पटना. मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से एसवीयू (स्पेशल विजिलेंस यूनिट) ने गुरुवार को पांच घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की. एसवीयू के कार्यालय में हुई पूछताछ में उनसे अवैध कमाई के अलावा उनके कार्यकाल में हुए घोटालों से जुड़े सवाल पूछे गये.
कुलपति पर आय से अधिक संपत्ति (डीए) संपत्ति मामले में एसवीयू ने छापेमारी की थी. इस दौरान उनके घर से करीब 1.82 करोड़ कैश के अलावा कई संवेदनशील दस्तावेज बरामद किये गये थे. इसके बारे में भी उनसे पूछताछ की गयी.
उन्होंने बताया कि यह पूरी राशि ट्रस्ट की है. जिस ट्रस्ट के बारे में वह बता रहे हैं, उस ट्रस्ट के सदस्य कुलपति और उनके बेटे दोनों हैं. इसमें अधिकतर लोग उनके घर के ही सदस्य हैं. इस ट्रस्ट के माध्यम से एक निजी स्कूल का संचालन गोरखपुर में किया जाता है. बताया जाता है कि इस स्कूल में काफी अवैध राशि कुलपति की ही लगी हुई है. हालांकि, उन्होंने इससे जुड़ी किसी बात का कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया.
विवि से संबंधित दस्तावेजों के बारे में भी पूछा गया, तो उन्होंने इसका घुमा-फिरा कर जवाब दिया. विवि में कॉपी व किताब खरीद में गड़बड़ी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इसका सारा दोष दूसरे पर मढ़ दिया. लाइब्रेरी में किताब की खरीद में हुई धांधली के बारे में उन्होंने लाइब्रेरियन को दोषी बताया.
गार्ड की तैनाती में पैसे की अवैध निकासी के लिए भी संबंधित पदाधिकारी को दोषी ठहराया. लेकिन, जब उनसे पूछा गया कि ये सारे आदेश उनके स्तर से ही अंतिम रूप से पास किये गये हैं, तो वह सटीक जवाब नहीं दे पाये. उनसे लखनऊ की दोनों कंपनियों को तमाम नियमों की अनदेखी करके सभी टेंडर देने के बारे में भी सवाल पूछे गये, तब भी वह कुछ स्पष्ट नहीं बता पाये.
कुलपति की अग्रिम जमानत याचिका पर 25 जनवरी को कोर्ट में सुनवाई होने वाली है. अगर इस दिन कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को नामंजूर कर दिया, तो उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है.