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बिहार में जलग्रहण क्षेत्र खतरनाक स्तर तक सिमटा, 138 से अधिक पंचायत क्रिटिकल जोन में

पीएचइडी रिपोर्ट के मुताबिक राज्यभर में अत्यधिक दोहित व अतिक्रमण के कारण भूजल रिचार्ज की संरचनाओं का यानी आद्र भूमि, चौर, तालाब, पोखर की संख्या लगातार घट रही है. इस कारण धरती पर जल संग्रहण की क्षमता घटी है और भूजल रिचार्ज कम हो रहा हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 1, 2023 8:22 PM

पटना. बिहार में भूजल पर निर्भरता बढ़ी है. केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में वार्षिक भूजल दोहन केवल दो वर्षों में बढ़ा है.पीएचइडी रिपोर्ट के मुताबिक राज्यभर में अत्यधिक दोहित व अतिक्रमण के कारण भूजल रिचार्ज की संरचनाओं का यानी आद्र भूमि, चौर, तालाब, पोखर की संख्या लगातार घट रही है. इस कारण धरती पर जल संग्रहण की क्षमता घटी है और भूजल रिचार्ज कम हो रहा हैं.

हर एक किलो मीटर पर बदल रहा है भूजल का स्तर

विभागीय रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि वैसे हर इलाके जहां बाढ़ का संकट बना रहता है. वहां भी जल स्त्रोत सूखने लगे है. इसकी पुष्टि करने के लिए पीएचइडी अधिकारी सीतामढ़ी, गया, वैशाली के वैसे इलाके में पहुंचे. जहां हर एक किलो मीटर पर भूजल का स्तर घट बढ़ रहा है.

138 से अधिक पंचायत क्रिटिकल जोन में पहुंचा

पीएचइडी की रिपोर्ट के मुताबिक138 पंचायतें क्रिटिकल जोन में है. इन इलाकों में हर वर्ष ग्राउंड वाटर लेबल तीन फिट से अधिक लेकर 10 फुट तक नीचे चला जाता हे.वहीं, औरंगाबाद, जहानाबाद, जमुई, गया, नालंदा में चापाकल तक बंद हो जाते है.

इस कारण से भी बढ़ा है पानी का दोहन

2011 के नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति बीआइएस प्रमाणन के बाद पैकेट बंद पेयजल,मिनरल वाटर की बिक्री कर सकता है.उसे भूगर्भ जल अधिनियम 2019 के अंतर्गत एनओसी लेना अनिवार्य है.यह एनओसी पांच वर्ष के लिये दी जाती है. प्लांट के लाइसेंस के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआइएस) के साथ नगर निगम व नगर परिषद व पीएचइडी, पर्यावरण, खाद्य आपूर्ति विभाग आदि से अनुमति अनिवार्य है.

भूजल स्तर को बेहतर करने के लिए जिलों में होगा यह काम

  • -ज्यादा से ज्यादा भूजल रिचार्ज की संरचनाओं का निर्माण होगा.

  • -बड़ी और घरेलू संरचनाओं पर जोड़ दिया जायेगा.

  • -बड़ी जल संग्रहण सरचनों को कृषि और आजीविका से जोड़ा जायेगा.

  • -धरती का तापमान को कम करने के लिए दूरगामी प्रयास करने के लिए तकनीकी जांच होगी.

  • – अधिकारियों की टीम क्रिटिकल जोन का लगातार निरीक्षण करेगी.

बिहार में कुल 132175 एमसीएम जल ही उपलब्ध

बिहार में वर्ष 2050 तक जल की कुल अनुमानित आवश्यकता 145048 एमसीएम आंकी गयी है. इसमें कृषि क्षेत्र के लिए 104706 तथा गैर कृषि कार्य के लिए 40342 एमसीएम की आवश्यकता बतायी गयी है. जबकि बिहार में कुल 132175 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) ही जल उपलब्ध है. वहीं, वर्तमान में जलाशयों में संग्रहण क्षमता 949.77 एमसीएम ही है. चतुर्थ कृषि रोड मैप में इन आंकड़ों को रेखांकित करते हुए इस पर चिंता जाहिर की गयी है. नहर, पंप, जलाशय सिंचाई योजनाओं का निर्माण और पुनर्स्थापना कर जल प्रबंधन कर जल संकट दूर करने की योजना बनायी गयी है.

107 नयी व 1165 निर्माणाधीन योजनाएं से होगा जल प्रबंधन

जल प्रबंधन के लिए बराज, बीयर, नहर, पंप की 107 नयी योजनाएं प्रस्तावित हैं. इस पर कुल 1919617 लाख रुपये खर्च होंगे. वहीं, 1165 निर्माणधाीन योजनाएं भी कृषि रोड मैप से पूरी कर जल प्रबंधन तथा जल के स्त्रोत बनाये जायेंगे. इस पर 923692 लाख रुपये खर्च किये जायेंगे.

बाढ़ नियंत्रण व बाढ़ प्रबंधन भी होगा

जल संरक्षण के दौरान बाढ़ नियंत्रण व बाढ़ प्रबंधन कार्य भी किये जायेंगे. चतुर्थ कृषि रोड मैप के अनुसार, बिहार में कुल 94.163 लाख हेक्टेयर में से 68.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है. वर्ष 2023 से 28 तक निर्माणाधीन 11 योजनाओं से 550.42 किलोमीटर तटबंधों का निर्माण किया जायेगा. इन तटबंधों के निर्माण से 19.272 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाढ़ से सुरक्षा होगी. इस पर कुल 230400 लाख रुपये खर्च होंगे. बागमती व महानंदा बाढ़ प्रबंधन, बक्सर-कोईलवर तटबंध, अधवारा-समूह-झीम-जमूरा में तटबंधों का निर्माण किया जायेगा. गंडक-छाड़ी गंगा नदी जोड़ योजना तथा गंडक-दाहा-घाघरा नदी जोड़ योजना का विकास होगा.

नवादा व जमुई में जमा होगा बारिश का पानी

राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने गारलैंड ट्रेंच बनाने के लिए गया जिले में 2.12 करोड़, नवादा जिले में 4.73 करोड़ और जमुई जिले में 4.75 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. वहीं, रोहतास जिले में भू-जल संरक्षण पर करीब 3.74 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है, जिसकी मंजूरी दी गई है. गारलैंड ट्रेंच का निर्माण पठारों के ठीक नीचे उसकी तलहटी में किया जायेगा, जिसमें बारिश का पानी जमा होगा. इससे भूजल स्तर बढ़ेगा और पानी का उपयोग सिंचाई सहित अन्य काम में किया जायेगा.

10 जिलों में आहर-पइन, चेकडैम की मरम्मत

राज्य के 10 जिलों में करीब 300 आहर-पइन, चेकडैम, तालाब, कुआं की मरम्मत की जायेगी. इस पर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है. इन 10 जिलों में पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, मुंगेर, सारण, जहानाबाद, सिवान और गोपालगंज शामिल हैं.

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