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डकाय डैम में पानी नदारद, गोड्डा के साथ बिहार के हजारों एकड़ खेतों में नहीं हो पाएगी सिंचाई

गोड्डा के डकाय डैम में पिछले साल पानी का लेबल क्षमता से आठ फीट अधिक था, लेकिन इस बार डैम की जमीन दिख रही है. डैम में पानी नहीं होने के कारण गोड्डा के साथ बिहार के हजारों एकड़ खेतों की सिंचाई नहीं हो पाएगी. डकाय डैम में बिहार के चांदन डैम का पानी नहर के माध्यम से आता है.

Jharkhand News: गोड्डा जिले में वर्षापात का असर जहां सूखे खेतों से दिख रहा है, वहीं पानी संग्रह के लिये बनाये गये डेम में भी पानी की कमी इस बात का गवाह है कि कई सालों बाद इस तरह के सुखाड़ लोगों को देखना पड़ रहा है. क्षेत्र के डकाय डैम में पिछले वर्ष क्षमता से आठ फीट ज्यादा पानी था. लेकिन, इस बार डैम की तलहटी को आराम से देखा जा रहा है.

बिहार के समीप है गोड्डा का डकाय डैम

डकाय डैम पोडैयाहाट प्रखंड के ठीक सीमा पर अवस्थित है. यह बिहार के बोंसी थाना क्षेत्र के श्यामबाजार के सुजानीटीकर गांव के पास है. नहर के माध्यम से पोडैयाहाट प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था की जाती रही है. वहीं, इसके पानी को नहर के माध्यम से लाकर डांडे के चीर नदी पर बने त्रिवेणी बीयर से जोडा गया है, जबकि दूसरा हिस्सा जो बड़े नहर में है उसका पानी सीधे बिहार के लोगों के सिंचाई की व्यवस्था कराता है. डकाय डैम में बिहार के चांदन डैम का पानी नहर के माध्यम से आता है. मगर इस बार बारिश नहीं होने के कारण चांदन शैम से भी पानी नहीं छोड़ा गया है.

चांदन डैम का पानी डकाय में लाने के लिए हाईकोर्ट में दायर हुआ था PIL

पांच दशक पूर्व बने इस डैम में बिहार के चांदन डैम के पानी को लाने का काम पिछले चार वर्ष पूर्व गोड्डा सांसद डाॅ निशिकांत दूबे के प्रयास से किया गया है. सांसद द्वारा चांदन डैम के पानी को डकाय तक लाने के लिये हाई कोर्ट में पीआईएल दायर किया गया था. कोर्ट के निर्णय के बाद नहर को व्यवस्थित कर पानी लाने का काम किया गया है.

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डकाय से पोड़ैयाहाट और गोड्डा प्रखंड तक नहर के माध्यम से आता है पानी

डकाय डैम का पानी सुजानकिता गांव होते हुए नहर के माध्यम से घनश्यामपुर गांव होते हुए पोड़ैयाहाट के डांडे और आसपास दर्जनों गांव के जमीन को सिंचाई की व्यवस्था कराता है. डैम का पानी नहर के माध्यम से त्रिवेणी बीयर के नहर से जुड़ जाता है. नहर से ही पोड़ैयाहाट होते हुए गोड्डा प्रखंड के विभिन्न गांव के किसानों के खेत को सिंचित करने का काम करता है.

अब किसानों को फसल को बचाने की चिंता

इस संबंध में किसान रामजीवन साह का कहना है कि अपने जीवन में इस तरह का सुखाड़ नहीं देखा है. पहले पानी के अभाव में धान के रोपे हुए फसल को बचाने की चिंता रहती थी, मगर इस बार तो धान के बीचड़े को बचाने में ही लोगों का संचित पानी समाप्त हो गया. वहीं, ग्रामीण प्रेमशंकर मंडल एवं अश्वनी कुमार ने भी चिंता व्यक्त कर कहा कि डकाय जैसे डैम में भी पानी सूख जाना सुखाड़ नहीं अकाल का पर्याय है.

बारिश के अभाव में डैम में पानी नहीं

डकाय डैम के केयर टेकर सागर यादव ने कहा कि पिछले वर्ष डैम में अत्यधिक पानी था. डैम के लेबल और चैन से करीब आठ फीट ऊपर पानी देखकर लोगों को भय लगता था. मगर इस बार बारिश के अभाव में डैम के अंदर की मिट्टी और पत्थर तक दिख रहा है.

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Posted By: Samir Ranjan.

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