शराब के खिलाफ लड़ी लंबी लड़ाई

हाजीपुर : शराबबंदी के लिए काफी लंबे समय से आंदोलन चलते रहा है़ इसमें तेजी तब आयी जब सरकार ने गांवों में भी शराब की दुकान खोलने का लाइसेंस दे दिया था. 2010 की शुरुआत से ही लोग शराब के विरुद्ध गोलबंद होने लगे. शराबबंदी को लेकर वर्ष 2012 में बाबू शिवजी राय मेमोरियल लाइब्रेरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 11, 2016 6:46 AM

हाजीपुर : शराबबंदी के लिए काफी लंबे समय से आंदोलन चलते रहा है़ इसमें तेजी तब आयी जब सरकार ने गांवों में भी शराब की दुकान खोलने का लाइसेंस दे दिया था. 2010 की शुरुआत से ही लोग शराब के विरुद्ध गोलबंद होने लगे. शराबबंदी को लेकर वर्ष 2012 में बाबू शिवजी राय मेमोरियल लाइब्रेरी ने एक अभियान चलाया और शराब नहीं किताब दो एवं मदिरालय नहीं पुस्तकालय चाहिए के नारे के साथ एक सप्ताह का गोष्ठी, जुलूस आदि का कार्यक्रम चलाया. लाइब्रेरी के इस नारे को इतनी लोकप्रियता मिली कि विपक्षी दलों ने भी इस नारे को अपनाया.

इसके साथ हीं महिला ब्रिगेड, दुर्गा दस्ता, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, ऐपवा, आदि संगठनों ने समय-समय पर जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंडों तक में धरना-प्रदर्शन कर राज्य सरकार से शराबबंदी लागू करने की मांग की. कई बार स्वतंत्र रुप से महिलाओं ने धरना देकर इसकी मांग की थी. भले हीं कुछ लोग खुलकर शराब पीते हों लेकिन शराबबंदी को लेकर चलने वाले आंदोलनों का मौन समर्थन लोग करते रहें हैं. शराबबंदी लागू होने से वैसे लोगों में ज्यादा खुशी है जो इसके लिए आंदोलनरत थे.

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