VIP प्रमुख मुकेश सहनी अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की लड़ेंगे लड़ाई, बिहार में 14 नवंबर से करेगें आंदोलन
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) अब आरक्षण की लड़ाई लड़ने के लिए सड़कों पर उतरेगी. अति पिछड़ा के आरक्षण को लेकर वीआईपी बिहार के सभी प्रखंडों में 14 नवंबर से इसकी शुरुआत करेगी. वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने गुरुवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि बिहार में आरक्षण की लड़ाई अब सड़कों पर लड़ी जाएगी.
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) अब आरक्षण की लड़ाई लड़ने के लिए सड़कों पर उतरेगी. अति पिछड़ा के आरक्षण को लेकर वीआईपी बिहार के सभी प्रखंडों में 14 नवंबर से इसकी शुरुआत करेगी. वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने गुरुवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि बिहार में आरक्षण की लड़ाई अब सड़कों पर लड़ी जाएगी. उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत 14 नवंबर से होगी. उन्होंने इसके लिए सभी को एकसाथ आने की अपील करते हुए नारा भी दिया कि अति पिछड़ा आरक्षण की हुई हकमारी, सब मिलकर लड़ेंगे भाई ‘.
127 अति पिछड़ा जातियां अनुसूची-1 में हैं शामिल
‘सन ऑफ मल्लाह ‘ के नाम से चर्चित मुकेश सहनी ने कहा कि इसके लिए अति पिछड़ों के नाम एक खुला पत्र जारी करते हुए कहा कि 4 अक्टूबर 2022 को पटना उच्च न्यायलय में सुनाया गया फैसला एक प्रकार से आरक्षण पर सुनाया गया परम्परागत फैसला है, जो अति पिछड़ा वर्ग को दी जा रही सम्पूर्ण आरक्षण पर प्रश्न चिह्न लगाता है. उन्होंने पत्र में लिखा कि मुंगेरी लाल आयोग (1976) ने कहा है कि न्यायालय द्वारा आरक्षण के सवाल को हर बार उलझाने की कोशिश की जाती रही है. बिहार में 1951 में ही 94 अति पिछड़ा जातियों को अनुसूची-1 में शामिल किया गया था जो जननायक कर्पूरी ठाकुर के समय 108 थी और वर्तमान में 127 जातियां हैं, जिनकी जनसंख्या में भागीदारी लगभग 33 प्रतिशत है.
केंद्र सरकार हटाना चाहती है आरक्षण
मुकेश सहनी ने पत्र में कहा न्यायिक पिछड़ापन पर भी देश में बहस होनी चाहिए. यह सर्वविदित है कि जनसंघ (भाजपा) शुरुआत से ही आरक्षण के खिलाफ रहा है और जब से केंद्र में भाजपा (2014) की सरकार आई है पिछड़ी जातियों एवं अनुसूचित जातियों के आरक्षण पर लगातार हमले हो रहे हैं. जनसंघ (भाजपा) ने अत्यंत पिछड़ी जाति के मुख्यमंत्री, जननायक कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री के पद से हटाया एवं उनके आरक्षण नीति का विरोध किया था.
पिछड़ी जातियों के बीच फूट डालने के लिए आरएसएस रच रही साजिश
उन्होंने कहा बिहार में अत्यंत पिछड़ी जातियों को नगर निकाय चुनाव में आरक्षण देते हुए 2007 से लगातार चार बार पंचायत चुनाव और तीन बार नगर निकाय चुनाव हुई लेकिन कभी किसी प्रकार का रोक नहीं लगा. जैसे ही भाजपा सरकार से अलग हुई, वर्तमान सरकार को असहज करने, पिछड़ी जातियों के बीच फूट डालने के लिए आरएसएस, बीजेपी ने साजिश रचकर अति पिछड़ा आरक्षण पर हमला कराया है.