पटना. बिहार के सभी पारंपरिक विश्वविद्यालयों के कुलपति और उनके अधीनस्थ पदाधिकारी अंगीभूत एवं संबद्ध कॉलेजों का नियमित निरीक्षण करेंगे. निरीक्षण का शेड्यूल इस तरह रखा जाना चाहिए कि प्रत्येक कॉलेेज का सप्ताह में तीन बार निरीक्षण सुनिश्चित हो जाये. शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों को इस आशय के निर्देश गुरुवार को जारी कर दिये हैं. कुलपतियों से कहा गया है कि निरीक्षण के दौरान कॉलेजों के शैक्षणिक और प्रबंधकीय गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जानी चाहिए, ताकि वहां पढ़ाई का माहौल उत्कृष्ट बन सके.
कॉलेजों के प्राचार्यों से नियमित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संवाद करें कुलपति
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया है कि कुलपति रोजाना अपने अधीनस्थ सरकारी और संबद्ध कॉलेजों के प्राचार्यों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संवाद करें. इसके जरिये आने वाले मुद्दों के समाधान के लिए रचनात्मक पहल करें. उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को दो टूक कहा है कि जिन कॉलेजो में विद्यार्थियों की उपस्थिति कम हैं, उनके प्राचार्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करें. जरूरत पड़े तो उनकी सेवा समाप्त करने की कार्यवाही की जाये.
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रोस्टर शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराएं
विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया है कि वह अधिकार क्षेत्र के दायरे में आने वाले कॉलेजों के आगामी निरीक्षण का रोस्टर शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराएं. अपर मुख्य सचिव पाठक ने विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया है कि अपने अपने विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों की प्रयोगशालाओं में प्रयोगात्मक पढ़ाई सुनिश्चित करें. अपने विभागीय अफसरों से कहा है कि किस विश्वविद्यालय के खाते में किनती राशि है, इसका पता लगायें. ताकि वित्तीय अनुशासन स्थापित किया जा सके. शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों को औपचारिक तौर पर संकेत दिये हैं कि वह अपने गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को आउट सोर्स पर रख सकते हैं.
एलएनएमयू कॉलेजों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाएं
इधर दूसरी ओर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की अध्यक्षता में एलएन मिथिला विश्वविद्यालय और केएसडीएस विश्वविद्यालय के कुलपति और उनके अधीनस्थ अफसरों के साथ बैठक हुई. पहले एलएन मिथिला विश्वविद्यालय के साथ हुई मीटिंग में प्रेजेंटेशन देखा. इस दौरान अपर मुख्य सचिव ने काॅलेजों में विद्यार्थियों की कम उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की गयी. अपर मुख्य सचिव ने इस दौरान दोहराया कि वर्ष 2022-23 सत्र की परीक्षा को हर हाल में 30 नवंबर तक पूरा करा लें,ताकि सत्र 2023-24 के कैलेंडर को समय पर पूरा किया जा सके.
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वर्चुअल क्लास की अच्छी स्थिति रही
एलएनएमयू पदाधिकारियों की तरफ से दिये प्रेजेंटेशन में बताया गया कि सरकारी कॉलेजों में बच्चों की औसत उपस्थिति 26 फीसदी और संबद्ध कॉलेजों में विद्यार्थियों की उपस्थिति 52 प्रतिशत रही है. एसीएस ने सख्त लहजे में कहा कि इसे सुधारने की जरूरत है. बच्चों की कम उपस्थिति के संदर्भ में विश्वविद्यालय ने बताया कि चूंकि सभी सरकारी कॉलेजों में परीक्षा केंद्र संचालित थे, इसलिए स्नातक की कक्षाओं में उपस्थिति पर असर पड़ा है. बताया गया कि पीजी कक्षाओं में 70 फीसदी उपस्थिति रही है, क्योंकि वर्चुअल क्लास की अच्छी स्थिति रही. इस दौरान कुलपति प्रो एसपी सिंह और कुलसचिव डॉ अजय कुमार पंडित एवं अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे.
छात्र हुए कम तो मर्ज होंगे कॉलेज
इसी तरह गुरुवार को दोपहर बाद संस्कृत विवि के मुद्दों पर चर्चा हुई. यहां के कुछ कॉलेजों में बच्चों की उपस्थिति कम होने पर शिक्षा विभाग ने कहा कि निरीक्षण से स्थित सुधारें. अगर ऐसा नहीं हुआ को ऐसे कॉलेजों को मर्ज किया जा सकता है. इस विश्वविद्यालय के तीन कॉलेजों में बेहद कम उपस्थिति बतायी गयी. बैठक में कुलपति प्रो शशि नाथ झा एवं अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे. आउटसोर्सिंग के जरिये कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय को बजट उपलब्ध कराने के बात कही गयी है. इन दोनों बैठकों में विभाग की तरफ से सचिव बैद्यनाथ यादव, निदेशक डॉ रेखा कुमारी, उप निदेशक दीपक कुमार सिंह एवं अन्य अफसर मौजूद रहे.