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वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के 2026 तक बनने की उम्मीद, सिर्फ सात घंटे में तय होगा सफर

वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश से शुरू होकर बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल तक जायेगी. इसकी अनुमानित लागत करीब 28,500 करोड़ रुपये है. आठ लेन के इस एक्सप्रेस वे का ज्यादातर हिस्सा यानि करीब 242 किमी पश्चिम बंगाल में बनेगा.

पटना. देश और बिहार की महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाओं में शामिल वाराणसी- कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे का निर्माण वर्ष 2026 तक पूरा होने की संभावना है. फिलहाल इस सड़क को बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया बिहार के औरंगाबाद, कैमूर और रोहतास जिलाें सहित झारखंड में भी चल रही है. जमीन अधिग्रहण पूरा होने पर इस सड़क का निर्माण इसी साल शुरू होने की संभावना है.

वाराणसी से कोलकाता की दूरी हो जाएगी सात घंटे की 

करीब 610 किमी लंबाई में बन रहा यह एक्सप्रेस वे उत्तर प्रदेश से शुरू होकर बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल तक जायेगी. इसकी अनुमानित लागत करीब 28,500 करोड़ रुपये है. आठ लेन के इस एक्सप्रेस वे का ज्यादातर हिस्सा यानि करीब 242 किमी पश्चिम बंगाल में बनेगा. इसके बनने से वाराणसी से कोलकाता की दूरी तय करने का समय करीब 14 घंटे से घटकर सात घंटे रह जायेगा. जिससे लोगों को आवागमन में काफी सहूलियत होगी.

उलबेड़िया में नेशनल हाइवे 19 पर समाप्त होगी एक्सप्रेसवे 

सूत्रों के अनुसार वाराणसी- कोलकाता एक्सप्रेस वे बिहार के कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जिलों से गुजरने के बाद झारखंड में प्रवेश करेगा. यह एक्सप्रेस वे झारखंड के चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, पीटरबार और बोकारो से गुजरेगा. वहीं, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बांकुड़ा, हुगली, हावड़ा से होकर गुजरेगा. वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे हावड़ा जिले के उलबेड़िया में नेशनल हाइवे 19 पर समाप्त होगा. उलबेड़िया का इलाका कोलकाता शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित है.

व्यापार को मिलेगा बढ़ावा 

इस एक्सप्रेस वे बनने से यूपी, बिहार और झारखंड में व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा. यूपी, बिहार और झारखंड में कोलकाता और हल्दिया बंदरगाहों से ही माल लाया ले जाया जाता है. एक्सप्रेसवे बनने से माल की आवाजाही जल्द होगी. जिससे इन सभी राज्यों की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा.

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निर्माण की मंजूरी मिली थी 2021 में 

इस प्रस्तावित एक्सप्रेसवे को साल 2021 में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव के नेतृत्व में की गई बैठक में मंजूरी दी गई ताकि समय और लागत बचाने के लिए प्रमुख शहरों को हाइवे के माध्यम से जोड़ा जा सके. यह एक्सप्रेसवे रोहतास, औरंगाबाद, गया, चतरा, हजारीबाग, रांची, बोकारो, धनबाद, रामगढ़, हावड़ा और अन्य जगहों से होकर गुजरेगा.

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