Explainer: बिहार में सैकड़ों लोग वज्रपात की भेट चढ़ जाते है. आसमान से आफत बरसती है. शुक्रवार को भी मूसराधर बारिश के दौरान सूबे में 21 लोगों की जान गई है. दूसरी ओर 12 लोगों से अधिक लोग बिजली गिरने के कारण झुलस गए है. ठनका लोगों पर कहर बनकर टूट रही है. रोजाना राज्य में ठनका से मौत की खबर सामने आ रही है. इसके बाद मुख्यमंत्री ने भी लोगों की मौत पर शोक प्रकट किया है. सीएम ने ठनका से हुई मौत पर मृतक के परिजनों के लिए चार-चार लाख के मुआवजे का एलान किया है. हर साल सैकड़ों लोगों की जान वज्रपात की चपेट में आने के कारण चली जाती है.
राोहतास में चार, अरवल में चार, औरंगाबाद और पूर्वी चंपारण में दो-दो, हाजीपुर, बिहारशरीफ, छपरा, सीवान व मधेपुरा में एक-एक की जान चली गयी. रोहतास जिले के करगहर, अकोढ़ीगोला व नासरीगंज में एक-एक की मौत हो गयी. बारिश को देख घर लौटते समय ठनका गिरा और इनकी मौत हो गई. उधर, अकोढ़ीगोला बरांवकलां गांव में शुक्रवार की शाम ठनका गिरने से दो व्यक्तियों व एक बकरी की मौत हो गयी. बता दें कि ठनका के गिरने से पशुपालकों को भी काफी नुकसान होता है. कई पशुओं की ठनका के गिरने से मौत हो जाती है. वहीं, नासरीगंज के कच्छवां थाना क्षेत्र के सवारी गांव में सोन नदी में भेंड़ चरा रहा था. इसी दौरान ठनके की चपेट में आने से सात भेड़ों की मृत्यु हो गयी.
अरवल जिले के कुर्था थाना क्षेत्र के मानिकपुर ओपी अंतर्गत छतोई गांव में सरजू सिंह व हेलालपुर गांव में वर्षा कुमारी की जान चली गयी. साथ ही सदर प्रखंड के बेलाबिगहा व करपी प्रखंड के बालागढ़ में एक-एक की मौत हो गयी. वहीं औरंगाबाद के ओबरा प्रखंड के खुदवां थाना क्षेत्र के दो अलग-अलग गांवों में 12 वर्षीय आकाश कुमार और पथरा गांव में अभिषेक कुमार की मौत हो गयी. बच्चे बधार में मवेशी चरा रहे थे. वैशाली जिले के सराय थाना क्षेत्र के अकबर मलाही गांव में वज्रपात के चपेट में आने से एक युवक की मौत हो गयी. नालंदा जिले के परवलपुर प्रखंड की पिलीच पंचायत के जोगिया गांव में क्रांति देवी, सारण के डोरीगंज में 45 वर्षीय चंदेश्वर महतो, सीवान के दरौंदा थाना क्षेत्र की बगौरा पंचायत के मदारीचक टोला अमहरूआ में किशोर और मधेपुरा के बिहारीगंज थाना क्षेत्र की गमैल पंचायत में प्रमिला देवी की मौत हो गयी.
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शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा है कि राज्य के अरवल में 3, रोहतास में 2, मुजफ्फरपुर में 1, बांका में 1, पू० चंपारण में 1 एवं नालंदा में 1 व्यक्ति की वज्रपात से मृत्यु दुःखद है. मृतकों के आश्रितों को 4-4 लाख रु० अनुग्रह अनुदान दिया जाएगा. इसके अलावा सीएम ने लोगों से खराब मौसम में पूरी सतर्कता बरतने की अपील की है. साथ ही कहा है कि आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी सुझावों का अनुपालन करें. खराब मौसम में घर में रहें, सुरक्षित रहें.
राज्य के अरवल में 3, रोहतास में 2 , मुजफ्फरपुर में 1, बांका में 1, पू० चंपारण में 1 एवं नालंदा में 1 व्यक्ति की वज्रपात से मृत्यु दुःखद। मृतकों के आश्रितों को 4-4 लाख रु० अनुग्रह अनुदान दिया जाएगा। खराब मौसम में पूरी सतर्कता बरतें। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी सुझावों का…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) July 14, 2023
बिहार के मुख्यमंत्री ने ठनका से मौत के बाद लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है. इसके अलावा मौसम विभाग लगातार लोगों से ऐसे खराब मौसम में सावधानी बरतने की अपील कर रहा है. लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि खराब मौसम में सावधानी बरता जाए. बता दें कि मौसम की स्थिति बिगड़ने पर लोगों को किसी भी सुरक्षित स्थान पर शरण लेना पड़ता है. सुरक्षित स्थान पर जाने से लोग अपना बचाव कर सकते है. बिजली के खंभों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. थोड़ी सी सावधानी बरतकर ऐसी स्थिती में अपनी जान बचाई जा सकती है. मौसम के खराब होने पर किसानों को कभी भी अपने खेतों में नहीं जाना चाहिए. खेतों में काम करने से वह ठनका की चपेट में आ सकते है. उन्हें मौसम में सुधार होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए.
गौरतलब है कि बिजली के गिरने पर इंसान के सिर, कंधे और गले पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है. इससे किसी के भी दिल की धड़कन रूक सकती है या फिर उनके अंदरूनी अंग तक जल सकते हैं. जिन लोगों पर बिजली गिरती है उनके शरीर पर”” लाइट¨नग ट्री”” या ””लाइट¨नग फ्लावर”” नामक आकृति बन जाती है. जरअसल, यह आकृति खून ले जाने वाली छोटी-छोटी वाहिनियों के फूटने से बनती है. ऐसा होने पर किसी की मौत हो सकती है. ठनका के प्रभाव से इंसान का शरीर बुरी तरीके जल जाता है. खेतों में काम कर रहे किसानों, बारिश से बचने के लिए पेड़ का सहारे लेने वाले लोगो, तालाब या नदी में बारिश के दौरान स्नान करने वाले लो इत्यादि पर ठनका के गिरने का खतरा सबसे अधिक होता है. बिजली के चमकने या आवाज करने पर वहां से हट जाना ही जान बचाने का उपाय होता है.
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ठनका के कारण ग्रामीणों को पशुधन की हानि होती है. दोपहर के समय बिजली गिरने की सबसे ज्यादा आशंका होती है. कहते है कि महिलाओं के मुकाबले पुरूषों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. वर्षा के दिनों में बारिश हमेशा ही जानलेवा साबित होती है. वृक्ष बिजली को आकर्षित करता है. इस दौरान सबसे बढ़िया होता है कि किसी मकान में शरण लें. लोगों को समूह में खड़ा होने के बजाए अलग-अलग खड़ा होना चाहिए. सफर के दौरान वाहन में ही रहना चाहिए. खुली गाड़ी में सफर करना सही नहीं होता है.
बाइक, बिजली या टेलीफोन का खंभा तार की बाड, मशीन आदि धातु के बने चिजों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. इसके साथ ही तालाब और जलाशयों से भी दूर रहना चाहिए. वहीं, अगर किसी को बिजली का झटका लग जाए, तो उसे कृत्रिम सांस देना मददगार साबित हो सकता है. प्राथमिक चिकित्सा का तुरंत इंतजाम करना चाहिए. बिजली कड़कते समय घर के अंदर बिजली से संचालित उपकरण से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. खिड़कियां या दरवाजे को बंद कर देना ही सही होता है. बरामदे और छत से दूर रहना चाहिए. वह वस्तुएं जो बिजली की सुचालक है, इनसे दूरी बना लेनी चाहिए. धातु से बने पाइप, नल, फव्वारे , वाश बेसिन आदि से दूर रहना चाहिए.
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बता दें कि आकाशिय बिजली गिरने से पहले ही इसका संकेत मिल जाता है. आकाशीय बिजली चमकने पर आपके सिर के बाल खड़े हो जाते है. साथ ही त्वचा में झुनझुनी होने लगती है. ऐसा होने पर तुरंत नीचे झुककर अपने काम को बंद कर लेना चाहिए. बादल गरजने पर रौंगटे खड़े हो सकते है. यह संकेत होता है कि बिजली गिर सकती है. ऐसी स्थिति में पैरों के बल बैठ जाएं, अपने हाथ घुटने पर रख लें और अपना सिर दोनों घुटनों के बीच रख लें इस मुद्रा में जमीन से कम से कम संपर्क होता है और बिजली की चपेट में आने की संभावना कम हो जाती है.
हर साल बिजली गिरती है. इस कारण सैकड़ौ लोगों की मौत भी होती है. बिजली गिरना और चमकना एक प्राकृतिक मौसम चक्र होता है. इसकी प्रमुख वजह यह है कि नम और शुष्क हवा के साथ बादल के टकराने पर बिजली चमकती है. इसके बाद इसके गिरने का खतरा बन जाता है. प्रत्येक साल बारिश के दौरान बिजली चमकती है. साथ ही गिरती भी है. मौसम वैज्ञानिक के अनुसार आसमान में धनात्मक और ऋणात्मक आवेशित बादल उमड़ते-घुमड़ते हुए एक-दूसरे के पास आते हैं. इनके टकराने से एक घर्षण होता है. इसी घर्षण से उच्च शक्ति की बिजली पैदा होती है. इसके बाद दोनों तरह के बादलों के बीच हवा में विद्युत-प्रवाह गतिमान हो जाता है. इस कारण रोशनी की तेज चमक पैदा हो जाती है.
विज्ञानी बताते है कि बादलों से गिरने वाली बिजली की ऊर्जा एक अरब वोल्ट तक हो सकती है. इसका तापमान सूरज के उपरी सतह से भी अधिक होता है. इसकी क्षमता 300 किलोवाट से ज्यादा होती है. बता दें कि नम हवा जब ऊपर उठती है तो बादल बनते हैं और झमाझम बारिश होती है. ट्रफ लाइन यानि बादलों की शृंखला जहां होती है. वहीं, वज्रपात का खतरा होता है. जहां बादल कम होती है. वहां भी सतर्क रहने की जरूरत होती है.
मानसून की परिस्थियों को देखते हुए मौसम विभाग भी सतर्क है. बारिश के बाद तापमान में गिरावट और उमस वाली गर्मी से राहत मिली है. लेकिन, भारी बारिश भी परेशानी का कारण बन गई है. शनिवार से मानसून की सक्रियता बढ़ने के आसार है. ठनका भी लोगों को डराने लगी है. किसानों के फसलों के लिए बारिश अच्छा साबित हो रहा है. राज्यभर में शुक्रवार को झमाझम बारिश का दिन रहा. शनिवार को भी आसमान में बादल छाया हुआ है. मौसम विभाग के अनुसार आगे अच्छी मानसून की संभावना है. मानसून के सक्रिय होने के कारण ही आसमान में बादल छाए हुए है.
पटना समेत बिहार के 33 जिलों में मध्यम स्तर की वर्षा की संभावना है. वहीं, मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार थोड़ी सी सावधानी बरतकर इस खतरे को टाला जा सकता है. मानसून के दौरान सबसे अधिक लोगों की मौत व्रजपात से होती है. इन आपदाओं की जानकारी पहले लोगों तक पहुंचे और कम से कम लोग इसकी चपेट में आए इसके लिए बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने जून तक का डेटाबेस तैयार किया था. प्राधिकरण के मुताबिक डेटाबेस में सरकारी अधिकारी, जनप्रतिनिधि, जीविका , आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका व आशा सहित आमलोग भी शामिल किए गए थे. इन सभी को एक साथ आपदा के पहले जानकारी दी जा रही है.
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मालूम हो कि एसएमएस अलर्ट से लोगों को फायदा होता है. ठनका और वज्रपात का अलर्ट लोगों के फोन पर भेजा जाता है. इसको लेकर प्राधिकरण ने सभी सरकारी अधिकारियों एवं कर्मियों को ट्रेंड किया था, ताकि एसएमएस मिलने के बाद उससे लोगों को अलर्ट किया जा सके. हाल के दिनों में राज्य में ठनका को लेकर जन जागरूकता अभियान भी चलाया गया था. विभाग की ओर से सोशल मीडिया और वेबसाइट के माध्यम से भी जानकारी दी जाती है. बिहार में मौसम के अलर्ट को लेकर मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के ट्वीटर के माध्यम से जानकारी ली जा सकती है. साथ ही वेबसाइट के माध्यम से भी जानकारी ली जा सकती है.
अगर कही भी वज्रपात होने वाला रहता है तो लोगों को इसकी जानकारी मिल जाती है. आसपास के इलाके में होने वाली ठनका की जानकारी लोगों को पहले ही मिल जाती है. इससे लोग अलर्ट हो जाते है. साथ ही ठनका के अलर्ट के समय बाहर निकलने से बच सकते है. क्योंकि बाहर निकलने से बचना और घर में रहना ही ठनका से बचने का सबसे बढ़िया उपाय है. मालूम हो कि साल 2018 में ठनका से 139, साल 2019 में 253, साल 2020 में 459, साल 2021 में 280 और साल 2022 में 149 लोगों की मौत की पुष्टी हुई है. जबकि, साल 2023 में भी कई लोगों की वज्रपात से मौत हुई है.
Published By: Sakshi Shiva