साइबर क्राइम के लिए बदनाम झारखंड के जामताड़ा से भी बड़ा अड्डा अब बंगाल और बिहार में बन गया है. जी हां, बिहार के अररिया और उत्तर बंगाल के इस्लामपुर साइबर क्राइम का नया केंद्र बन गया है. ये लोग आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एइपीएस) के जरिये फ्रॉड कर रहे हैं. आधार कार्ड के बायोमेट्रिक्स और अन्य सूचनाओं के आधार पर साइबर क्रिमिनल्स लोगों के खाते से पैसे उड़ा रहे हैं. इसमें उनके कई मददगार भी हैं. इसके लिए वे उन्हें बाकायदा कमीशन देते हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसके लिए साइबर क्रिमिनल्स ने बाकायदा ट्रेनिंग सेंटर खोल रखा है. इन ट्रेनिंग सेंटर्स में गिरोह में शामिल नए लोगों को रुपए निकालने की ट्रेनिंग दी जाती है. ऐसे लोग, जो इन साइबर क्रिमिनल्स को आधार नंबर और फिंगर प्रिंट मुहैया कराते हैं, उन्हें 25 फीसदी कमीशन मिलता है. कोलकाता पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है. इस गिरोह का एक सरगना तो पुलिस की पकड़ में आ चुका है, लेकिन दूसरा सरगना अब भी फरार है. पुलिस उसकी तलाश में भी जुटी हुई है. इस अपराध का मुख्य आरोपी इस वक्त रोहतास जेल में बंद है.
एइपीएस फ्रॉड के जाल में फंसकर जमा पूंजी गंवा रहे लोग
बता दें कि एइपीएस फ्रॉड के जाल में फंस कर आये दिन लोग इसके शिकार होकर अपनी जमा पूंजी गंवा रहे हैं. कोलकाता पुलिस के दायरे में विभिन्न थानों में लगातार इसकी शिकायतें आ रही हैं. इस गिरोह के दो सदस्यों को इस्लामपुर से गिरफ्तार करने के बाद पूछताछ में कई जानकारी मिली है. इसके आधार पर पुलिस ने गिरोह के तीन अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया है. जांच में पता चला कि बंगाल का इस्लामपुर और बिहार का अररिया जिला इस तरह की ठगी का गढ़ बन गया है. वहां गुप्त ठिकानों पर कैसे इस तरह की ठगी करें, इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है. वहां यह ठगी कुटीर शिल्प बन गया है. बड़ी संख्या में युवा इस ठगी के जरिये लोगों की मोटी रकम मिनटों में उड़ा ले रहे हैं.
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उत्तर बंगाल का इस्लामपुर व बिहार का अररिया बना एइपीएस फ्रॉड का गढ़
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रोहतास जेल में बंद है मुख्य आरोपी, दूसरे फरार मास्टरमाइंड की हो रही तलाश
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फ्रॉड के लिए गुप्त ठिकानों पर ट्रेनिंग सेंटर खोल दे रहे रुपये निकालने की ट्रेनिंग
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फिंगर प्रिंट व आधार नंबर उपलब्ध करानेवालों को मिलता है 25 प्रतिशत कमीशन
फिंगर प्रिंट और बायोमेट्रिक देने वालों को 25 फीसदी कमीशन
बताया जाता है कि जो लोग इस गिरोह के सदस्यों को चोरी-छिपे लोगों के आधार कार्ड व बायोमैट्रिक की जानकारी देते हैं, उस आधार नंबर से जितने रुपये निकाले जाते हैं, उसका 25 प्रतिशत आधार नंबर उपलब्ध कराने वाले को मिलता है. अब तक की जांच में पता चला है कि इस गिरोह का मुख्य आरोपी, जिसने सबसे पहले इस फ्रॉड की तरकीब निकाली थी, उसका नाम छोटू कुमार है. वह फिलहाल बिहार के रोहतास जेल में इसी ठगी के मामले में बंद है. जल्द ही कोलकाता पुलिस उसे अपने कब्जे में लेगी. दूसरा मास्टर माइंड फरार है.
क्या है एइपीएस फ्रॉड
आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एइपीएस) के जरिये इस सेवा का गलत इस्तेमाल कर कुछ शातिर अपराध कर रहे हैं. इसमें लोगों के आधार नंबर व उनके बायोमैट्रिक का इस्तेमाल कर उनके अकाउंट से उनकी जानकारी के बिना एक दिन में कम से कम 10 हजार रुपये तक निकाल लेते हैं. यह फ्रॉड उन्हीं लोगों के साथ होने का खतरा बना रहता है, जिन्होंने ग्रामीण इलाके में जाकर आधार कार्ड के जरिये फिंगर प्रिंट देकर एइपीएस काउंटर से रुपये निकाले हैं, या फिर कहीं प्रॉपर्टी खरीदने में अपना फिंगर प्रिंट और आधार नंबर दिया हो.
एइपीएस फ्रॉड से कैसे बचें?
इससे बचने का एक तरीका है, तुरंत आप एमआधार ऐप मोबाइल में डाउनलोड करें. इसके बाद आधार नंबर वहां डालकर अपना बायोमैट्रिक लॉक कर दें. इसके बाद आप इस तरह की फ्रॉड की चपेट में आने से बच जायेंगे. भविष्य में भी इसकी चपेट में आने की आशंका खत्म हो जायेगी.
एइपीएस फ्रॉड करने वाले गिरोह के और तीन सदस्य अरेस्ट
एइपीएस फ्रॉड से जुड़े गिरोह के तीन अन्य सदस्यों को लालबाजार की एंटी बैंकफ्रॉड शाखा की टीम ने गिरफ्तार किया है. पकड़े गये आरोपियों के नाम मोहम्मद मुसा आलम (29), मोहम्मद नौशाद हयात (26) और पोसीरुल आलम (22) बताये गये हैं. सभी को बुधवार को बैंकशाल कोर्ट में पेश करने पर आरोपियों को 14 अक्तूबर तक पुलिस हिरासत में भेजने का निर्देश दिया है. इससे पहले, इस मामले में पुलिस मुख्तार आलम (23) और रौशन अली (22) को गिरफ्तार कर चुकी है. सभी को उत्तर दिनाजपुर व इस्लामपुर के विभिन्न इलाकों से गिरफ्तार किया गया है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक इससे पहले शेक्सपीयर सरणी थाने में बागुईहाटी इलाके के निवासी तुषार कांति मुखर्जी (46) ने शेक्सपीयर सरणी थाने में इसकी शिकायत दर्ज करायी थी.
किसी को बैंक अकाउंट की जानकारी नहीं दी, गायब हो गये 28,900 रुपए
शिकायत में उन्होंने कहा था कि उनके बैंक अकाउंट से 28 हजार 900 रुपये गायब हो गये, जबकि उन्होंने किसी को ओटीपी भी नहीं बताया. किसी को बैंक अकाउंट की जानकारी भी नहीं दी. उन्होंने कोई अनजान नंबर से भेजे गये किसी भी लिंक पर भी क्लिक नहीं किया. पुलिस ने जांच शुरू की, तो पता चला कि एइपीएस फ्रॉड के जरिये आरोपियों ने आधार कार्ड का नंबर व फिंगर प्रिंट किसी तरह से हासिल कर बैंक अकाउंट से रुपये निकाले हैं. इसके बाद पुलिस ने जांच कर गिरोह से जुड़े अबतक पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपियों से पूछताछ कर पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.