Valentine Week: नीता को देखते ही दिल दे बैठे थे अशोक चौधरी, जानें नीता को अशोक में क्या आया था पसंद

बिहार में कई ऐसे राजनेता हुए जिन्होंने अपनी राजनीति से अधिक प्रेम कहानियों के कारण लोगों के बीच प्रसिद्ध हुए. वैलेंटाइन डे की इस खास कड़ी में आज हम पेश कर रहे हैं अशोक चौधरी व नीता के बीच पहली मुलाकात से शादी तक की कहानी..

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2023 5:05 PM

पटना. वसंत का मौसम और वैलेंटाइन डे के नजदीक आते ही प्यार की कहानियां चर्चा में आ जाती हैं. प्यार ही एक ऐसी दौलत है, जो अमीर से गरीब तक संत से सैतान तक के पास होता है. बिहार में कई ऐसे राजनेता हुए जिन्होंने अपनी राजनीति से अधिक प्रेम कहानियों के कारण लोगों के बीच प्रसिद्ध हुए. वैलेंटाइन डे की इस खास कड़ी में आज हम पेश कर रहे हैं अशोक चौधरी व नीता के बीच पहली मुलाकात से शादी तक की कहानी..

6 वर्षों तक प्रेम-प्रसंग चला,फिर हुई शादी 

बिहार सरकार मंत्री अशोक चौधरी बिहार के उन नेताओं में से हैं, जिन्होंने प्रेम विवाह किया है. नीता से उनकी पहली मुलाकात एक दोस्त की पार्टी में हुई थी. पहली ही नजर में अशोक चौधरी दिल दे बैठे. उस मुलाकात के बाद अशोक चौधरी और नीता एक-दूसरे के करीब आए और फिर दोनों का कैसे विवाह हुआ. ये सब कुछ यूं ही नहीं हुआ. दोनों के बीच करीब 6 वर्षों तक प्रेम-प्रसंग चला और फिर 7वें वर्ष में दोनों ने शादी करने का फैसला किया. दोनों ने उस फैसले को अपने जीवन का सबसे बेहतरीन फैसला माना है. दोनों हर साल उस तारीख को जश्न के साथ याद करते हैं.

प्यार के लिए वक्त हमेशा थमा ही रहता है

स्थानीय मीडिया से बात करते हुए अपनी प्रेम कहानी के बारे में अशोक चौधरी ने बताया कि उनकी प्रेम कहानी की शुरुआत कॉलेज के समय में एक मित्र की पार्टी में हुई थी. इसके बाद हमारी धीरे-धीरे बातचीत शुरू हुई. मुलाकात हुई और एक-दूसरे को जानने के बाद कमिटमेंट कर शादी कर ली. नीता की तारीफ में अशोक चौधरी कहते हैं कि वे काफी खूबसूरत हैं और सबसे अलग हैं. अशोक चौधरी कहते हैं कि वक्त भले ही बीत गया हो लेकिन प्यार के लिए वक्त हमेशा थमा ही रहता है. अशोक चौधरी कहते हैं कि उनके लिए हर वैलेंटाइन डे वही वैलेंटाइन डे होता है. जब इन्होंने पहली बार इसे मनाया था.

नीता नहीं चाहती थी अशोक बने नेता 

नीता चौधरी कहती हैं कि अशोक हमें बाकी लड़कों में काफी अच्छे लगते थे इसलिए पसंद आ गए. इनके बात करने का तरीका सब कुछ काफी अलग था. इनके प्रपोज करने का भी तरीका काफी लग रहा है, इससे हमेशा अट्रैक्ट हुई. नीता चौधरी कहती हैं उस वक्त अशोक पॉलिटिक्स में नहीं थे. अपना बिजनेस कर रहे थे. नीता बताती हैं कि उन दिनों उनका ज्यादातार रहना दिल्ली में हुआ करता था तब अशोक चौधरी उन्हें फिल्मों के गाने रिकार्ड करके भेजते थे. नीता कहती है कि वो चाहती थीं कि अशोक चौधरी राजनीति में आयें. वो चाहती थी कि अशोक चौधरी अपने बिजनेस को ही आये बढ़ायें. लेकिन समय और परिस्थिति ने अशोक को राजनीति में ला दिया.

Next Article

Exit mobile version