7 मई- फोटो-2- चाय की दुकान पर चर्चा करते ग्रामीण राजपुर. प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्र में आज भी सिंचाई,बेरोजगारी, महंगाई ,पेयजल एवं कई अन्य समस्याएं हैं जो लोगों के जुबान पर हैं. लोकसभा चुनाव में सभी प्रत्याशी चुनावी मैदान में है जो इस बार बगैर मुद्दे के प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं. बगैर किसी प्रत्याशियों का नाम लिए हुए ग्रामीणों ने कहा कि इस बार सभी दल के नेता अपने पार्टी के प्रमुख के नाम पर वोट करने की अपील कर रहे हैं. इस बार हम लोग सोच समझकर वोट करेंगे. इसके लिए मन में जगह बना लिया गया है. संगराव बाजार के मिठाई मिष्ठान की चाय दुकान पर मंगलवार की सुबह ग्रामीणों की भीड़ मौजूद थी. जहां कई लोग अपनी समस्याओं को रख रहे थे. ग्रामीण रोजन धोबी, श्रीभगवान साह, संजय कुमार, विनोद सिंह, व्यास राम, ज्योति सिंह ,राहुल कुमार, लकेश्वर राजभर ,राधेश्याम सिंह सहित कई अन्य ग्रामीण प्रत्याशियों को लेकर बहस कर रहे थे.लोगों ने कहा कि आज भी मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है. दुर्भाग्य की बात है कि बक्सर जिले में पिछले कई बार से जिले से बाहर के लोग सांसद बन रहे हैं. जिससे विकास नहीं हो रहा है. स्थानीय नेताओं की कदर नहीं है. इस बार कई ऐसे प्रत्याशी हैं जो निर्दलीय ही इस मैदान में आ रहे हैं. हालांकि नामांकन की प्रक्रिया शुरू होते ही लोगों में कई तरह की बातें सामने आ रही है. लोगों ने कहा कि हमें वैसा प्रत्याशी चाहिए जो लोगों को रोजगार दें, स्वास्थ्य शिक्षा एवं कई अन्य समस्याएं हैं जिन समस्याओं का निदान हो. ऐसे तो पिछले कई बार से इस क्षेत्र के सिंचाई की समस्या उठती रही है. इस बार भी कई प्रत्याशी गांव में जब घूमने के लिए आए तो लोगों ने कहा कि जल्द ही निकृष पंप कैनाल शुरू हो जायेगा. दुर्भाग्य है कि इसकी तारीख बढ़ती ही जा रही है. अब तक निकृष पंप कैनाल से पानी की सप्लाई शुरू नहीं की गई है.ऐसे में हर साल सैकड़ो एकड़ खेत परती रह जाता है या उसकी फसल मारी जाती है. इस बार भी महज दो सप्ताह के बाद धान के बिचड़े खेतों में डाले जायेंगे. अब तक कोई उम्मीद नहीं जगी है. जब भी इस पश्चिम क्षेत्र में प्रत्याशी आ रहे हैं तो सिंचाई की गंभीर समस्या के बारे में समाधान की बात तो कहते हैं. चुनाव बाद भूल जाते हैं. इस बार सोच समझकर वोट करना है. रोजन धोबी ने कहा कि गैस की की कीमत आसमान छू रही है. खाना बनाना मुश्किल है. बाजार में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. खेती का भी हाल बुरा है.
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