Bihar Weather : सामान्य से नौ डिग्री नीचे लुढ़का तापमान, दरभंगा में तेज पछुआ हवा ने बढ़ाई ठिठुरन
बर्फीली हवा से बढ़ी कनकनी हाड़ कंपाने लगी है. लोग घरों में कैद हो गये हैं. हवा के रफ्तार से सर्द हुये मौसम से बचने के लिये फिर से घरों में हीटर ऑन हो गये हैं.
दरभंगा. बीते एक सप्ताह से लगातार खिली धूप के बाद फिर से रविवार की शाम के बाद मौसम ने करवट बदल ली है. शीतलहर लौट आयी है. तापमान नीचे लुढ़क गया है. तेज पछिया ने ठिठुरन बढ़ा दी है. बर्फीली हवा से बढ़ी कनकनी हाड़ कंपाने लगी है. लोग घरों में कैद हो गये हैं. हवा के रफ्तार से सर्द हुये मौसम से बचने के लिये फिर से घरों में हीटर ऑन हो गये हैं.
अलाव के चारों ओर लोग जमा हो हो गये हैं. जैसे-जैसे दिन ढलता रहा, वैसे-वैसे ठंड और बढ़ती ही चली जाती है. इसने लोगों का जीना-मुहाल करना शुरू कर दिया है. बुजुर्ग हीटर व अलाव के सहारे खुद को गरम रखने का प्रयास दिनभर करते रहे. सबसे अधिक समस्या बीमार व घरों का काम निबटाने वाली महिलाओं के साथ फुटपाथ पर जीवन बसर करने वालों को हो रही है.
24 घंटे में छह डिग्री नीचे लुढ़का पारा
पिछले 24 घंटे में मौसम पूरी तरह बदल गया. एक दिन पहले तक खुले आसमान में मुस्काते सूर्यदेव से मिल रही मीठी धूप जहां आनंद दे रही थी, वहीं अचानक से शीतलहर ने विकराल रूप धारण कर लिया है. महज 24 घंटे में तापमान में छह डिग्री की कमी आ गयी है. रविवार को उच्चतम तापमान जहां 19.9 डिग्री था, वहीं सोमवार को यह 13.4 डिग्री तक पहुंच गया. आज का उच्चतम तापमान सामान्य से 8.8 डिग्री कम रहा. इससे गरम कपड़ों के लबादों में लिपटे होने के बावजूद गलन सा अनुभव होता रहा.
दो जून की रोटी पर आफत
इस ठिठुरनभरी ठंड ने रोज-कमाने खाने वालों के लिये विकट समस्या खड़ी कर दी है. तन ढकने के लिये मजदूर तबके के लोगों के पास कपड़े तक नहीं हैं. इस भीषण शीतलहर में भी दो जून की रोटी की तलाश में ठेला, रिक्शा व टैंपो लेकर निकले लोग तथा दैनिक मजदूरी करने वाले काम की तलाश में भटकते नजर आये. कामकाजी लोग गरम कपड़े में काम पर निकले जरूर, लेकिन पूरी ऊर्जा से काम करने में असमर्थ दिख रहे थे. कनकनी के कारण जेब से हाथ नहीं निकाल पा रहे थे.
बढ़ी महिलाओं की परेशानी
बहती बर्फीली पछिया हवा से बचने के लिये लोग रजाई के नीचे दुबके रहे. वहीं महिलाओं के लिए घर के काम निबटाने में परेशानी बढ़ा दी है. बर्फीला पानी छूते ही बदन में सिहरन सी दौड़ पड़ती है. दूसरी ओर खाना बनाने से लेकर, कपड़ा धोने व सुखाने तक के लिये उन्हें जद्दोजहद करनी पड़ रही है. सबसे अधिक समस्या ठंड में बिस्तर से बार-बार बाहर निकलकर माचौकड़ी मचा रहे बच्चों को संभालने में हो रही है.
पांच दिन से नहीं जल रहे अलाव
शहर में सार्वजनिक स्थलों पर नगर निगम के स्तर से जलाये जाने वाले अलाव बीते पांच दिनों से नहीं जल रहे हैं. शाम ढलने के बाद मौसम अधिक सर्द होने से फुटपाथ पर जीवन बसर करने वालों तथा बेजुवान जानवरों को ठंड से बचने के लिये किसी ओट का सहारा लेना पड़ रहा है. विकराल हुई इस शीतलहर ने इनका बुरा हाल कर रखा है.