सदर अस्पताल में न शेड है, न पानी
भीषण गरमी से सूखने लगते हैं मरीजों के हलक, परिजन भी रहते हैं परेशान दवा वितरण केंद्र के काउंटर पर रहती है भारी भीड़ दो-तिहाई मरीज मजबूरन बाहर खड़े रहने को होते हैं विवश यहां मरीजों के साथ आये लोग पड़ जाते हैं बीमार जिले में भीषण गरमी पड़ रही है. ऐसे में सदर अस्पताल […]
भीषण गरमी से सूखने लगते हैं मरीजों के हलक, परिजन भी रहते हैं परेशान
दवा वितरण केंद्र के काउंटर पर रहती है भारी भीड़
दो-तिहाई मरीज मजबूरन बाहर खड़े रहने को होते हैं विवश
यहां मरीजों के साथ आये लोग पड़ जाते हैं बीमार
जिले में भीषण गरमी पड़ रही है. ऐसे में सदर अस्पताल में बीमार पड़े लोगों को दवा वितरण केंद्र के सामने खुले आसमान के नीचे अपनी बारी के इंतजार में धूप की तपिश झेलनी पड़ती है.
इस परिसर में पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण हलक सूखने पर मरीज अपनी प्यास भी नहीं बुझा सकते. दवा वितरण केंद्र के काउंटर पर भीड़ इतनी होती है कि दो-तिहाई मरीजों को बरामदे के बाहर मजबूरन खड़े रहना पड़ता है. घंटों धूप में रहने के कारण इनमें कई मरीज गश खाकर गिर भी जाते हैं. परिसर में शेड की व्यवस्था नहीं होने के कारण इलाज कराने आये लोग बीमार हो जाते हैं.
हाजीपुर : सदर अस्पताल में दवा और पानी के लिए बेहाल हो रहे हैं यहां आनेवाले मरीज. धूप में घंटों पसीना बहाने के बाद बीमार लोगों को दवा तो मिल जा रही है, लेकिन प्यास बुझाने के लिए पानी मिलना मुश्किल है.
अस्पताल की लचर व्यवस्था के कारण दवा वितरण केंद्र पर मरीजों को दवाएं कम, दर्द ज्यादा मिल रहे हैं. एक तो रोगी के पुरजे पर चिकित्सक जो दवाएं लिखते हैं, उनमें कई दवाएं लोगों को बाहर से खरीदनी पड़ती हैं. जो मिल भी रही हैं, उसके लिए इस भीषण गरमी में घंटों मशक्कत करनी पड़ रही है. दवा वितरण केंद्र के काउंटर पर स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा मरीजों को सीधे दवा थमा दी जा रही है, लेकिन दवाओं को कब और कैसे खाना है, मरीज यह भी नहीं समझ पा रहे हैं. कर्मियों की कमी और रोगियों की बेशुमार भीड़ के कारण दवा वितरण की व्यवस्था चरमरा गयी है.
शेड के अभाव में धूप में जलते हैं मरीज : गरमी ऐसी है कि चिलचिलाती धूप का सामना करना एक स्वस्थ आदमी के लिए भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में बीमार पड़े लोगों को दवा वितरण केंद्र के सामने खुले आसमान के नीचे अपनी बारी के इंतजार में धूप की तपिश झेलनी पड़ती है.
इस परिसर में पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं कि हलक सूखने पर मरीज अपनी प्यास बुझा सके. दवा वितरण केंद्र के काउंटर पर भीड़ इतनी होती है कि दो-तिहाई मरीजों को बरामदे के बाहर मजबूरन खड़े रहना पड़ता है. घंटों धूप में रहने के कारण इनमें कई मरीज गश खाकर गिर भी जाते हैं. परिसर में शेड की व्यवस्था होती, तो मरीजों का धूप से बचाव होता. मरीज और उनके परिजन शिकायत करते हैं कि अस्पताल प्रबंधन न शेड का इंतजाम कर रहा है और न पानी का. दवा देने के लिए काउंटर भी नहीं बढ़ाये जा रहे हैं.
काउंटर छह, लेकिन दवाएं मिलती हैं सिर्फ एक पर : दवा वितरण केंद्र में कुल छह काउंटर बनाये गये हैं. इनमें सिर्फ दो नंबर काउंटर से ही दवाओं का वितरण होता है. एक नंबर और 6 नंबर काउंटर बंद पड़े हैं. बीच के तीन काउंटरों पर परचियों का डाटा अपलोड करने तथा रेडियोलॉजी व पैथोलॉजी से संबंधित जांच के कूपन दिये जाते हैं. दवा वितरण केंद्र में दवाओं के लिए आनेवाले मरीजों की संख्या हर दिन हजार से ऊपर होती है. महज एक काउंटर से इतनी संख्या में मरीजों को दवा और सेवन का परामर्श देना कितना मुश्किल है, समझ सकते हैं. महिला, वृद्ध या नि:शक्त मरीज के लिए भी अलग से कोई काउंटर नहीं.
पानी के लिए छटपटाते हैं मरीज : सदर अस्पताल में चिलचिलाती धूप के बीच प्यास से बिलबिलाते मरीजों और उनके परिजनों को पानी के लिए चक्कर लगाते यहां हर रोज देखा जा सकता है. कई सालों से यह समस्या बनी हुई है. जिले भर से प्रतिदिन यहां लगभग दो हजार मरीज इलाज को पहुंचते हैं. सुदूर क्षेत्र के लोगों को यहां दिन भर गुजरना पड़ता है.
उनकी परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब प्यास बुझाने को पानी नहीं मिल पाता. सदर अस्पताल परिसर में पेयजल की समस्या दूर करने के लिए पांच नये चापाकलों को लगाने का निर्णय लिया गया था. दवा वितरण केंद्र परिसर में एक, ओपीडी परिसर में एक, मातृ-शिशु इकाई परिसर में एक, ब्लड बैंक व यक्ष्मा केंद्र के निकट एक तथा सर्जिकल वार्ड के परिसर में एक चापाकल लगाने की योजना है. अस्पताल प्रशासन ने लिखा पीएचइडी को और पीएचइडी ने इसे नगर पर्षद के जिम्मे बता कर अपना पल्ला झाड़ लिया. समस्या अभी तक बनी है.