भिलाई : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित जयचंद वैद्य अपहरण कांड के एक आरोपीवैशाली के लोजपा सांसद रामा सिंह ने मंगलवार को दुर्ग जिला न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया है. सांसद रामकिशोर सिंह उर्फ रामा सिंह को छत्तीसगढ़ स्थित दुर्ग के कोर्ट ने सात दिनों के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. उन पर एक व्यापारी के अपहरण का आरोप है. इस आरोप में छह लोगों को पहले ही उम्रकैद की सजा हो चुकी है, जबकिरामा सिंह इस मामले में फरार चल रहे थे.
रामा सिंह के अदालत में हाजिर न होने पर निचली अदालत ने तब पुलिस को यह आदेश दिया था कि वह स्पेशल फोर्स का गठन कर आरोपित को कोर्ट में हाजिर करें. फिर भी पुलिस रामा सिंह को हाजिर नहीं कर सकी. इस मामले में खुद को बरी किये जाने को लेकर सिंह ने बिलासपुर हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी. बाद में इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गये, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें निचली अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सात जून तक दुर्ग कोर्ट में हाजिर होने की बात रामा सिंह की ओर से कही गयी थी.
मंगलवार को अंतिम दिन रामा सिंह दुर्ग कोर्ट में हाजिर हुए, जहां पुलिस ने उनकी 20 दिनों की रिमांड की मांग की. पुलिस का कहना था कि इस मामले में छह लोगों को उम्रकैद की सजा हो चुका है, जबकि इसी मामले में सिंह आरोपित है. सिंह से पूछताछ के अलावा कई अहम सुराग हासिल करने है, इसलिए 20 दिनों की रिमांड दी जाये, लेकिन कोर्ट ने सात दिनों का रिमांड दिया है.
क्या है मामला
यह मामला 2001 का है. भिलाई के व्यापारी और पेट्रोल पंप के मालिक जयचंद वैध का अपहरण कर लिया गया. लगभग डेढ़ माह बाद 25 लाख रुपये फिरौती देकर जयचंद वैध रिहा हुए. बाद में इस मामले में छह अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई गयी. रामा सिंह भी इसमें आरोपित हैं. पुलिस के मुताबिक उन्हें आरोपित बनाने का पहला आधार यह रहा है कि व्यापारी की गाड़ी का इस्तेमाल रामा सिंह ने पटना में किया था. बाद में इस गाड़ी को पटना पुलिस ने जब्त किया. तब रामा सिंह के ड्राइवर ने तब यह कबूल किया था कि गाड़ी का उपयोग रामा सिंह करते थे. बाकी अभियुक्तों ने भी रामा सिंह के संलिप्त होने की बात कही है.
रामा सिंह का राजनीतिक सफर
रामा सिंह 2014 लोकसभा चुनाव में बिहार के वैशाली से लोजपा के टिकट पर सांसद बने. वैशाली जिले की महनार सीट से रामा सिंह दो बार विधायक भी रह चुके हैं. साल 2000 में वह निर्दलीय और 2005 मेंलोजपा के टिकट पर पर चुनाव जीते थे. 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में अपने करीबियों को लोजपा से टिकट नहीं मिला तो वह नाराज हो गये थे.इसकेबाद उन्होंने लोजपा के सारे पदों से इस्तीफा दे दिया था.