बिहार के पश्चिमी चंपारण में स्थित राज्य के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व 20 अक्टूबर में शुक्रवार को एक बार फिर से जंगल सफारी सेवा की शुरुआत हो गई है. वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामनी और वन प्रमंडल पदाधिकारी डॉ. नीरज नारायण ने जंगल कैंप परिसर से हरी झंडी दिखाकर जंगल सफारी को रवाना और इस पर्यटक सीजन की शुरुआत की.
शुरू हुआ पर्यटक सीजन
वहीं इससे पहले मानसून सीजन के कारण वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के आने पर रोक लगा दी गयी थी. जिस कारण पर्यटन नगरी में सन्नाटा का आलम था. लेकिन अब 20 अक्टूबर से एक बार फिर से पर्यटक सीजन की शुरुआत हो चुकी है. जिसके बाद जंगल सफारी की टीम सैलानियों को लेकर जंगली जानवरों का दीदार कर रही है. पर्यटक गंडक नदी में नौकायन का भी आनंद ले रहे हैं. साथ ही वाल्मीकिनगर की सुंदर वादियों में पर्यटक अब एक बार फिर से अपनी भागम भाग की जिंदगी से दूर सुकून भरे कुछ पल बिता पाएंगे.
वन क्षेत्र में कई प्राचीन मंदिर भी हैं
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित महर्षि वाल्मिकी की तपोस्थली वाल्मिकीनगर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. पड़ोसी देश नेपाल में वाल्मिकीनगर से सटकर बहने वाली गंडक नदी की धारा के किनारे ऊंचे-ऊंचे पहाड़ खड़े हैं. वाल्मिकी टाइगर रिजर्व विभिन्न प्रकार के शाकाहारी और मांसाहारी जानवरों के साथ-साथ पक्षियों और जानवरों का भी घर है. इसके अलावा वन क्षेत्र में कई मंदिर भी प्राचीन काल से स्थापित हैं.
रहने से लेकर खाने तक की सभी व्यवस्था होगी उपलब्ध
टाइगर रिजर्व में सैनालियों के रहने के लिए वातानुकूलित सूईट रूम के साथ-साथ अत्याधुनिक सुविधाओं वाले होटल, बंबू हट, इको हट, ट्री हट के साथ-साथ गेस्ट हाउस की भी सुविधा है. भोजन के लिए कैंटीन और तमाम तरह के रेस्टोरेंट भी खुल गये हैं. गंडक तट पर यहां बेहद ही खूबसूरत इको पार्क भी है. इन सभी स्थानों को वन विभाग द्वारा दुरुस्त कर दिया गया है, ताकि यहां आने वाले पर्यटन भरपूर आनंद उठा सकें. वाल्मीकि नगर के खुलने का पर्यटकों को लंबे समय से इंतजार था. ऐसे में जब शुक्रवार को जब विटीआर खुला तो पर्यटकों का उत्साह देखने लायक था.
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वाल्मीकिनगर में इन जगहों की कार सकते हैं सैर
भारत-नेपाल सीमा पर बसे वाल्मीकिनगर का पिछले कुछ सालों में पर्यटन के लिहाज काफी विकास हुआ है. कैनोपी वॉक, गंडक बराज, नरदेवी मंदिर, जटाशंकर टेंपल, कौलेश्वर झूला, वाल्मीकिनगर आश्रम, मदनपुर देवी स्थान यहां के प्रमुख टूरिस्ट प्वाइंट हैं. यहां जगल सफारी और बोटिंग सफारी की भी व्यवस्था है. इसके साथ ललभितिया सनसेट प्वाइंट भी आकर्षण का केंद्र है. वीटीआर के अलावे गोवर्धना और मंगुराहा रेंज में भी पर्यटकों के ठहरने के बेहतर इंतजाम हैं. मंगुराहा के भिखनाठोरी में तमाम टूरिस्ट साइट हैं, यहां भी जंगल सफारी का इंतजाम है. यहां पहुंचने वाले पर्यटक पड़ोसी देश नेपाल के त्रिवेणी धाम और चितवन नेशनल पार्क की भी सैर कर सकते हैं.
कैसे पहुंचे वाल्मीकिनगर?
पश्चिम चंपारण जिला मुख्यालय बेतिया से वाल्मीकिनगर करीब 108 किमी दूर है. पटना से इसकी दूरी 325 किमी है. नजदीकी रेलवे स्टेशन बगहा से यह करीब 40 किमी दूर है. यहां से बस सेवा सुलभ है. इसके अलावा वन विभाग की ओर से वाल्मीकिनगर, मंगुराहा, गोवर्धना आदि जगहों के लिए टूरिस्ट बसें भी पर्यटन सत्र में चलायी जाती हैं. पटना के मौर्या होटल से हर शुक्रवार को टूरिस्ट बस वाल्मीकिनगर आती है. 4500 रुपये में तीन दिन का सैर कराया जाता है. वहीं, बेतिया से एक दिन का सैर 1200 रुपये में कराया जाता है. इसके लिए टूरिस्ट बस का इंतजाम है.
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भैंसालोटन था था वाल्मीकि नगर का पुराना नाम
4 जनवरी 1964 को वाल्मीकिनगर का नाम अस्तित्व में आया था. इसी दिन बिहार के तत्कालीन राज्यपाल अनंतस्यानम आयंगर ने वाल्मीकिनगर नाम को सरकारी स्तर पर आधिकारिक स्वीकृति दी थी. इससे पहले वाल्मीकिनगर का नाम भैंसालोटन था.