भागलपुर: कहलगांव अंचल स्थित ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए मलकपुर व अंतीचक मौजा में जमीन चिह्नित की गयी है. इसके लिए कहलगांव के अंचल अधिकारी से अपर समाहर्ता ने गत 24 नवंबर को ही जमीन की रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन रिपोर्ट अभी तक जिला मुख्यालय को नहीं मिली है. इस कारण विवि स्थापना की प्रक्रिया अटकी हुई है.
केंद्रीय स्थल चयन समिति द्वारा विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कहलगांव अंचल का निरीक्षण किया था. इस दौरान तीन भूखंडों परशुरामचक व एकडारा, नंदगोला व अंतीचक और किशनदासपुर व गोघट्टा का प्रस्ताव उपलब्ध कराते हुए परशुरामचक व एकडारा को सर्वाधिक उपयुक्त पाते हुए अनुशंसित किया गया था. लेकिन केंद्रीय स्थल चयन समिति से इस पर सहमति नहीं बन पायी और फिर मलकपुर व अंतीचक मौजा स्थित 215 एकड़ भू-खंड को चिह्नित किया गया है. इस चिह्नित भूखंड का डीएम ने निरीक्षण किया था और अब मंतव्य सहित रिपोर्ट शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराया जाना है.
नवचिह्नित भूखंड के संबंध में कहलगांव के सीओ ने 25.03.2022 एक रिपोर्ट भेजी थी. इस भूखंड के अंतर्गत लगभग 50-60 अनुसूचित जाति व जनजाति के परिवारों की बस्ती है, जिसके विस्थापन की समस्या उत्पन्न हो सकती है. साथ ही प्रस्तावित स्थल में लगभग 3500 पेड़ हैं और बौद्ध धर्म की धार्मिक संरचना स्थित है. वहीं सीओ ने भू-अर्जन से संबंधित समस्या का भी उल्लेख अपनी रिपोर्ट में किया था. इन बिंदुओं पर विस्तृत जांच रिपोर्ट की आवश्यकता है, ताकि विभाग को नवचिह्नित भूखंड के संबंध में वास्तविक स्थिति व संभावनाओं से संबंधित मंतव्य प्रतिवेदन शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराया जा सके.
1. नवचिह्नित भूखंड में कितनी सरकारी व कितनी गैरसरकारी भूमि है ? (भूमि विवरणी व नक्शा के साथ)
2. प्रस्तावित परियोजना से कितने अनुसूचित जाति व जनजाति के परिवारों का विस्थापन होगा ? (संबंधित विस्तृत विवरणी के साथ)
3. प्रस्तावित भूखंड अंतर्गत कितना वनक्षेत्र है. परियोजना निर्माण के लिए कितने वृक्षों की कटाई आवश्यक है या नहीं ?
4. भू-अर्जन में किन रैयतों की कितनी भूमि अर्जित की जानी है ?