पटना. वसंत का मौसम और वैलेंटाइन डे के नजदीक आते ही प्यार की कहानियां चर्चा में आ जाती हैं. प्यार ही एक ऐसी दौलत है जो अमीर से गरीब तक संत से सैतान तक के पास होता है. बिहार में कई ऐसे राजनेता हुए जिन्होंने अपनी राजनीति से अधिक प्रेम कहानियों के कारण लोगों के बीच प्रसिद्ध हुए. वैसे तो लालू प्रसाद और राबड़ी देवी आज भी बिहारी की राजनीति में सबसे प्यारे दंपती हैं, लेकिन कई ऐसे नेता भी हैं जिन्होंने अपने जीवन में प्यार को प्राथमिकता दी. जिनकी प्रेम कहानी लोगों की जुंबा पर है. वैलेंटाइन डे की इस खास कड़ी में आज हम बात कर रहे हैं बिहार की सांसद रंजीता रंजन और पूर्व सांसद पप्पू यादव के बीच पहली मुलाकात से शादी तक की कहानी..
अपनी दबंगई से कभी चर्चा में रहने वाले पप्पू यादव के दिल में भी किसी के लिए ऐसा प्यार उमड़ा कि उनकी प्रेम कहानी लोगों की जुबां पर और किताबों में दर्ज हो गयी. रंजीता रंजन और पप्पू यादव की लव स्टोरी किसी फिल्मी कहानी जैसी है. हत्या जैसे अपराध की सजा काट रहे पप्पू यादव को एक खिलाड़ी से प्यार हो गया. पप्पू यादव के लिए इस प्यार को पाना इतना आसान भी नहीं रहा. उन्हें अपने प्यार को मनाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े. कहा जाता है कि वे रंजीता रंजन की फोटो देखकर कुछ इस कदर फिदा हो गये कि सब कुछ भूलकर उनकी एक झलक पाने के लिए हर दिन टेनिस कोर्ट पहुंच जाते थे, जहां वो खेला करती थीं.
पहले तो रंजीता को ये सब पसंद नहीं आ रहा था. उन्होंने कई बार मना किया. पप्पू नहीं माने तो एक दिन कड़े शब्दों में डांट भी दिया. लेकिन दिल है कि मानता नहीं. आखिरकार पप्पू ने अपनी बात रंजीता के सामने रख दी. रंजीता ने कह दिया कि वे सिख है और पप्पू हिंदू, परिवार वाले ये शादी नहीं होने देंगे. पप्पू यादव भी कहां माननेवाले थे. पहले अपने घर और फिर संजीता के घर तक इस प्यार की कहानी को पहुंचा दिया. पप्पू यादव के आनंद मार्गी पिता चंद्र नारायण प्रसाद और माता शांति प्रिया की ओर से तो कोई समस्या नहीं थी, लेकिन रंजीता रंजन के माता पिता ग्रंथी थे और इस विवाह के खिलाफ थे. जब रंजीता के परिजनों की ओर से शादी की मंजूरी नहीं मिली, तो पप्पू यादव, रंजीता के बहन-बहनोई को मनाने चंडीगढ़ पहुंच गये, लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं था.
अपनी किताब ‘द्रोहकाल का पथिक’ में पप्पू यादव ने अपनी लव स्टोरी का जिक्र विस्तार से किया है. उन्होंने लिखा है कि कैसे हताश-परेशान होकर उन्होंने एक बार नींद की ढेरों गोलियां खा ली थीं. हालत बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए पीएमसीएच में एडमिट कराया गया था. पप्पू निराश थे, लेकिन कांग्रेस नेता एसएस अहलूवालिया उम्मीद बनकर सामने आये. पप्पू यादव उनसे मदद की गुहार लगाई. जतन सफल हुआ. पप्पू यादव पास हो गये. प्यार की जीत हुई और रंजीता के घरवाले भी शादी को लेकर तैयार हो गए. पप्पू-रंजीता की शादी भी किसी परी कथा से कम नहीं थी. पप्पू यादव की शादी को लेकर पूर्णिया की सड़कों को पूरी तरह सजा दिया गया था. शहर के सारे होटल और गेस्ट हाउस बुक थे. आम और खास सबके लिए व्यवस्था की गई थी. आज पप्पू जन अधिकार पार्टी के सांसद हैं तो उनकी पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस की सांसद हैं.