वाराणसी-कोलकाता एक्स्प्रेस का फंस गया निर्माण, अधर में लटक गयी इन जिले के लोगों की किस्मत, जानें क्या है कारण
वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले किसानों के एक शिष्टमंडल ने अपनी मांगों को लेकर रविवार को समाधान यात्रा के दौरान पढ़ौती पुस्तकालय भवन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ज्ञापन सौंपा.
वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले किसानों के एक शिष्टमंडल ने अपनी मांगों को लेकर रविवार को समाधान यात्रा के दौरान पढ़ौती पुस्तकालय भवन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ज्ञापन सौंपा. इसमें मुख्य रूप में प्रभावित किसानों को भूमि की स्थिति के अनुसार व्यावसायिक, आवासीय और खेतिहर के आधार पर उचित मुआवजा देने और मुख्य पथ की बगल में सहायक पथ का प्रावधान करने की मांग की गयी है. शिष्टमंडल का नेतृत्व करने वाले भभुआ प्रखंड के पूर्व प्रमुख व किसान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष पशुपति नाथ सिंह और प्रभात सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री ने मौके पर डीएम को इस संंबंध में विचार-विमर्श कर किसानों के हित में उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया.
जमीन देने में आपत्ति नहीं, केवल सर्किल रेट बढ़ाए किसान
प्रभात सिंह बताया कि हमें एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन देने में कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन, 10 साल से क्षेत्र का सर्किल रेट यथावत है. नियमानुकूल इसे पहले ही बढ़ जाना चाहिए था. वर्तमान में बाजार दर और सर्किल रेट में जमीन-आसमान का अंतर है. इसलिए जमीन की वास्तविक स्थिति के अनुसार वर्तमान दर पर मुआवजा मिलना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस संबंध में 25 जनवरी को किसानों की एक बैठक हुई थी, जिसमें इन मांगों को नहीं माने जाने पर आंदोलन करने का निर्णय लिया गया था. इस संबंध में डीएम को भी दो बार ज्ञापन दिया जा चुका है.शिष्टमंडल में रामायण सिंह, छोटू जी, संजय सिंह, निर्मल सिंह, रविकांत सिंह, रामबचन पाल, बनारसी बिंद, राम प्रकाश सिंह, प्रवीण सिंह, प्रमोद कुमार, सिपाही पासवान, धर्मराज सिंह व अन्य शामिल थे.
बगैर नोटिस हो रहा सीमांकन
किसानों ने कहा कि बिना किसानों को सूचना दिये या बगैर नोटिस दिये ही एक्सप्रेस-वे का सीमांकन किया जा रहा है. इसके लिए खेतों में पाइलिंग भी की जा रही है. किसानों ने बताया कि जब किसी से बात करने का प्रयास किया जाता है, तो कोई बात करने को भी तैयार नहीं है. 2013 के बाद 2023 में एक्सप्रेस-वे के लिए हो रहे भूमि अधिग्रहण में यदि वही रेट दिया जायेगा, तो सभी किसान आंदोलन को बाध्य होंगे.