेवाले से मारपीट करते थे या शराब का नशा कह बगल से निकल जाते थे. लेकिन, इन सात दिनों में शहर में ऐसी एक भी घटना नहीं हुई. पूर्ण शराबबंदी हो जाने से लोग अब देर रात तक सड़कों पर आसानी से रह रहे हैं.
कई दूरगामी प्रभाव भी दिखेंगे : शराबबंदी के इन तात्कालिक प्रभावों के अलावा इसके कई दूरगामी प्रभाव भी होंगे, जो अभी स्पष्ट नहीं दिख रहा है. शराबबंदी के कारण जिले के हजारों वैसे गरीब, जो एक अप्रैल के पूर्व अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा शराब पर व्यय कर देते थे, अब उस राशि का या तो परिवार के विकास के लिए उपयोग करेंगे या उसका निवेश करेंगे, जो उनके आर्थिक और सामाजिक विकास का आधार बनेगा. इसके साथ ही गरीबों के स्वास्थ्य व्यय में भी भारी गिरावट आयेगी,
जिसका उपयोग वे अपने विकास के लिए करेंगे. समाज में शांति और सौहार्द का माहौल बनेगा, जो किसी भी समाज के विकास के लिए आवश्यक तत्व है. इस तरह पूर्ण शराबबंदी बिहार के चतुर्दिक विकास की कहानी लिखेगा, जिसकी शुरुआत हो चुकी है.

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