वीर कुंवर सिंह सेतु के निर्माण से घटी आरा और छपरा की दूरी, पर सफर हुआ मुश्किल; ओवरलोड वाहनों से कराह रहा पुल
कई बार वीर कुंवर सिंह सेतु पर 8 से 10 घंटे जाम लगता है. डोरीगंज से लेकर छपरा से भिखारी चौक तक रोजाना हजारों ट्रक एक नहीं चार-चार लेन में खड़े रहते हैं. वहीं, पुल के एक लेन पर हमेशा ट्रक खड़े रहते हैं, जिससे छोटी गाड़ियों के आवागमन में परेशानी होती है.
सारण को आरा से जोड़ने वाले छपरा-आरा वीर कुंवर सिंह सेतु का उद्घाटन वर्ष 2017 में इस उद्देश्य से किया गया था कि दोनों जिलों की दूरियां घटेंगी. छपरा व आरा के बीच आर्थिक व सामाजिक गतिविधियां बढ़ेंगी. खासकर डोरीगंज के आस-पास दियारा क्षेत्र में रहने वाले लोगों को भी पुल के बन जाने से आरा जाना आसान हो जायेगा, लेकिन निर्माण के पांच वर्ष बीतने के बाद भी इस पुल से आरा तक का सफर यहां के लोगों के लिए कर पाना मुश्किल है. सालों भर इस पुल से बालू लदे वाहनों का परिचालन होता है. हालांकि कुछ दिन पहले राज्य सरकार के कड़े निर्देश पर भारी वाहनों के परिचालन पर रोक लगा दी गयी. उसके बाद भी इस पुल पर सुबह से लेकर देर रात तक ओवरलोड वाहनों का परिचालन हो रहा है, जिस कारण अक्सर इस पुल पर जाम की स्थिति बनी रहती है.
पुल पर बिखरे बालू दे रहे दुर्घटना को न्योता
इस पुल पर लगातार बालू लदे वाहनों के परिचालन होने से पुल की स्थिति भी पहले से खराब होती जा रही है. वहीं दोनों लेन में बालू जमा हो जाने से पुल पर बनी नालियां भी जाम हो जाती हैं जिससे बरसात के दिनों में बालू पर फिसलन होने से दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है. वहीं बालू लदे वाहनों के लगातार चलने से इस पुल पर कई जगह गड्ढे भी बन गये हैं. विदित हो कि पूर्व में भी एनजीटी के निर्देश पर बालू लदे वाहनों के परिचालन पर रोक लगायी गयी थी. उसके बावजूद यहां सुबह से शाम तक बालू लदे ट्रकों की लंबी कतार लगी रहती है.
सिर्फ आवागमन ही नहीं आर्थिक व सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है पुल
यह पुल सिर्फ आवागमन के लिए हीं नहीं बल्कि आर्थिक व सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. आरा व छपरा की संस्कृति से अवगत होने का यह एक प्रमुख जरिया है. छपरा के जयप्रकाश विश्वविद्यालय तथा आरा के कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के बीच भी इस पुल के माध्यम से शैक्षणिक गतिविधियों को प्रसार मिलता है. स्थानीय कई छात्र-छात्राएं रोजाना आरा के कॉलेजों में पढ़ने जाते हैं. वहीं, आरा से भी जेपीयू में शोध करने वहां के छात्र पहुंचते हैं. इसके अलावा व्यवसायी वर्ग भी दोनों जिलों से सामान की खरीद-बिक्री करते हैं, जिनके परिवहन का माध्यम पुल ही है.
गूगल मैप पर पुल की स्थिति देख यात्रा शुरू करने की मजबूरी
कई बार पुल पर 8 से 10 घंटे जाम लगता है. डोरीगंज से लेकर छपरा से भिखारी चौक तक रोजाना हजारों ट्रक एक नहीं चार-चार लेन में खड़े रहते हैं. वहीं, पुल के एक लेन पर हमेशा ट्रक खड़े रहते हैं, जिससे छोटी गाड़ियों के आवागमन में परेशानी होती है. वहीं आरा से आने के समय भी बबुरा मोड़ के पास ट्रकों की कतार हमेशा लगी रहती है. छपरा के लोग पटना जाने के लिए कई बार आरा से कोईलवर रूट का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब यात्रा शुरू करने से पहले लोग गूगल पर यह सर्च करते हैं कि पुल आवागमन के लिए सुलभ है या नहीं.
छपरा-आरा पुल एक नजर में
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पुल की लंबाई- चार किलोमीटर
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निर्माण में लागत-860 करोड़
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कुल पिलर-52
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एप्रोच पथ की लंबाई-16.4 किलोमीटर
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प्रतिदिन औसत वाहन का परिचालन-तीन हजार
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क्या कहते हैं डीएम
सारण के डीएम राजेश मीणा का कहना है कि छपरा-आरा पुल पर छपरा की ओर से खाली ट्रक के परिचालन पर पूर्ण प्रतिबंध है. पुल की आवश्यक निगरानी तथा एप्रोच पथ पर भी मजिस्ट्रेट व पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति है. ओवरलोड वाहनों के परिचालन तथा अनधिकृत रूप से जाम लगाने पर कार्रवाई का भी निर्देश है.