प्रमोद तिवारी, गोपालगंज. 2020 में आया कोराना का संकट लोगों को बेरोजगार कर जहां झकझोर दिया, वही संक्रमण की यह घड़ी गरीब वेदांती के लिये वरदान बन गया है.
कोरोना के संकट में वेदांती ने नये ढंग से जीने की कला तलाश ली है. एक-दो बकरी पालन कर परिवार चलाने वाली वेदांती कोरोना काल में ही बकरी पालन का ट्रेनिंग कर 30 महिलाओं की टीम बना 2021 में गोटरी के क्षेत्र में इतिहास रचने का ठान ली है.
कुचायकोट प्रखंड के सिरिसियां गांव की वेदांती देवी बताती है कि वे लाग गरीब परिवार से आते हैं. मेहनत मजदूरी कर वे लोग परिवार चलाते हैं, इसके साथ ही वे पहले से ही एक-दो बकरी पालन करती है.
कोरोना में जब मजदूरी मिलना बंद हो गया तो उस समय वे अपने परिवार का खर्च बकरी बेच कर चलायी और उस दिन का बकरी बेचना ही उसके जीवन का टर्निंग प्वाईंट बन गया. वे बताती है कि तभी मैन सोचा की बड़े पैमाने पर यदि बकरी पाला जाये तो गरीबी ही मिट जायेगी.
इसके लिये उसने बकरी पालने वाले से संपर्क किया और खुद तो ट्रेनिंग ली हीं, पास के 30 महिलाओं का ग्रुप बनाकर सबको ट्रेनिंग दिलवायीं. इसमें सुनिता दीदी, शामपति दीदी जैसी कई महिलायें अपने पैसे से बकरी पालन शुरू कर दी हैं.
इनका लक्ष्य 2021 में फॉर्म बनकर सौ बकरी और 10 बकरा पालने का है. वेदांती के टीम में 30 महिला दीदीयां हैं. सभी मिलकर जमीन की तलाश कर ली हैं और मिट्टी भराई का काम भी पूरा कर चुकी हैं.
बकरी पालन के लिये ये सरकार को आवेदन भी कर चुकी हैं, जिसे नये साल के पहले ही माह में पूरा होने की उम्मीद हैं. वेदांती ने कहा कि बकरी पालन के तहत बकरे और दूध का सप्लाई करने का लक्ष्य तो है ही, साथ ही फॉर्म को बकरी प्रजनन केंद्र के रूप में विकसित किया जायेगा.
उन्होंने कहा कि बकरी पालन की ओर महिलाओं को अग्रसर कर गरीबी दूर करना उनका लक्ष्य है. बकरी पालन को बढ़ावा देने में नवार्ड के तरफ से पहल किया जा रहा.
नवार्ड की देख-रेख में विभा सेवा संस्थान के सचिव सत्येंद्र किशोर, डॉ धमेंद्र पांडेय, मनीष कुमार मिश्रा के निगरानी में 100 यूनिट का गोट फॉर्म बन रहा है, जसमें डीडीम नावार्ड अनुपम लाल कुसमाकर लगातार अपना योगदान देनें में लगे हैं.
माना जा रहा है कि इस माह में बकरी पालन का बड़ा यूनिट महिलाओं को रोजगार देने लगेगा. ग्रामीण बैंक ने वित्त पोषित करने की स्वीकृति दी है.
Posted by Ashish Jha