बिहार के सासाराम में अगजनी की लगातार घटनाएं हो रही है. गेहूं की हारवेस्टिंग के बाद फसल अवशेष खेतों में कुछ लोगों द्वारा जलाये जा रहे है. विगत 15 दिनों से कोई ऐसा दिन नहीं है, जिस दिन स्थानीय प्रशासन क्षेत्र के किसी गांव या बधार में आग बुझाने के लिए मशक्कत करता नहीं दिख रहा है. विगत कई दिनों में लगातार एक साथ दर्जन भर गांव के खेतों में आग लगने की घटनाएं सामने आयी हैं. अंचलाधिकारी समेत बघैला व राजपुर पुलिस द्वारा आग बुझाने के लिए आस-पड़ोस के थाने से भी दमकल गाड़ी मंगाने को मजबूर हो गये हैं. बावजूद भी अगलगी की घटनाएं नहीं रुक रही हैं. सरकार के नियम-कानून को ताक पर रख किसान फसल अवशेष जलाने के लिए किसी न किसी रूप में आग लगा रहे हैं अथवा आग स्वतः लग रही है, अब यह प्रशासन के लिए जांच का विषय है.
क्षेत्र के पकड़ी गांव निवासी श्रीभगवान तिवारी, मंगरवलिया के मदन पांडेय, राजपुर के पप्पू सिंह, बरांव के राजू शाह, बरना के संजय पांडेय, हुसैनाबाद के भाई जयराम सिंह अकेला समेत अन्य ने कहा कि खेतों में बुआई से लेकर कटाई तक के काम का मशीनीकरण हो चुका है. गेहूं हारर्वेस्टिंग के बाद उसके डंठल का काफी बड़ा हिस्सा खेतों में ही रह जाता है. धान की फसल लगाने से पहले खेत की सफाई करना किसानों की मजबूरी है. गेहूं के डंठल आसानी से सड़ते-गलते नहीं है.
खेत जुताई के दौरान ये डंठल की गाद पानी में छन कर धान के पौधों पर जम जाती हैं, जिससे फसल खराब हो जाती है. किसान को खुद के मवेशियों के लिए भूसे की आवश्यकता कम पड़ती है. स्ट्रारीपर मशीन व ट्रैक्टर सभी किसानों के वश की बात नहीं है. किराये की मशीन से भूसा बनवा कर रखना मंहगा पड़ता है. साथ ही सभी किसानों के पास स्टोरेज की क्षमता भी नहीं है. ऐसे हालात में खेत की सफाई के लिए फसल अवशेष को जलाना सबसे आसान तरीका है.
अमरपुर जगन्नाथ मठ के महंत सुदर्शनाचार्य जी महाराज ने बताया कि किसानों द्वारा फसल अवशेष को जलाये जाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर होने व प्रदूषण फैलने की बात जायज है, लेकिन दुनिया में वाहनों के साइलेंसर से निकलने वाला धुंआ और बम व बारूद के ब्लास्ट से होने वाला प्रदूषण उससे ज्यादा घातक है. प्रखंड कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया जाता है कि क्षेत्र अंतर्गत किसी भी किसान द्वारा अभी तक सरकार द्वारा अनुदानित स्ट्रा रीपर मशीन नहीं लिया गया है.
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संझौली. बुधवार की शाम लगभग सात बजे किसी सिरफिरे ने हार्वेस्टर से कटी गेहूं की पराली जलाने को लेकर आग लगा दी. पराली में आग लगते ही तेज पछुआ हवा के कारण आग की चपेट में आने से दर्जनों हेक्टेयर भूमि पर लगे जंगल में देखते-देखते ही फैल गयी. आसपास के ग्रामीण आग पर काबू पाने की सोच रहे थे कि आग ने पूरे जंगल को अपने आगोश में ले लिया. हालांकि, जंगल से सटी काव नदी गुजरती है, लेकिन काव नदी में पानी नहीं रहने के कारण, आग बुझाने के लिए सोच रहे आसपास के ग्रामीण हाथ मलते रह गये. स्थानीय लोगों के अनुसार आग लगने से इमारती, औषधीय व कई सुगंधित पौधे भी जलकर खाक हो गये हैं. स्थानीय लोगों की माने तो लाखों रुपये की संपत्ति बुधवार की शाम जंगल में आग लगने से जल कर खाक हो गयी.
प्रखंड कृषि पदाधिकारी अनुज कुमार कहते हैं कि सरकार द्वारा फसल अवशेष जलाने की घटनाओं का निरीक्षण सेटेलाइट के माध्यम से किया जा रहा है. क्षेत्र अंतर्गत ऐसी घटनाएं जांच में पाये जाने पर उक्त सभी किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से मिलनेवाली राशि से वंचित कर दिया जायेगा. साथ ही सरकार की सभी योजनाओं के लाभ से उक्त किसान को अलग-थलग कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि राजपुर क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं की सेटेलाइट रिपोर्ट अभी कार्यालय को नहीं मिली है. रिपोर्ट मिलने पर कृषि विभाग की टीम द्वारा क्षेत्र के स्थल पर जाकर लैटिच्यूट व लैंगीच्यूट के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसंधान कर कार्रवाई की जायेगी.