विजय चौधरी ने BJP पर बोला हमला,कहा-केंद्र सरकार राष्ट्रनिर्माताओं को नीचा दिखा कर अपना चेहरा चमकाना चाहती

वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आज केंद्र सरकार के लोग इतिहास बदल कर अपनी प्रासंगिकता जबरन साबित करना चाहते हैं. गांधी-नेहरू- पटेल-आजाद जैसे राष्ट्रनिर्माताओं को नीचा दिखा कर अपना चेहरा चमकाना चाह रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2022 10:35 AM

पटना. वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के 75 वें वर्ष पूरे हो गए और अब उस समय के घटनाक्रम एवं इतिहास बदलने की साजिश चल रही है. उन्होंने कहा कि सर्वविदित है कि आजादी के बाद सैकड़ों देशी रियासतों ने भारतीय संघ में विलय का निर्णय लिया. लेकिन, जूनागढ़ के नवाब, जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह और हैदराबाद के निजाम भारत में विलय के पक्ष में नहीं थे. वे अपने को स्वतंत्र रखना चाह रहे थे. यह तो नेहरू-पटेल की जोड़ी की सोच एवं कूटनीतिक प्रबंधन का कमाल था कि इन तीनों रियासतों का अलग-अलग तरीके से भारत में विलय कराया गया.

विजय कुमार चौधरी ने बीजेपी पर बोला हमला

विजय कुमार चौधरी ने कहा कि भारतीय नेतृत्व के प्रभाव में ही माउंटबेटेन ने द्वि-राष्ट्र फाॅर्मूले पर ही इन रियासतों को सहमत कराया. उन्हें और कोई तीसरा विकल्प ही नहीं दिया. नतीजतन, भारत का वर्तमान भौगोलिक स्वरूप बना. आज कुछ नव-अति-ज्ञानी लोग अपने एजेंडे के मुताबिक सर्वज्ञात इतिहास को पलटने की कुत्सित कोशिश कर रहे हैं. यहां तक कि राजनीतिक स्वार्थ-सिद्धि के लिए नेहरू और पटेल में भी विभेद पैदा कर रहे हैं. दस्तावेजी प्रमाण है कि पटेल ने अपने अंतिम दिनों में ही इस प्रवृत्ति को भांपते हुए कहा था कि उनके और नेहरू के बीच अंतर या खाई पैदा करने वाले क्षुद्र-ज्ञानी हैं. ऐसे लोग देश के शुभचिंतक नहीं हैं.

आज केंद्र सरकार के लोग इतिहास बदलने में लगे हैं- वित्त मंत्री

वित्त मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के द्वारा जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव सशर्त था. इसके पूर्व शर्त के रूप में पाक अधिकृत कश्मीर पाकिस्तानी सेना से खाली कराने की शर्त थी, जिसे उसने कभी नहीं माना. श्री चौधरी ने कहा कि लगता है कि स्वतंत्रता आंदोलन एवं भारत के राष्ट्र निर्माण में अपनी कोई भूमिका अथवा योगदान नहीं रहने के कारण आज केंद्र सरकार के लोग इतिहास बदल कर अपनी प्रासंगिकता जबरन साबित करना चाहते हैं. गांधी-नेहरू- पटेल-आजाद जैसे राष्ट्रनिर्माताओं को नीचा दिखा कर अपना चेहरा चमकाना चाह रहे हैं.

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