Bihar Politics: बिहार की सियासत में नेता विजय कुमार चौधरी(Vijay chaudhary) की अपनी एक मजबूत पहचान है. प्रदेश के बड़े-बड़े मंत्रालयों की कमान उनके जिम्में अबतक सौंपी गयी है. एनडीए की सरकार में वो शिक्षा मंत्री के तौर पर नीतीश कुमार की कैबिनेट में रहे जबकि सियासी उलटफेर के बाद जब जदयू महागठबंधन में शामिल हुई तो उनके पास राज्य का वित्त विभाग सौंपा गया. विजय चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसेमंद नेताओं में एक हैं. जानिये उनके सियासी सफर को…
समस्तीपुर के दलसिंहसराय निवासी विजय कुमार चौधरी पटना विवि से इतिहास में पीजी करने के बाद भारतीय स्टेट बैंक में पीओ बने. SBI में बतौर पीओ उन्होंने दो साल नौकरी भी की. विजय चौधरी राजनीतिक घराने से ही आते हैं. और यही एक बड़ी वजह है जो उन्होंने कभी सियासी गलियारे में अपना कदम रखा. विजय चौधरी के पिता जगदीश प्रसाद चौधरी दलसिंहसराय से विधायक थे. 1982 में उनका निधन हो गया और ये सीट खाली हो गयी.
विजय कुमार चौधरी पर कांग्रेस ने दांव खेला और मैदान में प्रत्याशी बनाकर उतार दिया. पहली बार कांग्रेस के टिकट पर ही विजय चौधरी विधायक चुने गये. लेकिन उसके बाद का सफर कुछ समय उनके पक्ष में नहीं रहा. वो 1995 में चुनाव हार गये. और उसके बाद विजय चौधरी ने फिर 2005 में नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक यात्रा शुरू की. 2005 में बिहार की सियासत में बड़ा परिवर्तन हुआ था और इसी समय सरायरंजन से विजय चौधरी विधायक चुने गये.
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साधारण किसान परिवार से आने वाले चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेताओं में एक माने जाते हैं. प्रदेश के सियासी गलियारे में उनकी एक मजबूत पहचान है. विधानसभा में सत्ता पक्ष की ओर से वो मजबूती से अपनी बात रखते देखे जाते हैं. वहीं मुख्यमंत्री ने सदैव विजय चौधरी को बड़ी जिम्मेदवारी ही सौंपी है. वो अब तक जल संसाधन, सूचना एवं जनसम्पर्क, शिक्षा, ग्रामीण विकास आदि महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रह चुके हैं. फिलहाल वह राज्य के वित्त मंत्री हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan