इंतजार खत्म, राजस्थान के चूड़ी फैक्टरी से रेस्क्यू किये गये 104 बच्चे आज आयेंगे वापस बिहार
राज्य सरकार के समाज कल्याण और पुलिस के सीआइडी कमजोर वर्ग के लिए यह बड़ी उपलब्धि है और साथ ही बाल श्रम को लेकर बाहर भेजे गये छोटे बच्चों के उन माता- पिता के लिए राहत भरी खबर.
पटना. राज्य सरकार के समाज कल्याण और पुलिस के सीआइडी कमजोर वर्ग के लिए यह बड़ी उपलब्धि है और साथ ही बाल श्रम को लेकर बाहर भेजे गये छोटे बच्चों के उन माता- पिता के लिए राहत भरी खबर. दरअसल, पिछले वर्ष लॉकडाउन के बाद बाल श्रम के लिए राज्य के बाहर भेजे 104 बच्चों का रेस्क्यू हुआ है और अब शुक्रवार को ट्रेन के रास्ते वे अपने राज्य बिहार आ रहे हैं.
इनमें से सभी बच्चे राजस्थान के चूड़ी फैक्टरी से रेस्क्यू किये गये हैं और उनका संबंध राज्य के गया, नालंदा, समस्तीपुर व सीतामढ़ी सहित अन्य कई जिलों से हैं. जानकारी के अनुसार इन्हें पिछले वर्ष बाल श्रम से जुड़े तस्करों ने बस के रास्ते राजस्थान की विभिन्न चूड़ी फैक्टरियों में भेज दिया था.
इसके बाद राज्य व राजस्थान पुलिस के सहयोग से इस वर्ष जनवरी व फरवरी माह में इनका रेस्क्यू कर लिया था, लेकिन लॉकडाउन के कारण वो राज्य वापस नहीं आ सके थे. अब इन्हें छह माह के इंताजार के बाद वापस लाया जा रहा है.
इन जिलों के हैं बच्चे
जनवरी से अब तक विभिन्न राज्यों से बिहार के बच्चों की बरामदगी की जा रही है. अब जो बच्चे वापस आ रहे हैं. उनमें सबसे अधिक गया के 29, सीतामढ़ी में 17, समस्तीपुर के 11, नालंदा के 14, वैशाली के एक,मुजफ्फरपुर के नौ, नवादा के एक, दरभंगा के तीन, सहरसा के एक, सारण के एक, मधुबनी के तीन, कटिहार के चार और जहानाबाद के सात के अलावा तीन और बच्चे हैं, जबकि, अब भी कुछ बच्चों के माता-पिता का सत्यापन होना बाकी है.
बाल श्रम की तस्करी में कमी
आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2010 से लेकर वर्ष 2020 के दिसंबर तक 428 नाबालिग लड़कियों का रेस्क्यू किया जा सकता, जबकि इतने वर्षों में रेस्क्यू होने वाले नाबालिग लड़कों की संख्या लगभग पांच गुना अधिक 2342 है. हालांकि, बीते वर्ष दिसंबर के बात करें तो पिछले अन्य वर्षों से पिछले वर्ष रेस्क्यू होने की संख्या घटी है.
यहां थे बच्चे
दरअसल, इन बच्चों को जयपुर के विभिन्न चूड़ी फैक्टरी से रेस्क्यू किया गया था. इसके जनवरी माह से इन्हें राजकीय किशोर एवं संप्रेक्षण गृह जयपुर, सत्या आश्रय गृह, टाबर आश्रय गृह, जनकला साहित्य मंच, नया सबेरा आश्रय गृह, मातृ छाया आश्रय गृह और बाल श्रम बाल गृह जयपुर में बच्चों को रखा गया था.
Posted by Ashish Jha