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पटना के हर अस्पताल में वायरल फीवर के मरीजों की भीड़, कम हो रहा पारासिटामॉल का असर

राजधानी में इन दिनों वायरल फीवर का प्रकोप बढ़ गया है. बुखार का हाल यह है कि मौसमी बुखार जो पहले दो से तीन दिनों में उतर जाता था, वह अब पांच से छह दिनों में उतर रहा है. पारासिटामोल जैसी बुखार की दवाई बहुत से बच्चों पर काम नहीं कर रही है.

पटना. राजधानी में इन दिनों वायरल फीवर का प्रकोप बढ़ गया है. बुखार का हाल यह है कि मौसमी बुखार जो पहले दो से तीन दिनों में उतर जाता था, वह अब पांच से छह दिनों में उतर रहा है. पारासिटामोल जैसी बुखार की दवाई बहुत से बच्चों पर काम नहीं कर रही है.

इससे परेशान होकर अभिभावक अस्पतालों की तरफ दौड़ रहे हैं. पटना एम्स और आइजीआइएमएस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल हैं, इसके कारण मौसमी वायरल संक्रमण के शिकार बच्चे वहां नहीं जाते, लेकिन पीएमसीएच, एनएमसीएच, महावीर वात्सल्य समेत लगभग सभी निजी अस्पतालों और क्लिनिकों में इनकी भीड़ रोजाना दिख रही है.

सिविल सर्जन ने अस्पतालों से मांगा आंकड़ा

वायरल फीवर के बढ़ते प्रकोप के बीच सिविल सर्जन कार्यालय ने बुधवार को पटना के बड़े अस्पतालों से वायरल फीवर से पीड़ित बच्चों का डाटा मांगा है. इस डाटा के आधार पर स्थिति का आकलन होगा और रणनीति बनाकर वायरल फीवर से मुकाबला करने की तैयारी की जायेगी.

पीएमसीएच में 30 प्रतिशत तक बढ़े वायरल फीवर के मरीज

पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर कहते हैं कि सितंबर-अक्तूबर में हर वर्ष वायरल फीवर फैलता है. हमारे यहां अभी आम दिनों की अपेक्षा करीब 30 प्रतिशत ज्यादा बच्चे आ रहे हैं.

एनएमसीएच में हर दिन 40 से 50 बच्चे ओपीडी में आ रहे

एनएमसीएच शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ विनोद कुमार सिंह कहते हैं कि प्रतिदिन 40 से 50 बच्चे ऐसे आ रहे हैं, जो वायरल फीवर, सर्दी, खांसी से पीड़ित हैं. इनमें पांच प्रतिशत में निमोनिया होता है. अभी एनएमसीएच में निमोनिया से पीड़ित 18 बच्चे भर्ती हैं. किसी को भी कोविड नहीं है.

महावीर वात्सल्य में आने वाले 70 प्रतिशत तक इसके मरीज

पटना के महावीर वात्सल्य अस्पताल के शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ विनय रंजन कहते हैं कि हमारे यहां ओपीडी में आने वाले 60 से 70 प्रतिशत बच्चे वायरल फीवर की शिकायत लेकर आ रहे हैं. इसमें से दो से तीन प्रतिशत को निमोनिया, सांस लेने में तकलीफ होने के कारण भर्ती करना पड़ता है.

इन सभी को ऑक्सीजन देना पड़ रहा है. हमारे यहां एक माह से अधिक उम्र के बच्चों के लिए 20 बेड हैं. बुखार तेज हो रहा है और पारासिटामॉल से भी नहीं उतर रहा है. इस बार चार से छह दिन तक बुखार रह रहा है.

डॉक्टर की सलाह के बगैर बच्चों को नहीं दे एंटीबायोटिक

चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ श्रवण कुमार के अनुसार इन्फ्लूएंजा वायरस या किसी भी फ्लू में एंटीबायोटिक बगैर डॉक्टर की सलाह के नहीं देना चाहिए. साथ ही इस वक्त बच्चों को बरसात में लेकर निकलने से बचना चाहिए. भोजन हमेशा गर्म दें. फीवर आने पर पारासिटामॉल सिरप देना चाहिए.

हर दिन 20 से 25 बच्चे आ रहे

रामनगरी के एक क्लिनिक के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ अर्पित ने बताया कि वायरल फ्लू के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से दिखाएं. उनके यहां हर दिन 20 से 25 बच्चे क्लिनिक पहुंच रहे हैं. वहीं डॉ पीएन मधुकर ने बताया कि बच्चों का टेस्ट कराकर कन्फर्म किया गया है. पूरे दिन 20 से 25 बच्चे क्लिनिक में देखते हैं, जिनमें 70 प्रतिशत बच्चे वायरल फ्लू से संक्रमित हैं और कई एडमिट भी हैं.

Posted by Ashish Jha

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