Explainer: मुकेश सहनी NDA या विपक्षी गठबंधन का बनना चाह रहे हिस्सा? क्यों बता रहे अपनी सियासी ताकत ?
Mission 2024: आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी भी अब तैयारी में जुट गयी है. मुकेश सहनी को अबतक एनडीए या विपक्षी खेमे ने आमंत्रण नहीं दिया है. मुकेश सहनी अब अपनी सियासी ताकत गिनाने लगे हैं. जानिए क्या हैं इसके मायने...
Political News: आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर एनडीए और विपक्षी दलों ने अपने-अपने खेमे को मजबूत करने की शुरुआत कर दी है. विपक्ष इस बार अलग तैयारी में है और अधिकतर विपक्षी दलें एकजुट होकर एनडीए के खिलाफ मैदान उतरने के मूड में है. इसे लेकर विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं ने दो अहम बैठकें भी कर ली है. जबकि दूसरी तरफ एनडीए ने भी एक अहम बैठक पिछले दिनों में की और कई सियासी दलों को अपने खेमे में जोड़कर कुनबे को बड़ा किया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर ही विपक्षी एकता की मुहिम शुरू हुई. इसमें बिहार से महागठबंधन के तमाम घटक दल शामिल हैं. एनडीए ने बिहार के चार दलों को जोड़ा है. जबकि मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को किसी खेमे ने साथ नहीं लिया है.
फूलन देवी का शहादत दिवस बनाया
पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की पार्टी को ना तो विपक्षी दलों के बने खेमे ने अबतक अपने साथ लिया है और ना ही एनडीए ने अपने गठबंधन का अभी हिस्सा बनाया है. मुकेश सहनी भी अब खुलकर अपनी सियासी ताकत दिखाने में जुट गए हैं. 25 जुलाई को वीआइपी पार्टी ने फूलन देवी का शहादत दिवस मनाया और इसे लेकर पिछले कुछ दिनों से सूबे में वीआईपी पार्टी के कार्यकर्ता जोर-शोर से तैयारी में जुटे रहे. मुकेश सहनी ने भी अब खुलकर दोनों गठबंधनों को ललकारा है और अपनी पार्टी की ताकत का बखान किया है.
मुकेश सहनी ने बतायी अपनी सियासी ताकत
मुकेश सहनी ने कहा कि पिछले चुनाव में जब हम लोगों के चार विधायक जीता और हमारे दम पर एनडीए की सरकार बनी. इसके बाद लोगों ने हमारी पार्टी को ही समाप्त करना चाहा. हम एकलव्य और फूलन देवी की संतान हैं. फूलन देवी का शहादत दिवस पर कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए एसकेएम में वीआइपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी ने ये बातें कही. उन्होने केवल बिहार ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी अपनी पार्टी से होने वाले फायदे और नुकसान को गिनाया. मुकेश सहनी ने कहा कि जितने मजबूत हम बिहार में उससे कम यूपी में नहीं है. झारखंड में भी कई जिलों में हम मजबूत स्थिति में है. हमसे दोस्ती करेंगे तो 60 लोकसभा सीट पर जीतेंगे और दुश्मनी की तो इतनी सीट हारेंगे.
बैठक में शामिल नहीं किए जाने पर बोले सहनी..
इससे पहले विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने कहा था कि उनका गठबंधन किसी से नहीं है. वे वीआइपी के साथ हैं. एनडीए की बैठक में न्योता नहीं मिलने पर कहा कि ये तो वे लोग ही बता पायेंगे. न्योता दोस्त को दिया जाता है, दुश्मन को थोड़े दिया जाता है. ना तो मैं उनको अपना दोस्त मानता हूं और ना ही वे लोग मुझको अपना दोस्त मानते हैं. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में अभी समय है. समय आने पर तय किया जायेगा कि वे किस गठबंधन के साथ जायेंगे.
मुकेश सहनी बनाएंगे आगे की रणनीति
हाल में हुए इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुकेश सहनी ने कहा कि जितना समय मैं मंत्री रहा काम किया. सभी को पता है कि किसने मुझे काम करने से रोका. किसने मेरी पार्टी को तोड़ा और किसने मेरे विधायकों को खरीदा. अच्छे लोग मेरी पार्टी से नहीं गये हैं. उन्होंने कहा कि सांसद व विधायक बनने के उद्देश्य से पार्टी से जुड़े लोग पार्टी छोड़कर चले जाएं. 2020 में मेरे सहयोग से बिहार में सरकार बनी. मेरे साथ लोगों ने गलत किया. मुझे सरकार से बाहर कर दिया. हम किसी के साथ नहीं हैं, जो आरक्षण देंगे, हम उनका साथ देंगे. चार नवंबर के बाद आगे की रणनीति बनेगी.
क्या है वीआईपी की तैयारी?
25 जुलाई को कृष्ण मेमोरियल हॉल में फूलन देवी का शहादत दिवस मनाया गया. मुकेश सहनी निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा बिहार, झारखंड और यूपी के 80 जिलों में निकाल रहे हैं. चार नवंबर को इस यात्रा का समापन होगा. इस बीच पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर वीआइपी से जुड़ने का संकल्प दिलायेंगे. सहनी ने कहा कि आरक्षण नहीं तो गठबंधन नहीं, गठबंधन नहीं तो वोट नहीं, इसी पर हम काम करेंगे.
भाजपा व महागठबंधन से क्यों बनी दूरी?
बता दें कि भाजपा ने एनडीए गठबंधन में रहते हुए मुकेश सहनी को बड़ा झटका दिया था और वीआईपी पार्टी के तमाम विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था. मुकेश सहनी मंत्री थे और इस घटनाक्रम के बाद सीएम नीतीश कुमार ने उनसे मंत्री पद से इस्तीफा ले लिया था. बताते चलें कि मुकेश सहनी गठबंधन में रहकर भी भाजपा पर हमलावर रहे थे. यूपी में मुकेश सहनी भाजपा को हराने मैदान में उतर गए. वहीं पीएम नरेंद्र मोदी पर भी मुकेश सहनी ने तीखे हमले शुरू कर दिए थे. जिसका हवाला देते हुए भाजपा ने उनसे दूरी बना ली थी. वहीं पिछले चुनाव में राजद और वीआइपी पार्टी में घमासान खुलकर हुआ था. जिसके बाद मुकेश सहनी को एनडीए ने अपने साथ रखा था.
क्यों सियासी ताकत गिनाने लगे मुकेश सहनी?
मुकेश सहनी एकतरफ जहां अपनी सियासी ताकत गिना रहे हैं वहीं दूसरी ओर अप्रत्यक्ष रूप से गठबंधन में शामिल होने को भी इच्छुक लग रहे हैं. खुद से दोस्ती और दुश्मनी से होने वाले सियासी फायदे और नुकसान को वो जिस तरह बता रहे हैं उससे ये साफ लग रहा है. दरअसल, पिछले दो लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की लहर दिखी है. इस बार विपक्षी दल एक होकर लड़ने की तैयारी में हैं. जाप सुप्रीमो पप्पू यादव भी गठबंधन का हिस्सा बनने की इच्छा जता चुके हैं.