पटना. पटना जिले में वायरल फीवर का बढ़ता मामला शासन तक पहुंच गया है. जानकारों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी आइजीआइएमएस व पीएमसीएच के अधीक्षकों से फोन कर मामले की जानकारी ले ली है. इतना ही नहीं मामले को संज्ञान में लेते हुए विभाग की ओर से सर्विलांस टीम गठित की गयी है.
ऐसे में अब टीम में शामिल सदस्य पीएमसीएच, आजीआइएमएस और एनएमसीएच आदि अस्पतालों में जायेंगे और बीमारी का रिकॉर्ड जुटायेंगे. शासन की ओर से अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि प्रतिदिन मरीजों की भर्ती की सूची भेजे. इसके लिए डिस्ट्रिक सर्विलांस टीम के जिम्मेदार अधिकारी का भी गठन किया गया है.
अधिकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंच कर शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्षों समेत अधीक्षक आदि से मुलाकात कर आंकड़ा लेंगे. पीएमसीएच व आइजीआइएमएस के अधिकारियों के मुताबिक विभाग की ओर से उन्हें बीमारी के बारे में जानकारी देने को कहा गया है.
इधर, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि बच्चों में वायरल बुखार के बढ़ते मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है. मेडिकल कॉलेज अस्पतालों, जिला अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों का प्राथमिकता के आधार पर इलाज करने के निर्देश दिये गये हैं.
उन्होंने कहा कि एक सप्ताह से बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ी है. हालांकि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच और जरूरी दवाओं की समुचित व्यवस्था की गयी है. अस्पतालों में डॉक्टरों को बुखार से पीड़ित बच्चों को तत्काल बेहतर चिकित्सकीय सुविधा सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया है. यह एक तरह से वायरल है का प्रभाव है.
इस बीच, शहर के प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू, वायरल फीवर, मलेरिया के संक्रमित और संदिग्धों की संख्या बढ़ रही है. प्राइवेट अस्पताल मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन अस्पताल इस तरह के भर्ती मरीजों की संख्या स्वास्थ्य विभाग के साथ साझा नहीं कर रहे हैं.
अब जिले की सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी ने सभी अस्पतालों को चेतावनी दी है और कहा है कि पहले भी जारी प्रोफार्मा के अनुसार सभी निजी अस्पताल डेंगू, वायरल फीवर और मलेरिया के मरीजों की संख्या पर जल्द से जल्द अपडेट जानकारी दें, ताकि निजी अस्पतालों से मलेरिया, डेंगू वायरल बुखार के मरीज और संदिग्धों की पूरी जानकारी आने के बाद महामारी एक्ट लगाये जाने पर निर्णय लिया जा सके.
संदिग्ध मरीजों की जानकारी लेने के बाद स्वास्थ्य विभाग आगे की रणनीति थी कि वह इलाज व बचाव के साधन विकसित करेगा. लेकिन, हैरत है कि शहर के 5 से 6 अस्पतालों को छोड़कर किसी ने जानकारी नहीं भेजी है. इससे स्वास्थ्य विभाग को दिक्कतें पेश आ रही हैं. विभाग संदिग्ध या मरीजों के इलाकों को चिह्नित कर वहां बचाव और इलाज के इंतजाम नहीं कर पा रहा है.
Posted by Ashish Jha