VTR: भुख से व्याकुल आदमखोर बाघ ने भैंस के बच्चे का किया शिकार, 20वें दिन भी वनकर्मियों को नहीं मिली सफलता
VTR में लगभग 20 दिन बीत जाने के बाद भी बाघ वन कर्मियों के पकड़ से बाहर है. हालांकि बाघ के पीछे भटक रहे वनकर्मी सफलता के काफी नजदीक पहुंच गए हैं. शुक्रवार की रात में भूख से व्याकुल बाघ तीन दिन बाद शिकार किया है.
VTR में लगभग 20 दिन बीत जाने के बाद भी बाघ वन कर्मियों के पकड़ से बाहर है. हालांकि बाघ के पीछे भटक रहे वनकर्मी सफलता के काफी नजदीक पहुंच गए हैं. शुक्रवार की रात में भूख से व्याकुल बाघ तीन दिन बाद शिकार किया है. बताया जा रहा है कि रामनगर के गुदगुदी पंचायत के बलुहवा गांव में शुक्रवार की देर रात बाघ ने प्रयाग यादव के पशु बथान में घुसकर एक भैंस के बछड़े को अपना शिकार बनाया और उसको खींचते हुए पास के गन्ना की खेत में लेकर चला गया. इसकी सूचना पर बाघ रेस्क्यू के लिए तैनात टीम मौके पर पहुंच कैंप कर रही है.
शिकार के पास हुई कर्मियों की तैनाती
बाघ के स्वभाव को देखते हुए शिकार के पास ट्रेंकुलाइजर गन के साथ टीम की तैनाती कर दी गयी हैं. बाघ का स्वभाव है कि वह शिकार करने के बाद आराम से उसको खाता है. इसको देखते हुए बाघ के शिकार के पास पहुंचने की उम्मीद में वन विभाग की टीम ने शिकार के आस पास बाघ की रेस्क्यू की तैयारी कर ली है. ताकि बाघ के पहुंचते ही कार्रवाई की जा सके. बाघ के रेस्क्यू के लिए हाथियों का सहयोग भी लिया जा रहा हैं. पटना व हैदराबाद से आई विशेषज्ञों की टीम भी इस दिशा में लगातार काम कर रही हैं.
शिकार के आसपास बाघ को रेस्क्यू करने की तैयारी
नेचर के हिसाब से बाघ अपने शिकार को कर कई दिनों में उससे अपना भूख मिटाता है. शिकार के पहले दिन शिकार का खून पीकर बाघ शिकार को छोड़कर इर्द-गिर्द में बैठा रहता है. अगले पांच से दस घंटे बाद उसे खाना शुरू करता है. अब वनकर्मी शिकार के पास बाघ की आने की फिराक में है. ताकि आसानी से बाघ का रेस्क्यू किया जा सके.
मसान नदी पार कर किया शिकार
बाघ जिस तरह से अपना ठिकाना बदल रहा था उससे लग रहा था कि बाघ काफी भूखा है और भोजन की तलाश में है. पिछले 24 घंटे में बाघ ने अपना तीन ठिकाना बदला है. इस बार बाघ मसान नदी को पार कर बलुहवा में पहुंचा है. वह कभी मसान के इस पार तो कभी उस पार रह रहा है. उसके लगातार स्थान बदलने से वन विभाग की टीम को रेस्क्यू ऑपरेशन में सफलता नहीं मिल पा रही हैं. वही तैयार हो चुके गन्ने की फसल भी इसमें रोड़ा साबित हो रही है. इससे आसानी से बाघ को छिपने का ठिकाना मिल जा रहा है.
रेस्क्यू टीम को लगातार हाथ लग रही है निराशा
वीटीआर के वरीय वन अधिकारियों की टीम स्वयं रेस्क्यू अभियान पर नजर रखे हुए है. इस बाबत निदेशक डॉ. नेशामणि ने कहा कि बाघ की गतिविधि पर लगातार नजर रखी जा रही है. इसकी रेस्क्यू के लिए वीटीआर के वन प्रमंडल 1 और 2 के तीन सौ से अधिक कर्मियों को लगाया गया हैं. बाघ की रेस्क्यू करने के लिए पिछले पांच दिनों से पटना व हैदराबाद की आई टीम इधर से उधर भटक रही है. बावजूद इसके बाघ अभी निशाने पर नहीं पहुंच रहा है. ताकि उसकी रेस्क्यू की जा सके. पटना और हैदराबाद से आई एक्सपर्ट की टीम भी इस काम में लगी हुई है.