NEP: बुनकर, कारीगर, गायक, नर्तक व बढ़ई भी अब बनेंगे प्रोफेसर, शोध व कौशल विकास में करेंगे स्टूडेंट्स को निपुण
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत गाइडलाइन तैयार की गयी है. इसका मकसद छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ कौशल विकास और भारतीय पारंपरिक कला से भी जोड़ना है. छात्रों को स्थानीय स्तर की कला और कारीगरी से भी रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा.
पटना. यूजीसी की उच्चस्तरीय समिति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में कलाकारों और कारीगरों को प्रोफेसर के रूप में काम करने का मसौदा तैयार किया है. इसमें वे उच्च शिक्षण संस्थानों में सेवाएं तो देंगे पर नियमित नहीं होंगे. वे कॉलेज में क्लास लेंगे, लेकिन रेगुलर नहीं होंगे. वे लेक्चर्स देंगे, वर्कशॉप, प्रैक्टिकल और ट्रेनिंग करायेंगे. कॉलेज चयन समिति द्वारा विभिन्न मापदंड पूरे करने और चयनित होने पर तीन साल तक सेवाएं दे सकेंगे. इस नियम के तहत बुनकर, कारीगर, गायक, नर्तक व बढ़ई भी शामिल हो कर क्लास लेंगे. संस्थानों में इन-रेजिडेंस के तहत इन्हें प्रोफेसर बनाया जायेगा. इसमें न उम्र की कोई सीमा होगी और न डिग्री की जरूरत होगी. वे छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ शोध और कौशल विकास में भी निपुण करेंगे.
इन सभी लोगों को मिलेगा मौका
यूजीसी ने अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत गाइडलाइन तैयार की गयी है. इसका मकसद छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ कौशल विकास और भारतीय पारंपरिक कला से भी जोड़ना है. छात्रों को स्थानीय स्तर की कला और कारीगरी से भी रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा. इसके तहत मिट्टी के बर्तन, बांस, गन्ना, लकड़ी के सामान, टेराकोटा, मधुबनी, चरखा, बुनाई, मुगल नक्काशी, लकड़ी का काम, कपड़े पर प्रिंटिंग, ऑर्गेनिक कपड़ों को रंगना, हाथ की कढ़ाई, कारपेट बनाना, गायन, वादन, गुरबाणी, सुफियाना, लोककला गायक व नृतक, कव्वाली, जुगलबंदी, रॉकबैंड, कथक, ओडिसी, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, मणिपुरी, कथकली, भांगड़ा, गरबा, बिहु, फुगड़ी, योग, मेहंदी, रंगोली, कठपुतली आदि के कलाकार व कारीगर आवेदन कर सकेंगे.
तीन स्तर पर होंगी नियुक्तियां
अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, केंद्र या राज्य सरकार का अवार्ड और अपने-अपने क्षेत्र में कम-से-कम पांच साल का अनुभव रखने वाले कलाकारों और कारीगरों को मौका मिलेगा. ऑर्ट, क्रॉफ्ट, डांस, म्यूजिक, फाइन आर्ट आदि के विशेषज्ञ आवेदन कर सकेंगे. इसमें स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. इसमें तीन स्तर पर नियुक्तियां होगी. पहले स्तर पर परमेष्ठी गुरु (प्रख्यात कलाकार और कारीगर) होंगे. इन्हें कम से कम 10 वर्ष का अनुभव और अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड मिला होना चाहिए. दूसरे स्तर पर परम गुरु (असाधारण कलाकार और कारीगर) होगा. इसमें कम-से-कम 10 वर्ष का अनुभव और केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अपने काम को सराहना के तौर पर अवार्ड मिला होना चाहिए. वहीं, तीसरे स्तर पर गुरु (कलाकार और कारीगर) होंगे. इस वर्ग में अपने क्षेत्र में कम-से-कम पांच वर्ष का अनुभव होना जरूरी होगा.
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