प्रह्लाद कुमार, पटना. राज्य में 8061 पंचायत हैं. इसमें 61 पंचायत ऐसे हैं, जहां भूजल का स्तर 50 फुट से नीचे है. इस कारण इन पंचायत में रह रहे लोगों को हर साल फरवरी से सितंबर तक पानी की दिक्कत होती है. कुछ एक जगहों पर चापाकल भी फेल हो जा रहा है. राज्य सरकार ने इन पंचायतों के भू- जल स्तर को बेहतर करने के लिए अब जल सुरक्षा योजना चलाने का निर्णय लिया है.
जल सुरक्षा योजना के तहत इन पंचायतों में सबसे पहले बारिश के पानी को स्टोर करने के बाद दोबारा से इसे धरती में वापस भेजने पर काम होगा. अगर जरूरत पड़ी, तो पानी स्टोर करने के लिए यहां पर्कुलेशन टैंक बनाया जायेगा, जहां पानी को स्टोर किया जा सके और पर्कुलेशन टैंक के माध्यम से पानी रिचार्ज हो सके. इन इलाकों के कुएं, आहर को दोबारा से जीवित किया जायेगा.
योजना के तहत गांव के लोगों के साथ अधिकारी बैठक कर जल सुरक्षापर काम करेंगे.इस में गांव के वैसे सभी स्रोत पर काम होगा, जहां से बारिश का पानीपंचायत से बाहर निकल कर जाता है. गांव में तालाब, कुएं, आहर, पोखर की संख्या जुटायी जायेगी, ताकि उन सभी को दुरुस्त किया जा सके.
पीएचइडी इस योजना में तकनीकी तरीके से काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए चार से अधिक हाइड्रो जियोलॉजिस्ट की बहाली संविदा पर करेगा. ताकि भू-जल की साइंटिफिक तरीके से पहचान हो सकें. पहले चारण में चार की बहाली होगी.
नालंदा 12, गया सात, नवादा 10, जहानाबाद पांच, अरवल दो, रोहतास तीन, कैमूर 16, मुंगेर एक, भागलपुर पूर्व में पांच यानी कुल 61 पंचायत शामिल है.
जहानाबाद एक, रोहतास एक, कैमूर चार, मुंगेर दो, भागलपुर पूर्व तीन यानी 11 पंचायत शामिल है.
राज्य में चेकडैम, वीयर, तालाब, आहर पइन और नलकूपों की 350 योजनाओं को बेहतर करने का नये साल में काम शुरू होगा. पहले से स्थापित और बंदपड़ी योजनाओं के चयन की तैयारी लघु जल संसाधन विभाग कर रहा है. विभाग ने लघु सिंचाई योजनाअों की मरम्मत का निर्णय लिया है.
सूत्रों के अनुसार राज्य में जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत सिंचाई का पानी उपलब्ध करवाने के लिए विभाग तैयारी कर रहा है. इसके तहत जनप्रतिनिधियों और कनीय अभियंताओं से मिले फीडबैक के आधार पर सिंचाई योजनाओं की पहचान की जा रही है. खराब राजकीय नलकूपों को ठीक करवाने के लिए विभाग पंचायतों को राशि जारी करेगा.