हर मुसलमान पर फर्ज है रोजा

रमजानुल मुबारक बंदों पर रहमतो की होती है बारिश, रोजा बंदों की प्यारी इबादत गोपालगंज : माह-ए-रमजान के पहले दिन मौलाना ने फरमाया है कि हर मुसलमान पर रोजा रखना फर्ज है. रोजा रखने से बरकत होती है. इस दौरान की गयी एक नेकी का सौ गुना सवाब मिलता है. लिहाजा रमजान के पाक महीने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2016 12:47 AM

रमजानुल मुबारक बंदों पर रहमतो की होती है बारिश, रोजा बंदों की प्यारी इबादत

गोपालगंज : माह-ए-रमजान के पहले दिन मौलाना ने फरमाया है कि हर मुसलमान पर रोजा रखना फर्ज है. रोजा रखने से बरकत होती है. इस दौरान की गयी एक नेकी का सौ गुना सवाब मिलता है.
लिहाजा रमजान के पाक महीने में ज्यादा-से-ज्यादा इबादत करनी चाहिए. इस महीने में गरीबों और मजलूमों की मदद करनी चाहिए. जामा मसजिद के इमाम शौकत फहमी ने बताया कि इसलाम के चार अहम रुक्नों में तीसरा रुक्ना रोजा है. सन् दो हिजरी में रोजा मुसलमानों पर फर्ज करार दिया गया है. रोजा बंदों की प्यारी इबादत है. खुदा की बारगाह में एक हदीस में आया है कि सारी इबादतों का बदला खुदा अपने फरिश्तों के हाथों अता फरमाता है,
लेकिन रोजा वह इबादत है जिसका बदला खुदा खुद अपने बंदों को बराहे रास्ते (बगैर किसी माध्यम) के अता करेगा. इस महीने में एक रात ऐसी है जिसमें की गयी इबादत हजार महीनों में की गयी इबादत से कहीं बेहतर है. जब यह महीना आता है अल्लाह आसमान के दरवाजे खोल देता है. इसी तरह वह जन्नत के दरवाजे भी खोल देता है.
बंदों पर रहमतों की बरसात होती है. जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिये जाते हैं. शैतानों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है. ऐसे में मुसलमान और महीनों के बजाय इस महीने में खुदा की इबादत कुछ ज्यादा ही करते हैं.

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