निगरानी करती रही इंतजार, पूछताछ के लिए नहीं आये मगध विवि के वीसी राजेंद्र प्रसाद, फिर जारी होगा नोटिस

एसवीयू के बार-बार फोन करने पर भी उन्होंने पहले फोन नहीं उठाया, फिर मोबाइल को बंद कर दिया. एसयूवी उन्हें बुलाने के लिए एक बार फिर नोटिस जारी करेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | January 4, 2022 11:50 AM

पटना. मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को एसवीयू (विशेष निगरानी इकाई) ने सोमवार को पूछताछ के लिए बुलाया था, परंतु वह जांच टीम के समक्ष उपस्थित नहीं हुए. एसवीयू की तरफ से जारी नोटिस में उन्हें तीन जनवरी को हाजिर होने के लिए कहा गया था. ताकि उनसे उनके कार्यकाल में मगध विवि में हुई व्यापक वित्तीय गड़बड़ी और उन पर लगे अन्य आरोपों के बारे में विस्तार से पूछताछ हो सके, परंतु वह जांच एजेंसी के किसी सवाल का जवाब देने के लिए उपस्थित ही नहीं हुए.

एसवीयू के बार-बार फोन करने पर भी उन्होंने पहले फोन नहीं उठाया, फिर मोबाइल को बंद कर दिया. एसयूवी उन्हें बुलाने के लिए एक बार फिर नोटिस जारी करेगा. इसके बाद भी वीसी नहीं आते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

मगध विवि के परीक्षा फंड की 50 करोड़ से ज्यादा राशि निकालने की थी तैयारी

मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद पर आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में एसवीयू की कार्रवाई होने के बाद चल रही जांच में कई स्तर पर धांधली सामने आ रही है. अब तक हुई जांच में पता चला कि करीब 30 करोड़ रुपये विश्वविद्यालय फंड से विभिन्न माध्यमों से निकाले जा चुके हैं. यह सभी राशि कुलपति के मनमाने आदेश पर ही निकाली गयी है.

यह राशि कॉपी खरीद, छपाई, बिना जरूरत के आधारभूत संरचनाओं का विकास, गार्ड की गलत संख्या में तैनाती दिखाकर, इ-बुक गलत तरीके से खरीदने जैसे अन्य तरह की धांधली बरतते हुए निकाली गयी है. जांच के साथ ही अब तक विवि के अलग-अलग स्तर के करीब एक दर्जन पदाधिकारियों या कर्मियों से पूछताछ में यह भी पता चला है कि कुलपति की मंशा विश्वविद्यालय के परीक्षा फंड में जमा सभी राशि को किसी-न-किसी बहाने या धांधली करके निकालने की थी. इस फंड में 50 करोड़ से ज्यादा राशि जमा थी. लेकिन, पूरी राशि को निकालने की मंशा पूरी तरह से सफल नहीं हो पायी.

कुलपति ने अपने चहेते सप्लायरों को गलत तरीके से टेंडर देकर आठ रुपये प्रति कॉपी की जगह 26 रुपये प्रति कॉपी की दर से पेमेंट कराया. इसमें लखनऊ की दो कंपनियों मेसर्स पूर्वा ग्राफिक्स एंड ऑफसेट प्रिंटर्स एवं मेसर्स एक्सएलआइसीटी सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड की भूमिका खासतौर से सामने आयी है. इन कंपनियों को सप्लाइ का सारा ठेका मिला हुआ था और इसमें बड़े स्तर पर गड़बड़ी दिखी है. इस कंपनी का मैनेजर संदीप दुबे और मालिक एक अन्य व्यक्ति है.

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