समय बलवान होता है…31 जनवरी तक बिहार में सब शुभ होगा, सियासी हलचल पर बोले पशुपति पारस
पशुपति पारस ने बिहार में चल रही सियासी घटनाक्रम पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि एक -दो दिन इंतजार कीजिए सब पता चल जाएगा. उन्होंने आगे कहा की हम तो पहले भी कह चुके हैं की जो भी होगा 31 जनवरी तक बिहार के लिए शुभ होगा.
बिहार के सियासी गलियारों में उथल-पुथल मची हुई है. राज्य में चल रही इस सियासी हलचल के बीच लोक (राष्ट्रीय) जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति पारस ने पटना में एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सबको पता है क्या होने वाला है. इंतजार कीजिए 31 जनवरी तक बिहार के लिए बहुत शुभ होगा. उन्होंने कहा कि व्यक्ति नहीं समय बलवान होता है.
क्या बोले पशुपति पारस
पशुपति पारस ने बिहार में चल रही सियासी घटनाक्रम पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि एक -दो दिन इंतजार कीजिए सब पता चल जाएगा. उन्होंने आगे कहा की हम तो पहले भी कह चुके हैं की जो भी होगा 31 जनवरी तक बिहार के लिए शुभ होगा. व्यक्ति बलवान नहीं होता है समय बलवान होता है. आगे उन्होंने कहा कि हम एनडीए गठबंधन में हैं और आगे भी रहेंगे.
सीएम आवास पर हुई जदयू नेताओं की बैठक
एक तरफ नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच फिर से हाथ मिलाने की गहरी चर्चा चल रही है. कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार अपने पुराने सहयोगी बीजेपी को गले लगने को तैयार हैं. सीएम आवास पर जेडीयू नेताओं की नीतीश कुमार के आवास पर एक गुप्त बैठक हुई, जिसमें गठबंधन के भविष्य पर मंथन किया गया. इस बैठक में जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, मंत्री विजय चौधरी, वशिष्ठ नारायण सिंह, मंत्री अशोक चौधरी सहित कई जेडीयू नेता मौजूद रहे
बीजेपी के साथ जा सकते हैं नीतीश
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी नीतीश कुमार के साथ फिर से गठबंधन करने के लिए तैयार है. शनिवार को बीजेपी ने भी अपने विधायकों की बैठक बुलाई है, माना जा रहा है कि उसमें भी नीतीश कुमार के साथ गठबंधन को लेकर चर्चा होगी. ये सभी घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं कि बिहार में एक बार फिर से गठबंधन की राजनीति का खेल शुरु हो चुका है.
अगले दो दिन होंगे अहम
दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) भी बेचैन है. परिवार वाद पर नीतीश कुमार का कटाक्ष और फिर रोहिणी आचार्य के ट्वीट ने दोनों पार्टियों के रिश्ते में दरार पैदा कर दी है. इस सियासी हलचल के बीच शनिवार और रविवार को होने वाली पार्टी बैठकें निर्णायक साबित हो सकती हैं. जेडीयू, भाजपा, कांग्रेस और राजद सभी अपने विधायकों की बैठक बुलवा रहे हैं, मानो इन बैठकों में ही राज्य का राजनीतिक भाग्य लिखा जाएगा
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