Bihar Weather: बिहार में उमस भरी गर्मी ने लोगों को एक बार फिर परेशान कर दिया है. लोग उमस से परेशान हो चुके है. लोगों को अब वर्षा का इंतजार है. भागलपुर जिले के कुछ इलाकों में बुधवार को हल्की बूंदाबांदी हुई. पूर्वा हवा की बजाय पछिया हवा चलने से तापमान में आंशिक वृद्धि दर्ज की गई है. जिले का अधिकतम तापमान 36 डिग्री व न्यूनतम तापमान 24.5 डिग्री रहा. पश्चिम दिशा से छह किमी प्रतिघंटा की गति से शुष्क हवा चली.
बीएयू के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के नोडल पदाधिकारी डॉ सुनील कुमार ने बताया कि 31 अगस्त से दो सितंबर के बीच बारिश की संभावना नहीं है. तीन सितंबर को हल्की बारिश की संभावना है. इस दौरान आसमान में हल्के बादल छाये रह सकते हैं, पश्चिमी हवा चलने की संभावना है. तापमान में वृद्धि हो सकती है, उमस भी रह सकता है. किसानों को ऐसे में सलाह दी जाती है कि इस दौरान आवश्यकता अनुसार सब्जियों, धान व मक्का में सिंचाई कर सकते हैं. राज्य में कई जिलों में तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सारण, वैशाली, सीवान, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया आदि जगहों पर ठनका की चेतावनी है. दो सितंबर से तीन सितंबर तक के लिए मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है.
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गुरुवार को भी लोग उमस से परेशान है. पटना के तापमान में एक डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. भागलपुर जिले का तापमान सबसे अधिक दर्ज किया गया है. मौसम विभाग की ओर से पूर्वानुमान जारी किया गया है. इसमें अगले तीन से चार दिन बारिश की चेतावनी नहीं है. लेकिन, तीन से चार दिन के बाद बारिश की आशंका है. उत्तर बिहार के कुछ जिलों को छोड़कर पूरे राज्य में मौसम शुष्क बना रहेगा. इसके अलावा कई जिलों के लिए ठनका की चेतावनी जारी की गई है. ठनका में लोगों से किसी सुरक्षित स्थान पर शरण लेने की अपील की गई है. साथ ही ऐसे मौके पर सावधानी बरतने को कहा गया है.
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लगातार हुई बारिश ने फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचाया है. इस कारण सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है. वहीं, 55 फीसदी से अधिक पपीता की फसल बर्बाद हुई है. उद्यान विभाग ने पपीता की खेती के लिए भागलपुर को उपयुक्त माना है. पपीता की खेती के लिए किसानों को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस बार जहां अधिकतर खरीफ फसल सुखाड़ का दंश झेलते रहे, फिर धान व अन्य फसल के लिए बारिश जहां संजीवनी के रूप में आयी, वहीं, दूसरी ओर पपीता फसल के लिए काल बन कर बारिश हुई. ऐसे में जिले में औसत 55 फीसदी से अधिक तक नुकसान पहुंचा. पपीता की खेती करने वाले किसान ने बताया कि इस बार पहले सुखाड़ की स्थिति में पपीता की खेती के लिए विशेष सिंचाई व्यवस्था करनी पड़ी. जब पानी की कम जरूरत थी, तो लगातार बारिश हुई और उनके डेढ़ एकड़ में लगी पपीता की फसल पौधे समेत 90 फीसदी से अधिक बर्बाद हो गयी. जो पपीता खेत से 30 रुपये किलो तक खेत से बिक जाता था, वह अब मंडी में जाकर 10 रुपये तक भी नहीं बिका.
कहलगांव के किसान बताते है कि उन्होंने पहले दो बीघा में पपीता की खेती की थी. उस समय चार लाख रुपये तक पपीता से खर्च निकला. इस बार उत्साहित होकर गोराडीह व कहलगांव दो क्षेत्रों में दो एकड़ में पपीता की खेती की, लेकिन बारिश ने मंसूबे पर पानी फेर दिया. 50 फीसदी से अधिक पेड़ पीले पड़ रहे हैं. दूसरे किसान चंद्रशेखर ने बताया कि उन्होंने बैसा में पपीता की खेती की. 30 फीसदी तक फसल नुकसान हाे गया. एक किसान ने डेढ़ बीघा में पपीता की खेती की थी. उनका भी 40 फीसदी से अधिक तक नुकसान हुआ है. वहीं, बारिश के कारण धान की रोपनी ने रफ्तार पकड़ी. लेकिन, राज्य में अब तक सामान्य से कम बारिश हुई है.