Super Blue Moon: ‘सुपर ब्लू मून’ की चांदनी से जगमगा उठा पटना का आसमान, जानिए इसकी खासियत

पटना में रक्षाबंधन के अवसर पर एक खास खगोलीय घटना देखने को मिली. पटना के आसमान में चांद बेहद की चमकीला दिखा. एक महीने में दो पूर्णिमा होने की वजह से इसे ब्लू मून कहा जाता है. हालांकि देखने में इसका रंग नीला नहीं होता.

By Anand Shekhar | August 30, 2023 8:47 PM

बिहार की राजधानी पटना के आसमान में बुधवार 30 अगस्त को एक बेहद खास खगोलीय घटना लोगों को देखने को मिली. पटना में सुपर ब्लू मून दिखाई दिया. सुपर ब्लू मून दिखने से आसमान जगमगा उठा. इस अद्भुत खगोलीय घटना की वजह से चांद ज्यादा चमकदार और बड़ा दिखा. बता दें कि ब्लू मून उस वक्त दिखाई देता है जब एक ही महीने में दो पूर्णिमा होती है और इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के निकटतम बिन्दु पर पहुंचता है. पटना में ब्लू मून दिखने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

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क्या है सुपर ब्लू मून और सुपरमून

सुपरमून का मतलब यह नहीं है कि चंद्रमा में कुछ विशेष शक्तियां होंगी, बल्कि इसका मतलब है कि यह पहले की तुलना में चंद्रमा थोड़ा बड़ा और साथ ही पहले की तुलना में थोड़ा चमकीला भी दिखाई देगा. यह घटना चंद्रमा के अपनी ऑर्बिट (Orbit) में पृथ्वी के करीब आने के कारण होगा, जिसे पेरिगी के नाम से जाना जाता है. वहीं सुपरमुन आम दिनों के चंद्रमा से 16 फीसदी ज्यादा चमकदार दिखता है. वहीं आज 30 अगस्त को फुल मून, सुपरमून और ब्लू मून तीनों एक साथ पड़ रहा है, इसलिए इसे ब्लू मून कहा जा रहा है.

हर महीने में आम तौर पर पूर्णिमा एक ही बार आती है. इस तरह से साल के 12 महीने में 12 पूर्णिमा होती है. लेकिन हर 2.5 वर्षों में एक अतिरिक्त पूर्णिमा भी होती है, जो 13वीं पूर्णिमा है. इसी 13वें पूर्णिमा की रात को चांद दिखता है वो काफी चमकदार और बड़ा होता है. इसे ही ब्लू मून कहा जाता है. आज इस महीने की दूसरी पूर्णिमा है. वहीं इससे पहले एक अगस्त को भी सुपर मून दिख चुका है.

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चंद्रमा नहीं दिखता नीला, फिर क्यों कहा जाता है ब्लू मून

पटना के आसमान में नजर आए चांद को ब्लू मून कहा जा रहा है. लेकिन यह चांद ब्लू (नीला) रंग का नहीं दिखता है. ब्लू मून के दौरान चांद का रंग सफेद, नारंगी या पीला ही होता है. अब ऐसे में सवाल उठता है है कि जब इस खगोलीय घटना के दौरान चांद नीले रंग का नहीं दिखता है तो इसे ब्लू मून क्यों कहा जाता है. नासा के अनुसार जब हवा में ऐसे कण हों जो लाल रोशनी को फिल्टर करने के लिए सही आकार में हों तो ऐसी स्थिति में चंद्रमा नीला जैसा नजर आ सकता है. ऐसा उस दौरान होता है जब एक ही महीने में दो बार पूर्णिमा होती है और यह घाटन दो-तीन साल पर एक बार होती है.

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क्या कहता है ज्योतिष और खगोलीय विज्ञान

वहीं ज्योतिष और खगोलीय विज्ञान के मुताबिक पृथ्वी के एक चक्कर लगाने में चंद्रमा को औसतन एक महीने का वक्त लगता है. इसलिए साल में 12 महीने में 12 पूर्णिमा होती है. वहीं वास्तव में 29.5 दिनों में चंद्रमा का एक चक्कर पूरा होता है. मतलब 12 चक्र यानि 12 पूर्णिमा में केवल 354 दिन का समय लगता है. इसलिए हर ढाई साल में 13 वीं पूर्णिमा पर दिखने वाला चांद ब्लू मून कहा जाता है.

इस बार रक्षाबंधन के त्योहार के दिन ब्लू मून दिखाई डे रहा है. ऐसे में सुपर ब्लूमून के साथ शनि को भी पृथ्वी पर से बेहद नजदीक से देखा जाएगा. रक्षा बंधन के दिन सुपर ब्लू मून का दिखाई देना ज्योतिष विज्ञान के हिसाब से काफी शुभ माना जा रहा है.

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