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नेपाल से भारत आने वाले वाहनों को अब दूतावास से लेनी होगी अनुमति, बॉर्डर पर वाहन रोकने से मचा हड़कंप

नेपाल से भारतीय सीमा में प्रवेश करने वाले वाहनों को अब पास लेना होगा. ई संबंध में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने एक विभागीय पत्र जारी किया है. इसके बाद सीमा से कस्टम द्वारा कई वाहनों को वापस भेज दिया गया.

भारत से नेपाल जाने पर स्थानीय क्षेत्र के लिए नेपाली कस्टम से इंट्री तथा दूर जाने के लिए प्रतिदिन के हिसाब से भंसार अर्थात निर्धारित टैक्स देकर जाना होता है. अब भारत ने भी सख्त कदम उठाते हुए नेपाल से आने वाले चार पहिया वाहनों को भारत में बिना पास के प्रवेश पर रोक लगा दी है. इस संबंध में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने पत्र जारी कहा है कि नेपाल से भारतीय सीमा में आने वाले वाहनों को भारतीय महावाणिज्य दूतावास या भारतीय दूतावास काठमांडू से अनुमति लेनी होगी.

भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने जारी किया पत्र

भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने विभागीय पत्र जारी कर किशनगंज के स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ भारतीय कस्टम को भी निर्देश दिया है. दूतावास से जारी पत्र के अनुसार अब नेपाली चार पहिया वाहनों को बॉर्डर क्रॉस करने तक के लिए भी पास लेना होगा, जो कि दूतावास से जारी किया जायेगा. हालांकि पहले से किशनगंज तक आने के लिए नेपाली चार पहिए वाहनों को किसी तरह के पास या कागजात की जरूरत नहीं होती थी.

सैकड़ों गाड़ियों को वापस भेजा गया

नियम जारी होने के बाद गुरुवार को इस कारण नेपाल से आने वाली चार पहिया व दो पहिया वाहनों को कस्टम के द्वारा अचानक रोका जाने लगा. सैकड़ों गाड़ियों को वापस भेज दिया गया. हालांकि यह नियम दो पहिया वाहनों पर लागू नहीं है. फिर भी किशनगंज में कस्टम द्वारा दो पहिया वाहन को भी रोका जा रहा है. अब तक नियमों में ढील के कारण बड़ी संख्या में नेपाली चार पहिया वाहन गलगलिया समेत ठाकुरगंज, सिलिगुड़ी, नक्सलबाड़ी, दार्जिलिंग और यहां तक कि बागडोगरा एयरपोर्ट तक भी बिना रोक-टोक के जाते थे. इससे भारत सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होता था. इधर इस नियम का नेपाल में विरोध शुरू हो गया है.

सभी प्रकार के नेपाली वाहनों को रोका जा रहा

वहीं, कस्टम के प्रमंडल कार्यालय फारबिसगंज के कस्टम सहायक आयुक्त कौशिक सन्याल ने बताया कि अभी तक आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. फिलहाल सभी प्रकार के नेपाली वाहनों को रोका जा रहा है. स्पष्ट आदेश आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

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नेपाल में भारतीय मुद्रा को नहीं मिल रहा पूरा भाव

इधर, नेपाल की अधिकृत सीमा (भंसार)पर भारत से खरीदारी कर ले जाए जाने वाले सौ रुपये से अधिक के सामान पर सीमा शुल्क वसूला जा रहा है. नेपाल के अंदर 100 रुपये से अधिक के भारतीय नोट भी नहीं लिए जा रहे हैं. इसकी वजह से दोनों देशों में नोट बदली करने में कमीशन का खेल भी शुरू हो गया है.

सौ रुपये से ज्यादा के सामान पर होती है पूछताछ

नेपाल के लोग दैनिक जरूरतों के सामान की खरीदारी भारतीय क्षेत्र से करते हैं, लेकिन अब भारत से 100 रुपये से अधिक का सामान खरीदकर नेपाल ले जाने पर उन्हें शुल्क देने के साथ ही पूछताछ के दौर से भी गुजरना पड़ता है. इस कारण कारोबारी से लेकर आम लोग चिंतित हैं. कांकरभीठा और गलगालिया बॉर्डर के माध्यम से नेपाल आने जाने में भी वाहन चालकों को अब पहले से ज्यादा पैसा भरना पड़ रहा है.

सीमावर्ती इलाकों में मोहरू-भारू खेल जारी

भारत-नेपाल की सीमा पर मोहरु-भारु (नेपाली व भारतीय मुद्रा का एक्सचेंज) का खेल बदस्तूर जारी. इन्होंने भारतीय मुद्रा की कीमत कम कर दी है, जहां पहले 1000 भारतीय रुपये के बदले 1600 नेपाली रुपये मिल रहे थे. वहीं अब 1500 नेपाली नोट ही दिए जा रहे हैं, जिसके कारण नेपाल में भारतीय रुपये से सामान खरीदना लोगों को महंगा पड़ रहा है.

नेपाल के पेट्रोल पंप पर चिपका नोटिस

नेपाली पेट्रोल पंप पर भारतीय रुपए से पेट्रोल नहीं मिल रहा है,जिससे,भारतीय नागरिकों की परेशानी बढ़ी है.पहले भारतीय मुद्रा से नेपाल में पेट्रोल-डीजल व अन्य जरूरी सामान आसानी से मिल जाता था. अब नेपाल जाने वाले लोग खासकर नेपाल के पर्यटक स्थल घूमने वाले लोगों को भी पहले की तुलना में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं. नेपाल में भारतीय नोट लेने में लोग आना कानी करते हैं.ज्यादा आग्रह करने पर 10 प्रतिशत का बट्टा लग रहा है.पेट्रोल पंप पर जगह-जगह लिख कर नाेटिस चिपका दिया गया है कि भारतीय रुपये नहीं लिया जाएगा.

तस्करी के कारण उत्पन्न हुई है ऐसी स्थिति

ऐसा दावा किया जा रहा है कि नेपाल से भारत में किसी न किसी महंगे सामान की बड़े पैमाने पर तस्करी चल रही है और जिसके बदले भारतीय रुपए की भारी-भरकम खेप वहां पहुंच रही है. इससे नेपाल में भारतीय रुपए की कीमत में गिरावट आ गई है. लिहाजा भारतीय रुपए में 5 से 10 फीसदी तक गिरावट देखी जा रही है. भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों के बाजार में भीषण मंदी छाया हुआ है. लेकिन सीमावर्ती इलाकों में भारतीय मुद्रा की कीमतों में अचानक गिरावट आना नई मुसीबत है. किसी को इसकी सही वजह समझ नहीं आ रही.

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