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Bihar: कोसी के सफेद बालू में दूसरे राज्यों के किसान उगाते हैं ‘सोना’, जानें कैसे करते हैं लाखों की कमाई..

सहरसा के नवहट्टा अंतर्गत कैदली पंचायत के रामपुर छतवन में तरबूज की खेती जोर शोर से होती है. यहां बाहरी राज्यों से किसान आते हैं और खेती करके लाखों रूपये अर्जन करते हैं. जबकि इन जमीनों के मालिक ही बाहरी राज्यों में जाकर कमाते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2022 2:05 PM

Bihar News: सहरसा के नवहट्टा अंतर्गत कैदली पंचायत के रामपुर छतवन में हो रहे तरबूज की खेती से यूपी, राजस्थान, पंजाब के किसान मालामाल हो रहे हैं. जबकि यहां के जमींदार को अपनी जमीन का वाजिब मालिकाना हक भी नहीं मिल पाता है. यहां के लोग रोजी-रोटी के इंतजाम में जहां दूसरे राज्य की ओर पलायन करते हैं, वहीं से आकर किसान इस बंजर समझे जाने वाली धरती पर सोना उपजाते हैं.

बाहरी राज्यों से आते किसान

यहां के लोग मेहनत कर अपनी जमीन पर ककड़ी, तरबूज सहित अन्य सामग्री उपजाना नहीं चाहते हैं. इसी दोखरे रेतीले बालू पर अन्य राज्य के लोग आकर बालू को सोना में बदलकर छह माह में अपने घर चले जाते हैं. केदली पंचायत के शाहपुर पंचायत, हाटी पंचायत व महिषी प्रखंड के कोसी तटबंध के किनारे बसे पंचायत के रेतीले भाग पर बड़े पैमाने पर तरबूज एवं सब्जी की खेती की जा रही है.

तरबूज खरीद अन्य देशों में भी करते हैं व्यापार

बागपत जिले के कोताना गांव के किसान मनोवर शाहपुर पंचायत स्थित कोसी तटबंध के किनारे लगभग 10 एकड़ में तरबूज की खेती जमीन लीज पर ले कर कर रहे हैं. मनोवर ने बताया कि वह यहां हर साल आते हैं. 10 से 15 एकड़ जमीन लीज पर लेते हैं. कोसी की बलुआही जमीन पर तरबूज खरबूज सहित कई तरह की सब्जियां की खेती करते हैं. उनके साथ 10 से 12 लोगों की टीम परिवार सहित होती है. यहां झोपड़ी अस्थायी रूप से बनाये जाते हैं. 4 से 6 महीने की खेती के बाद उन्हें 5 से 10 लाख रुपये का मुनाफा होता है.

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विदेशों में भी आपूर्ति

बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड व मध्य प्रदेश तक के खरीदार यहां आते हैं. बड़े पैमाने पर टन के हिसाब से खरीद ले जाकर खुद थोक व खुदरा बेचते हैं. बड़े व्यपारी अन्य देशों में भी इसकी आपूर्ति करते हैं.

10 से 15 लाख रुपये मुनाफा

शाहपुर के युवा व्यवसाई कन्हैया कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष तीन हजार रुपये एकड़ जमीन लीज पर लेकर 27 एकड़ में लगभग 10 लाख की लागत से खेती की थी. लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें कोई मुनाफा नहीं हो पाया था. अगर लॉकडाउन नहीं लगता तो उन्हें भी उम्मीद था कि 10 से 15 लाख रुपये मुनाफा कमा सकते थे.

बोले किसान..

तटबंध किनारे तरबूज की खेती कर रहे मो जियाउद्दीन ने बताया कि 70 हजार रुपये किलो बीज एवं कई तरह के कीटनाशक दवा सहित बड़े पैमाने पर मेहनत कर यह खेती करनी पड़ती है. तब जाकर 10 से 15 लाख रुपये मुनाफा एक टोली के सदस्य को हो जाता है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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