बिहार में त्योहार के दौरान हथियार लहराना पड़ेगा महंगा, पुलिस मुख्यालय का जिला एसपी को सख्त निर्देश
पुलिस मुख्यालय ने आगामी पर्व-त्योहार व लग्न के मौसम को देखते हुए सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को आग्नेयास्त्रों को लेकर निर्धारित गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है. एडीजी (विधि-व्यवस्था) संजय सिंह ने बताया कि हर्ष फायरिंग के मामले में कड़ाई से अनुपालन कराया गया.
पटना. बिहार में हथियारों के प्रदर्शन पर बिहार पुलिस मुख्यालय सख्त है. सार्वजनिक आयोजनों से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर प्रभुत्व दिखाने के लिए हथियारों का प्रदर्शन करने वाले लोगों पर न सिर्फ मामला दर्ज किया जायेगा, बल्कि ऐसे मामलों में अवैध हथियार जब्त करने के साथ ही वैध हथियारों के लाइसेंस सरेंडर कराने की प्रक्रिया भी त्वरित गति से की जायेगी. पुलिस मुख्यालय ने आगामी पर्व-त्योहार व लग्न के मौसम को देखते हुए सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को आग्नेयास्त्रों को लेकर निर्धारित गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है.
चार महीने में घट गये थे मामले
एडीजी (विधि-व्यवस्था) संजय सिंह ने बताया कि हर्ष फायरिंग के मामले बढ़ने पर जुलाई में एसओपी जारी कर इसका कड़ाई से अनुपालन कराया गया. इसका नतीजा रहा कि पिछले तीन-चार महीनों से हर्ष फायरिंग और हथियार लहराने के मामलों में काफी कमी दर्ज की गयी है. अब पर्व-त्योहार और लग्न का मौसम फिर से आ रहा है. आशंका को देखते हुए जिलों को अलर्ट किया गया है.
सोशल मीडिया से भी रखी जायेगी नजर
उन्होंने बताया कि ऐसी घटनाओं पर सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से भी नजर रखी जा रही है. इसके लिए पुलिस मुख्यालय स्थित सोशल मीडिया कोषांग के माध्यम से इनपुट एकत्र किया जायेगा. वहीं, जिलों में पुलिस प्रशासन को स्थानीय स्तर पर भी खुफिया जानकारी जुटाने के निर्देश दिये गये हैं. एडीजी ने कहा कि हर हाल में इस प्रवृति पर रोक लगानी होगी. अपराध नियंत्रण के तहत इन प्रवृतियों पर रोक लगाने की कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी.
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पहली बार निरोधात्मक कार्रवाई का किया गया प्रावधान
एडीजी विधि व्यवस्था ने बताया कि हथियार का लाइसेंस आत्मरक्षार्थ दिया जाता है. इसको लहराना या बेवजह फायरिंग भी अपराध है. हर्ष फायरिंग के मामलों में अब तक पुलिस घटना के बाद कार्रवाई करती थी, लेकिन अब इन घटनाओं को रोकने के लिए पहली बार निरोधात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. घटना होने पर थानाध्यक्ष स्वयं घटनाओं का सत्यापन करते हुए एफआइआर दर्ज करेंगे और लाइसेंस निलंबित या रद्द करने का प्रस्ताव भेजेंगे. आयोजनकर्ताओं की भूमिका की भी जांच की जायेगी. एसओपी में प्रशासनिक विफलता पाये जाने पर दोषी पदाधिकारी को चिह्नित कर अनुशासनात्मक कार्रवाई किये जाने का प्रावधान भी किया गया है.