भागलपुर का विक्रमशिला सेतु अब नहीं रहा सुरक्षित, गुजरते हुए महसूस होता है कंपन

विक्रमशिला सेतु आवागमन के लिए पूरी तरह से अभी भी सुरक्षित नहीं है. यह सेतु उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों को स्मार्ट सिटी भागलपुर से जोड़ता है. टोल टैक्स की जब तक होती रही वसूली, तब तक होता रहा मेंटेनेंस, टोल प्लाजा हटा तो पुल का मेंटेनेंस भी हुआ बंद.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 1, 2023 3:20 AM
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भागलपुर. विक्रमशिला सेतु आवागमन के लिए पूरी तरह से अभी भी सुरक्षित नहीं है. यह सेतु उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों को स्मार्ट सिटी भागलपुर से जोड़ता है. जब तक टोल टैक्स की वसूली होती रही, तब तक इसका मेंटेनेंस भी होता रहा. टोल प्लाजा बंद हुआ, ताे मेंटेनेंस कार्य भी बंद है. कुछ दिन पहले एनएच विभाग ने सेतु का मेंटेनेंस कराया, तो वह भी सिर्फ ऊपरी तौर पर. विक्रमशिला सेतु का टोल प्लाजा साल 2019 में बंद हुआ है. इसके बंद होने का कारण यह है कि इसका अप्रोच रोड स्थायी बाइपास को जोड़ता है और इस मार्ग पर टोल प्लाजा दिया गया है.

धमक महसूस होती है

अब विक्रमशिला सेतु पर गुजरते हुए धमक महसूस होने लगी है. सेतु की सड़क पर एक होल का ढक्कन धंस गया है, जिससे वाहनों के अनियंत्रित होकर दुर्घटना होने की संभावना बढ़ गयी है. वहीं, सेतु के रेलिंग भी कुछ जगह पर टूटा है, जिससे राहगीरों के लिए यह खतरा है. इसके अलावा कई जगहों के एक्सपेंशन ज्वाइंट का रबर निकला है. वहीं, गेपिंग भी नजर आने लगी है.

12 साल तक होती रही टोल टैक्स की वसूली

विक्रमशिला सेतु पर आवागमन चालू होने के छह साल बाद यानी वर्ष 2007 से टोल टैक्स की वसूली शुरू हुई थी और यह करीब 12 साल तक यानी, 2019 तक लगातार होती रही. टोल प्लाजा समाप्त होने से एक-डेढ़ वर्ष पूर्व मेंटनेंस पर बड़ी राशि खर्च की गयी थी. करीब 14 करोड़ खर्च कर सेतु की बॉल बियरिंग बदली गयी थी. एक्सपेंशन ज्वाइंट बदला गया था. स्पेन में आयी दरार पर कार्बन प्लेट चिपका कर इसको दुरुस्त कराया गया था. सेतु की सड़क बनायी गयी थी. इससे पहले भी बीच-बीच में लाखों रुपये सड़क निर्माण, रेलिंग दुरुस्तीकरण, एक्सपेंशन ज्वाइंट मरम्मत पर खर्च होते रहे.

हर साल ढाई से तीन करोड़ तक टोल टैक्स की होती थी वसूली

विक्रमशिला सेतु से टोल टैक्स की वसूली हर साल औसतन ढाई से तीन करोड़ रुपये की होती थी. साल 2007 से 2016 तक टोल टैक्स 10 करोड़ 75 लाख रुपये वसूला गया था. वहीं, साल 2016-17 के लिए तीन करोड़ 30 लाख 11 हजार वसूलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था और लक्ष्य पूरा भी हुआ था.

जानें, तब क्यों थी मेंटेनेंस कराने की मजबूरी

टोल प्लाजा स्थापना के समय यह निर्धारण हुआ था कि वसूली की राशि का 85 प्रतिशत सरकार को जायेगी और 15 प्रतिशत पुल निर्माण निगम को मेंटनेंस पर खर्च करने के लिए दिया जायेगा. इस कारणवश मेंटेनेंस कराना मजबूरी था और वसूली नहीं होती है, तो इसका मेंटेनेंस आवंटन पर पूरी तरह से निर्भर हो गया है.

विक्रमशिला सेतु के मेंटेनेंस को लेकर बरती गई लापरवाही

विक्रमशिला सेतु के मेंटेनेंस को लेकर अबतक वॉलीबॉल खेला जाता रहा. दरअसल, शुरुआत के दिनों में मेंटेनेंस की जिम्मेदारी पुल निर्माण निगम के भागलपुर वर्क डिवीजन के पास थी. कुछ वर्षों के बाद यह जिम्मेदारी खगड़िया वर्क डिवीजन को सौंप दी गयी. इस डिवीजन के पास विक्रमशिला सेतु रहने के दौरान इसका मेंटेनेंस मुंबई की रोहरा रीबिल्ड एसोसिएट से कराया गया था. इसके बाद पुन: जिम्मेदारी भागलपुर वर्क डिवीजन के हाथों में चली आयी. यहां भी ज्यादा दिनों तक नहीं रहा. वर्तमान में यह जिम्मेदारी एनएच विभाग के भागलपुर डिवीजन को सौंप दिया गया है.

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