VIP ने बिहार नगर निगम चुनाव पर हाईकोर्ट के फैसले को बताया दुर्भाग्यपूर्ण, बतायी ये बड़ी बात…
VIP के द्वारा पटना हाईकोर्ट के बिहार नगर निगम चुनाव को रद्द करने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. पार्टी के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा सुनाया गया फैसला अतिपिछड़ा वर्ग और पिछड़ा को दी जा रही संपूर्ण आरक्षण पूर्व, वर्तमान, भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगता है.
VIP के द्वारा पटना हाईकोर्ट के बिहार नगर निगम चुनाव को रद्द करने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. पार्टी के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा सुनाया गया फैसला अतिपिछड़ा वर्ग और पिछड़ा को दी जा रही संपूर्ण आरक्षण पूर्व, वर्तमान, भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगता है. देश के अति पिछड़ा एवं पिछड़ा समाज को भाजपा सरकार के खिलाफ निर्णायक आंदोलन करना होगा, क्योंकि जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आई है तब से आरक्षण पर लगातार हमले हो रहे है?
वर्तमान ने कहा तीन टेस्ट के बाद करा सकते हैं चुनाव
पार्टी के द्वारा बताया गया कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट से कहा गया है कि बिहार में नगर निकाय चुनाव वर्तमान पैटर्न पर करने के लिए ‘तीन टेस्ट’ से गुजरना होगा. इसमें सबसे पहले स्थानीय स्तर पर पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की समसामयिक जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना करना. फिर आयोग की सिफारिशों के आलोक में स्थानीय निकाय-वार चुनाव किये जाने के लिए आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि नीचे न गिरे. साथ ही, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नही होना चाहिए.
इस चुनाव के होंगे दुर्गामी परिणाम
VIP के द्वारा कहा गया है कि आरक्षण के साथ चुनाव के दुर्गामी परिणाम होंगे. इस निर्णय के कारण बिहार सरकार अब कई मामलों में अतिपिछड़ों एवं पिछड़ों को आरक्षण नहीं दे पाएगी. इसके पहले भी वर्तमान पैटर्न पर चुनाव हुआ तब कोर्ट ने रोक नहीं लगाया या रोक लगाने की कोशिश नहीं हुई. आखिर जब भाजपा, बिहार सरकार से अलग हुई तो ऐसा क्यों हुआ? 50% आरक्षण की उच्च सीमा और तीन टेस्ट का सवाल कभी 10% EWS आरक्षण पर कभी नही आया लेकिन OBC/EBC/SC के केस में आता है, क्यों? देश में इंडियन जुडिसियरी सर्विस की शुरुआत होनी चाहिए. अधिवक्ता जनरल, बिहार एवं अन्य विधिय सलाहकार के सलाह पर भी पुनर्विचार करना होगा कि ऐसी नौबत ही क्यों आई? साजिश की बू आ रही है.
आपसी मदभेद भुलाकर एक हो दलित
पार्टी के द्वारा बताया गया है कि इस निर्णय में सभी पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग के सीटों का OPEN करने की बात कही गई है जब तक कि तीनों टेस्ट के आधार पर आरक्षण की संख्या नियत नहीं हो जाती है. मगर इसमें वर्षों लगेंगे. लेकिन नगर निकाय चुनाव भी तुरंत कराने की भी बात की गई है. ऐसे में साफ है कि इस बार बिहार में नगर-निकाय चुनाव बिना आरक्षण का ही होगा. मंडल की राजनीति के खिलाफ आपसी सभी मतभेद भुलाकर 2024 के पहले सभी अतिपिछड़ों, पिछड़ों, दलितों एवं आदिवासियों को एक होना होगा. बिहार में नगर निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण पर रोक को लेकर शीघ्र ही निर्णायक आंदोलन होगा.